कोटा 25 फीसद, दाखिला सिर्फ10 छात्रों को
आगरा: राइट टू एजूकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसद सीटों पर गरीब परिवार के बच्चों को दाखिला देने का प्रावधान है। लेकिन जिले में ऐसा नहीं हो रहा है, अधिकांश स्कूल सिर्फ दस छात्रों को दाखिला दे रहे हैं। जबकि उनके यहां नर्सरी और कक्षा एक के कई सेक्शन संचालित हैं।
जागरण संवाददाता, आगरा: राइट टू एजूकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसद सीटों पर गरीब परिवार के बच्चों को दाखिला देने का प्रावधान है। लेकिन जिले में ऐसा नहीं हो रहा है, अधिकांश स्कूल सिर्फ दस छात्रों को दाखिला दे रहे हैं। जबकि उनके यहां नर्सरी और कक्षा एक के कई सेक्शन संचालित हैं।
राइट टू एजूकेशन के तहत सरकार गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला सीबीएसई और आइसीएसई से संचालित स्कूलों में कराती है। गरीब परिवार के बच्चों की फीस का भुगतान भी सरकार ही करती है। इसके लिए गरीब परिवार के बच्चों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके बाद जिला प्रशासन लॉटरी निकालता है। सफल बच्चों की सूची बेसिक शिक्षा विभाग को दी जाती है और आवंटित स्कूल में दाखिला कराने का जिम्मा बेसिक शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन का होता है। इस बार कुल आठ हजार बच्चों ने आवेदन किए थे। उनमें से करीब 1280 बच्चों को दाखिला के लिए स्कूल आवंटित हुए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के जानकारों ने बताया कि सीबीएसई और आइसीएसई से संचालित स्कूलों ने नर्सरी और कक्षा एक में महज एक ही सेक्शन संचालित बताया है। इधर, सूत्रों का कहना है कि अधिकांश स्कूलों में नर्सरी और कक्षा एक के कई-कई सेक्शन संचालित हैं। लेकिन नामचीन स्कूल गरीब परिवार के बच्चों को दाखिला देने से परहेज कर रहे हैं। इसलिए कम सेक्शन संचालित दर्शा रहे हैं और स्कूलों ने गरीब परिवारों के 10-10 बच्चों के दाखिला लिए हैं। जबकि कोटा 25 फीसद है। इस पर न तो बेसिक शिक्षा विभाग ध्यान दे रहा है और न जिला प्रशासन। नतीजा, बच्चों को महज 12 फीसद सीटों पर ही दाखिला मिला है।
क्योंकि शहर में सीबीएसई और आइसीएसई से संचालित करीब आठ दर्जन से अधिक स्कूल हैं। बाद में होगा सत्यापन
विभागों की भी अपनी कार्यशैली है। बेसिक शिक्षा विभाग गरीब बच्चों की लॉटरी और दाखिला प्रक्रिया पहले करा रहा है और इस बात का सत्यापन बाद में करेगा कि कौनसे स्कूल में नर्सरी और कक्षा एक के कितने सेक्शन संचालित हैं।
न प्रचार किया, न पैसा दिया
गरीब परिवार के बच्चों को राइट टू एजूकेशन के तहत दाखिला दिलाने में बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने रुचि नहीं दिखाई। आरटीई कार्यकर्ता धनवान गुप्ता ने बताया कि दाखिला और आवेदन प्रक्रिया का न तो अफसरों ने प्रचार प्रसार कराया और न बच्चों को पैसा दिया। नतीजा, 31 मार्च को विभाग का पैसा लौट गया।