No School-No Fee: आगरा में स्कूल फीस को लेकर 'पापा' पर पुलिस का बैठा पहरा, गुरुवार को होगा फैसला
सेंट जार्जेस यूनिट 2 पर रोक के बावजूद पहुंच गए कुछ अभिभावक। पुलिस की सख्ती और करेगी विरोध को मुखर।
आगरा, जागरण संवाददाता। मार आम आदमी पर है। काम धंधे ठप पड़े हैं, प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां जा रही हैं। शासन के राजस्व में बड़ा हिस्सा पहुंचाने वाली शराब की दुकानों को पूरे सप्ताह खोले जाने की अनुमति दे दी गई, जबकि किराना और दूसरेे सामान की दुकानें सप्ताह में दो दिन कोरोना वायरस के चलते बंद कराई जा रही हैं। यह गणित आम आदमी को समझ नहीं आ रहा। इधर स्कूल बंद रहने की अवधि की भी फीस वसूली के मैसेज अभिभावकों पर पहुंच रहे हैं तो इस बात का विरोध भी बढ़ रहा है। सेंट जॉर्जेज कॉलेज यूनिट पर प्रस्तावित कार्यक्रम की तैयारी कर रहे प्रोग्रेसिव आगरा पेरेंट्स एसोसिएशन (पापा) सदस्य दीपक सरीन को थाना सिकंदरा पुलिस ने नजरबंद कर दिया था। उसके बावजूद कुछ अभिभावक पहुंच गए और विरोध प्रदर्शन भी कर आए। इधर एसीएम फर्स्ट ने उनसे बातचीत की और गुरुवार को स्कूल प्रबंधन, शिक्षा विभाग अधिकारियों के साथ होने वाली बैठक तक कोई प्रदर्शन न करने की अपील की।
पापा सदस्य दीपक सरीन ने बताया कि सुबह सिकंदरा पुलिस ने उन्हें थाने बुलाया था क्योंकि वह सिकंदरा क्षेत्र में ही रहते हैं। उन्हें वहीं थाने में बैठा लिया। लेकिन कोई कारण नहीं बताया। करीब 10 बजे पुलिस ने उनसे सेंट जॉर्जेज कॉलेज यूनिट टू पर होने वाले प्रदर्शन को तुरंत निरस्त कराने को कहा, लेकिन कार्यक्रम सुबह बजे होने के कारण अन्य अभिभावकों ने वहां पहुंचकर विरोध जताया। अभिभावकों का कहना है कि सरकार को अपनी कमाई की चिंता है। कम्पलीट लॉकडाउन के दौरान जब क्रूड ऑयल की कीमतें धरातल पर थीं तो पेट्रोल-डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद से लगातार तेल कंपनियां दाम बढ़ा रही हैं तो सरकार ने एक्साइज ड्यूटी कम नहीं की। इसी तरह शराब को प्रदेश सरकार सातों दिन बिकवा रही है, क्योंकि उसे राजस्व चाहिए। आम आदमी के घर में कोई पैसों का पेड़ नहीं लगा है, दुकानों पर ग्राहक नहीं हैं और प्राइवेट कंपनियां नौकरी से निकाल रही हैं या तनख्वाह कटौती कर रही हैं। ऐसे में हम बंद स्कूलों की फीस का खर्च कैसे वहन कर पाएंगे।
इसलिए होना था विरोध प्रदर्शन
पापा संस्था ने सोमवार को स्कूल गेट पर विरोध का ऐलान दिया था क्योंकि तमाम स्कूल संचालक शासन और कोर्ट का आदेश बताकर अभिभावकों पर फीस जमा करने का दवाब बनाकर प्रताड़ित कर रहे हैं, जबकि उनकी मांग है कि लॉकडाउन के दौरान की फीस माफ हो और ऑनलाईन शिक्षा के लिए आधी ट्यूशन फीस ही ली जाए, ताकि शिक्षकों का वेतन भी निकल सके।
गुरुवार को होगी बैठक
इसके बाद एसीएम फर्स्ट सोमवार को थाना सिकंदरा पहुंचे और पापा संस्था पदाधिकारियों संग वार्ता की। उन्हें मामले में डीआईओएस से फोन पर वार्ता की गई और गुरुवार को शिक्षा संस्थानों और पापा संस्था प्रतिनिधियों के साथ कानून, प्रशासन व शिक्षा विभाग अधिकारियों के साथ बैठक कर समाधान निकालने की बात कही। साथ ही गुरुवार तक कोई विरोध प्रदर्शन न करने की अपील की। जिस पर सभी अभिभावकों ने गुरुवार तक का इंतज़ार करने का भरोसा दिलाया।
स्कूल फीस माफी को मांगा समर्थन
वहीं चिराग यूथ फाउंडेशन ने "स्कूल फीस माफी" को लेकर सोमवार को मारुति एस्टेट चौराहे पर प्रदर्शन किया। इसमें संस्था ने अभिभावकों से इस मुहिम से जुड़ने की अपील की और पेंपलेट वितरित कर समर्थन मांगा। संगठन की मांग है कि सरकार लॉकडाउन के तीन महीनों की फीस माफ करे और जुलाई में जिन स्कूलों में ऑनलाइन क्लास चलाई जा रही है, वह सिर्फ ट्यूशन फीस ही लें। इस दौरान अध्यक्ष राहुल चतुर्वेदी, महामंत्री रोहित वडेरा, केलाल त्रिलोकानी, सोनू सराफ, नरेंद्र कुमार वडेरा, अरुण सहगल, राजेश गुप्ता, कपिल सुखलानी, दिनेश लालवानी, नवीन,गौरव अग्रवाल, अनुज खंडेलवाल, विनोद शर्मा आदि मौजूद रहे ।