Passing Out Pared: पासिंग आउट परेड के बाद आगरा को मिले 73 और नए सिपाही
Passing Out Pared97 रिक्रूट बने कांस्टेबिल एडीजी ने परेड की सलामी लेने के बाद दिलाई शपथ। मैनपुरी को 16 और मथुरा को भी मिले 8 सिपाही पांच जिलों के रिक्रूट ने की थी ट्रेनिंग। संक्रमण के चलते रिक्रूट्स के स्वजन उनकी पासिंग आउट परेड देखने नहीं आए।
आगरा, जागरण संवाददाता। पुलिस लाइन मैदान में शुक्रवार को पासिंग आउट परेड के बाद 97 रिक्रूट्स को कांस्टेबिल की वर्दी मिल गई। इससे आगरा को 73 नए सिपाही मिल गए हैं। जबकि मैनपुरी को 16 और मथुरा को भी आठ नए सिपाही मिले हैं। पासिंग आउट परेड की सलामी एडीजी राजीव कृष्ण ने लेने के बाद रिक्रूट़स को शपथ दिलाई। पासिंग आउट परेड में सोनू बालियान, सौरभ शर्मा और प्रवीण कुमार अपनी टुकड़ी के कमांडर बने।
इस दौरान एसएसपी मुनिराज, एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद, एसपी ग्रामीण सत्यजीत गुप्ता समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।पासिंग आउट परेड के बाद अधिकारियों ने रिक्रूट को प्रमाण पत्र वितरित किए। आगरा पुलिस लाइन में छह महीने तक प्रशिक्षण प्राप्त करके सिपाही बने सभी लोग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पांच जिलों मेरठ, हापुड़, शामली सहारनपुर और मुजफ्फर नगर से हैं।
निखिल सिंह बने सर्वश्रेष्ठ रिक्रूट
निखिल सिंह सर्वश्रेष्ठ रिक्रूट बने।वह मेरठ के थाना रोहन के गांव शाहपुर के रहने वाले हैं। निखिल सिंह ने बताया कि उनके पिता सत्यवीर सिंह, मंझले भाई विशाल सिंह और बहन दिव्या भी पुलिस विभाग में हैं। पिता का पिछले साल उनके प्रशिक्षण के दौरान दिन का दौरा पड़ने से निधन हो गया। परिवार में सभी के पुलिस विभाग में होने के चलते उन्होंने भी वर्दी पहनने का फैसला किया था।
नीतेश सहारावत बने सर्वश्रेष्ठ इंडोर रिक्रूट
मेरठ के थाना कांकरखेड़ा के वर्निका एस्टेट कालोनी के रहने वाले नीतेश सहारावत को सर्वश्रेष्ठ इंडोर रिक्रूट घोषित किया गया। नीतेश ने बताया कि उनके पिता भी इंस्पेक्टर हैं। वर्तमान में झांसी में तैनात हैं। वह एक भाई-बहन हैं। पिता को बचपन से वर्दी में देखते आए नीतेश भी बचपन से वर्दी से उन्हें प्यार था।
अभिषेक राणा बने सर्वश्रेष्ठ आउटडोर रिक्रूट
मेरठ के थाना दाैराला के गांव मोहनीपुर के रहने वाले अभिषेक राणा को सर्वश्रेष्ठ आउटडोर रिक्रूट चुना गया। वह चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर हैं। अभिषेक ने बताया कि उनके परिवार में कोई पुलिस विभाग में नहीं है। उनकी लंबाई और रेस को देखते हुए दोस्तों ने उन्हे सेना या पुलिस में जाने की कहा। इस पर उन्होंने पुलिस भर्ती में हिस्सा लिया और चयनित हो गए।
नाती ने पूरा किया बाबा का सपना
कहावत है कि बेटे से ज्यादा नाती प्यारा होता है। रिक्रूट सोनू बालियान ने भी वर्दी पहनकर अपने बाबा का सपना पूरा किया। साेनू बालियान ने बताया कि उनके पिता किसान हैं। जबकि बाबा राम किशन पुलिस विभाग में थे। उन्होंने बाबा के कई फोटो वर्दी में देखे थे। बाबा चाहते थे कि वह भी उनकी तरह वर्दी पहने। वर्ष 2005 में बाबा का निधन हो गया। तब वह आठ साल के थे। मगर, बाबा का सपना उन्हें याद रहा, वह पहले प्रयास में ही पुलिस में भर्ती हो गए।
कोरोना के चलते नहीं आए पासिंग आउट परेड देखने नहीं आए स्वजन
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते रिक्रूट्स के स्वजन उनकी पासिंग आउट परेड देखने नहीं आए। अधिकांश ने रिक्रूट्स ने स्वजन को खुद ही फोन करके पासिंग आउट में आने से मना कर दिया था। क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि यहां आने पर उन्हें किसी तरह की दिक्कत हो।
एडीजी ने रिक्रूट्स को दिया अवकाश का तोहफा
एडीजी राजीव कृष्ण ने पासिंग आउट परेड की सलामी लेने के बाद रिक्रूट्स को पांच दिन के अवकाश का तोहफा दिया। इससे रिक्रूट्स खुश हो गए। अपने स्वजन को मोबाइल पर इसकी जानकारी दी। अधिकांश शुक्रवार की शाम को ही अपनाें से मिलने के लिए रवाना हो गए।
वीडियो काल करके दिखाई वर्दी और परेड का मैदान
अधिकांश रिक्रूट्स ने पासिंग आउट परेड के बाद स्वजन को वीडियो काल करके उन्हें अपनी वर्दी दिखाई। जिस मैदान में परेड हुई थी, वह भी दिखाया। इससे कि स्वजन आनलाइन उन्हें वर्दी में परेड के मैदान पर देख सकें