व्हाइट कैटेगरी पर खिंचे पाले
आगरा: ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) अथॉरिटी की बैठक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योगों के लिए बनाई गई व्हाइट कैटेगरी पर पाले खिंचे नजर आए।
जागरण संवाददाता, आगरा: ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) अथॉरिटी की बैठक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योगों के लिए बनाई गई व्हाइट कैटेगरी पर पाले खिंचे नजर आए। उद्यमियों ने बुधवार को उद्योगों की स्थापना व विस्तार पर लगी रोक हटाने की मांग उठाई। वहीं, पर्यावरण प्रेमियों ने व्हाइट कैटेगरी लागू रखे जाने का पक्ष लिया।
कमिश्नरी सभागार में पर्यावरण मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा की अध्यक्षता में हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट अनुश्रवण समिति के सदस्य रमन ने कहा कि अब तक 20-25 रिपोर्ट आ चुकी हैं। उन्हें प्रभावी तरीके से लागू कराया गया होता, तो आज यह हाल नहीं होता। जल निगम, कैंटोनमेंट बोर्ड प्रदूषण कर रहे हैं, इस पर रोक लगे। एफमेक के अध्यक्ष पूरन डाबर ने कहा कि जूता उद्योग गैर-प्रदूषणकारी है। मेक इन इंडिया में इसका विशिष्ट स्थान है। 2020 तक इसे 14 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 20 मिलियन डॉलर किया जाना है। तदर्थ रोक हटाई जाए। नेशनल चैंबर के अध्यक्ष राजीव तिवारी ने कहा कि आगरा पर्यटन नगरी है। यहां 1996 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश और मानकों का पालन उद्योग कर रहे हैं। तदर्थ रोक तुरंत हटाई जाए। होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने 50 कमरों तक के होटलों (रेस्टोरेंट व लाउंड्री सर्विस के बगैर) को कैटेगरी से मुक्त करने की मांग की।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आगरा के अध्यक्ष डॉ. रवि पचौरी, डॉ. डीवी शर्मा, डॉ. शरद गुप्ता और डॉ. ओपी यादव ने हॉस्पिटल के निर्माण पर लगी रोक हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे बढ़ती आबादी की आवश्यकता के अनुसार हॉस्पिटलों में सुविधाएं बढ़ाने में दिक्कत आ रही हैं। पूर्व विधायक केशो मेहरा ने आगरा व फीरोजाबाद में गैस पाइपलाइन बिछाने की बात रखी। लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष राकेश गर्ग ने बैराज व ¨रग रोड पूरा कराने पर जोर दिया। डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने यमुना व भूगर्भ जल के निरंतर गिरने का मुद्दा उठाया। प्रदूषण बढ़ने के लिए कोयले के उपयोग, अंधाधुंध निर्माण, वन क्षेत्रों व कीठम में अतिक्रमण की बात रखी। व्हाइट कैटेगरी को हटाने में जल्दी नहीं करने की मांग की।
रमेश वाधवा ने ट्रैफिक को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार बताया। उमेश शर्मा ने टीटीजेड में ट्री ट्रांसलोकेट मशीन की व्यवस्था करने की मांग की। आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव केसी जैन ने ग्रीन कवर बढ़ाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने ट्री फार्मिग व एग्रो फॉरेस्ट्री को बढ़ाने की मांग रखी।
अधिकारियों-उद्यमियों का कॉकस है जिम्मेदार
किसानों ने अधिकारियों द्वारा उद्योगों को राहत देने को उठाए जा रहे कदमों का विरोध किया। उन्होंने ताज के 10 किमी की परिधि में भू-अधिग्रहण पर रोक लगाने की मांग की। किसान लाखन सिंह त्यागी ने कहा कि किसान सबसे ज्यादा ताज से प्रभावित हैं। विकास के नाम पर उनकी जमीन ले ली जाती है। उद्योग की वजह से प्रदूषण अधिक है। उनका कचरा यहीं रह जाता है। प्रतिबंध बरकरार रहना चाहिए। किसान घनश्याम ने कहा कि अधिकारियों व उद्यमियों के कॉकस की वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है। लेदर पार्क की जगह अधिग्रहीत कर वहां पेड़ कटवा दिए, तो कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। ताज के साथ जनमानस की भी करें चिंता
पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह ने कहा कि हम ताज की चिंता तो कर ही रहे हैं, हमें जनमानस की भी चिंता करनी होगी। डस्ट पर्टिकल्स रोकना तो आसान नहीं है, लेकिन हमें वाहन जनित प्रदूषण रोकने के उपाय करने होंगे।
कठेरिया ने रखा जूता व पर्यटन उद्योग का पक्ष
बैठक शुरू होने से पहले एससी आयोग के अध्यक्ष सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया ने पर्यावरण मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा के साथ बैठक की। उन्होंने तदर्थ रोक के चलते जूता व पर्यटन उद्योग में कार्यरत चार लाख श्रम शक्ति के कठिनाई के दौर से गुजरने की बात कही। उन्होंने गैर-वायु प्रदूषणकारी उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति को अपनाने पर जोर दिया।
तदर्थ रोक से उद्योग हुए प्रभावित
फीरोजाबाद से आए संजय अग्रवाल ने कहा कि तदर्थ रोक से उद्योगों का विकास प्रभावित हुआ है। कारोबार में 40 फीसद तक कमी आई है। गैस नहीं मिलने पर उत्पादन रोकना होता है। छोटी कांच इकाइयों को टीटीजेड की अनुमति न होने से गेल गैस नहीं दे रही है।
टीटीजेड में होने का नुकसान झेल रहा मथुरा
मथुरा से आए उद्यमी कृष्ण दयाल अग्रवाल ने कहा कि मथुरा में एनओ2 और एसओ2 नियंत्रण में हैं। पर्टिकुलेट मैटर अधिक दूर नहीं जा सकते। ताज मथुरा से बहुत दूर है। वहां मथुरा का प्रदूषण नहीं पहुंच सकता। मथुरा से आए एक अन्य उद्यमी ने कहा कि टीटीजेड में होने का मथुरा को नुकसान ही हुआ है, फायदा नहीं। फीरोजाबाद व आगरा को गैस कम कीमत पर मिल रही है, जबकि मथुरा को दोगुने पैसे देने पड़ रहे हैं।
नक्शा बनाते समय ज्यादा क्षेत्र ले लिया
बैठक के दौरान सचिव सीके मिश्रा ने कहा कि तीन तरह के उद्योग हैं। एक जो प्रदूषण नहीं कर रहे, दूसरे जो स्वच्छ फ्यूल का उपयोग कर रहे हैं और उन्होंने प्रदूषण का प्रभाव कम करने के समुचित उपाय अपना लिए हैं। तीसरे वह हैं जो ताज से दूरी पर हैं और उनकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वह स्मारक को प्रभावित नहीं कर रहे। उन्होंने टीटीजेड का नक्शा बनाते समय अधिक क्षेत्र लेने की बात कही। दरअसल, बैठक में भरतपुर के उद्यमियों ने ताज से दूरी का हवाला देते हुए प्रदूषण के आगरा तक नहीं आने का मुद्दा उठाया था। उनका कहना था कि पर्टिकुलेट मैटर अधिकतम 13 किमी दूर तक जा सकते हैं।