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यूजलैस सिलेबस को रिड्यूस करने के मूड में सीबीएसई

जागरण संवाददाता, आगरा: बच्चों को ज्यादा होमवर्क देने वाले स्कूल और बच्चों पर भारी बैग का बोझ डालने व

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 May 2018 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 10:00 AM (IST)
यूजलैस सिलेबस को रिड्यूस करने के मूड में सीबीएसई
यूजलैस सिलेबस को रिड्यूस करने के मूड में सीबीएसई

जागरण संवाददाता, आगरा: बच्चों को ज्यादा होमवर्क देने वाले स्कूल और बच्चों पर भारी बैग का बोझ डालने वाले स्कूल हैप्पी नहीं हैं। प्री-प्राइमरी और अपर प्राइमरी के बच्चों के लिए सिर्फ दो किताब होनी चाहिए। एक गणित दूसरी भाषा की, जबकि सिर्फ पांच कॉपियां होनी चाहिए। ताकि बच्चे हैप्पी रह सकें। सीबीएसई भी 50 फीसद अनुपयोगी सिलेबस को रिड्यूस करने की तैयारी कर रहा है। स्कूलों में बच्चों के लिए बेहतर माहौल बनाने की जरूरत है।

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ये जानकारी एनसीईआरटी की डीन सरोज यादव ने खंदारी स्थित जेपी सभागार में सेंटर फॉर एजुकेशनल डेवलपमेंट संस्था द्वारा आयोजित नेशनल टीचर्स कॉन्क्लेव में डेलीगेट्स को दी। इस कॉन्क्लेव में दैनिक जागरण मीडिया पार्टनर था। कार्यक्रम में सरोज यादव ने कहा कि पहले मां बच्चों से पढ़ने के लिए कहती थी, लेकिन तब बच्चे खेलने में मशगूल रहते थे। अब मां अपने बच्चों से खेलने के लिए कहती हैं, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। एनसीईआरटी की डीन सरोज यादव और सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन डॉ.अशोक गांगुली, इग्नू के पूर्व उपकुलपति प्रो.एमएम पंत ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर विचार व्यक्त किए। पढ़ाने के तौर-तरीके भी बताए। बच्चों पर किताबों का बोझ अधिक न डालने की नसीहत दी। कहा कि स्मार्ट बोर्ड, लर्निग वातावरण जरूरी है, लेकिन सोशल साइंस, सोशल वेल्यूज पर भी प्रयोग होने चाहिए। प्री-प्राइमरी, अपर प्राइमरी से बच्चों पर दवाब न बनाए, उन्हें फ्री माहौल दें। आज के दौर में एजूकेशन के लिहाज से किताबें सिर्फ एक रिसोर्स हैं, इसके अलावा भी रिसोर्स हैं। जैसे ई-पाठशाला, टीवी चैनल भी अच्छे रिसोर्स हैं। वक्ताओं ने कहा नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है। गांवों में बच्चे, युवा मोबाइल, टीवी के प्रति आकर्षित हैं। सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन डॉ.अशोक गांगुली ने कहा कि टीचरों को टीचिंग का वीकली प्लान तैयार करना चाहिए। अब समय लिटरेट करने का नहीं है, एजूकेशन देने का है। ग्रेट टीचर वो है, जिनका टीचिंग प्लान, मैनेजमेंट बेहतर है। उसकी क्लास को बच्चे मिस न करते हों। टीचर खुद द्वारा तैयार किए नोट्स से पढ़ाए, न कि किताबों से। विद्यार्थियों को कोर्स तक सीमित न करें।

इधर, लाइफ स्किल्स एजूकेशन के निदेशक डॉ.जितेंद्र नागपाल, मनोवैज्ञानिक डॉ.चीनू अग्रवाल,एजूकेशनल कोच मनषा पांडे, सीबीएसई रिसोर्स पर्सन डॉ.राधा सिंह, शुचिता गुप्ता, डॉ.धीरज महरोत्रा, अनुपम कौशिक आदि ने आधुनिक शिक्षा के महत्वपूर्ण आयाम,बदलाव, नेतृत्व कौशल व रचनात्मक खोज जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रियदर्शी नायक ने संस्था के कार्यो और उपलब्धियों की जानकारी दी। विषय विशेषज्ञों ने टीचर्स के सवालों के जवाब भी दिए।

चक दे इंडिया दिखा

समझाया नीयत का अर्थ

कॉन्क्लेव में वक्ताओं ने बताया कि टीम की सफलता और असफलता उसकी नीयत पर निर्भर करती है। डेलीगेट्स को नीयत का व्यवहारिक अर्थ समझाने के लिए स्मार्ट बोर्ड पर चक दे इंडिया फिल्म दिखाई गई। 133 शिक्षकों को पुरस्कार से नवाजा

इस मौके पर राज्यसभा सदस्य डॉ.सीपी यादव, प्रो.सरोज यादव, डॉ.अशोक गांगुली ने देश के 133 शिक्षकों को राष्ट्रस्तरीय शिक्षक पुरस्कार सम्मानित किया।


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