Efforts for Identification: कंटेनर की चपेट में आकर मृत चार लोगों की नहीं हो सकी शिनाख्त
सिकंदरा हाईवे पर मंगलवार की आधी रात को सड़क किनारे सोते लोगों पर चढ़ गया था कंटेनर। कूड़ा बीनने और मजदूरी करने बताए जा रहे हैं सभी मृतक।
आगरा, जागरण संवाददाता। सिकंदरा हाईवे पर कंटेनर की चपेट में आकर मृत छह लोगों में चार की तीसरे दिन भी शिनाख्त नहीं हो सकी है। दो लोगों की बुधवार को ही पहचान हो गयी थी। पुलिस द्वारा आसपास के लोगों से जानकारी करने पर सामने आया कि चारों कूड़ा बीनने और मजदूरी करने वाले थे। महीनों अपने घरों से बाहर रहते थे। इसीलिए उनकी शिनाख्त में दिक्कत सामने आ रही है।
सिकंदरा गुरू का ताल गुरुद्वारा के पास मंगलवार की रात ढाई बजे खंदारी की ओर से आ रहा कंटेनर अनियंत्रित हो गया था। हाईवे किनारे स्थित बंद नाले पर चढ़ गया। बेकाबू कंटेनर ने वहां सोते साल लोगों को रौंद दिया। इनमें पांच लोगों की मौके पर और एक की एसएन इमरजेसी में मौत हो गयी थी। पुलिस ने कंटनेर चालक मैनपुरी के थाना किशनी के गांव डांडिया निवासी मुनेश और क्लीनर सिंटू को गिरफ्तार कर लिया था। दोनों खाली कंटेनर को मैनपुरी से लेकर गुरुग्राम जा रहे थे।
छह मृतकों में सिर्फ सुभाष पुत्र रतन लाल निवासी गोकुलपुरा लोहामंडी और सुनील पुत्र मोमीन निवासी राधा बल्लभ स्कूल के पास शाहगंज की ही शिनाख्त हो सकी है। पुलिस को उम्मीद थी कि बाकी चार मृतकों की गुरुवार को शिनाख्त हो जाएगी। मगर, गुरुवार को किसी की पहचान नहीं हो सकी। इधर, पुलिस चारों मृतकों की पहचान के लिए अपने स्तर से आसपास के लोगों से जानकारी करने में जुटी है। आसपास के लोगों ने बताया कि चारों मृतक रात में अक्सर उसी इलाके में सोते थे। वह कूड़ा बीनने और मजदूरी करने का करते थे। पुलिस ने नितिन शर्मा से भी मृतकों के बारे में जानकारी करने का प्रयास किया। मगर, वह भी उनके बारे में नहीं बता सका। इंस्पेक्टर सिकंदरा अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि मृतकों की शिनाख्त कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
परिवार और समाज से चार साल पहले बेदखल हो गया था नितिन
जगदीशपुरा के गढ़ी भदौरिया क्षेत्र निवासी नितिन शर्मा भी हादसे में घायल हुआ था। उसे परिवार और समाज के लोगों ने चार साल पहले ही बेदखल कर दिया था। परिवार के लोग उसके साथ अपना नाम तक जोड़ना पसंद नहीं करते। नितिन के परिवार के नजदीकी लोगों ने बताया कि पिता नितिन को कथा वाचक बनाना चाहते थे। इसके लिए उसे संस्कृत की पढ़ाई करने मथुरा भेज दिया। वहां इंटर तक उसने संस्कृत से पढ़ाई की। करीब सात साल पहले पिता की मौत के बाद वह आगरा लौट आया। बुरी संगत में पडकर नशा करने लगा। परिवार के लोगो ने उसे समझाने का प्रयास किया।उसने नशेबाजी नहीं छोड़ी, मां से आए दिन झगड़ा करने लगा। परिवार ने मकान बेचकर उसके हिस्से के चार लाख रुपये दे दिए। नितिन ने समाज के सामने परिवार काे लिखकर दिया कि अब उसका उनसे कोई रिश्ता नहीं है। इसके बाद उसने शाहगंज की गैर मजहब युवती से शादी कर ली। वह कुछ महीने बाद उसे छोड़कर चली गयी। वह अब नशा करके फुथपाथ पर ही जीवन बिता रहा है। एसएन इमरजेंसी में भर्ती नितिन वहां से डिस्चार्ज होकर चला गया। वह कहां गया होगा, यह परिवार के लोग भी नहीं जानते।
मौत के खौफ से बंद कर ली आंखें, खुली तो खुद को जिंदा पाया
हादसे के दौरान नितिन सात लोगों के बीच में सो रहा था। अचानक तेज गड़गड़ाहट से उसकी आंख खुली तो खुद को कंटेनर के पहिए के नीचे पाया।मौत के खौफ से उसने अपनी आंखें बंद कर ली थीं। कुछ सेकेंड बाद जब आंख खुली तो खुद को जिंदा पाया। उसके दायीं ओर सोते तीन लोगों और बायीं ओर साे रहे दो लोगों की मौत हो चुकी थी। वह जिस जगह लेटा था, नाले पर पड़े पत्थर का वह हिस्सा थोड़ा नीचा होने के चलते कंटेनर के पहिए का बाहरी हिस्सा उसे रगड़ता हुआ निकल गया था। इससे उसकी पीठ घायल हो गयी थी। एसएन में भर्ती नितिन को देखने बस्ती के परिचित गए थे। नितिन ने उन्हें बताया कि कुछ पल के लिए उसे खुद पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह जीवित है।
72 घंटे बाद अंतिम संस्कार
मृतक चारों लोगों की शिनाख्त के लिए पुलिस 72 घंटे तक इंतजार करेगी। स्वजनों के नहीं आने पर वह शनिवार को लावारिस में उनका अंतिम संस्कार कर देगी। अज्ञात शव को शिनाख्त के लिए नियमानुसार 72 घंटे तक रखा जाता है।