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टीटीजेड में फिर चिह्नित किया जाएगा डूब क्षेत्र, पहले हो चुका गड़बड़झाला

आगरा: ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में डूब क्षेत्र का एक बार फिर चिह्नांकन होगा। ताज के सदियों तक सुरक्षित रखने के आदेश के तहत यह कवायद की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 10:00 AM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 10:00 AM (IST)
टीटीजेड में फिर चिह्नित किया जाएगा डूब क्षेत्र, पहले हो चुका गड़बड़झाला
टीटीजेड में फिर चिह्नित किया जाएगा डूब क्षेत्र, पहले हो चुका गड़बड़झाला

आगरा: ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में डूब क्षेत्र का एक बार फिर चिह्नांकन होगा। ताज के सदियों तक संरक्षण को विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में जुटे स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए), दिल्ली द्वारा डूब क्षेत्र के चिह्नांकन और पुराने स्वरूप को बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से हाइड्रोलॉजिस्ट की मांग की है।

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ताज के संरक्षण को विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने का काम एसपीए द्वारा किया जा रहा है। 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में मामले में सुनवाई हुई थी। एसपीए की प्रो. मीनाक्षी धोते ने विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए तीन विशेषज्ञों की सेवाएं उपलब्ध कराने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित संस्थानों को विशेषज्ञ तैनात करने और एसपीए की प्रो. मीनाक्षी धोते व समिति को सहायता करने के निर्देश दिए हैं। डूब क्षेत्र को चिह्नित किए जाने पर आगरा में यमुना के डूब क्षेत्र में बने कई प्रोजेक्ट फंस सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण को काम कर रहे डॉ. शरद गुप्ता कहते हैं कि कब्जों और बहुमंजिला भवनों के निर्माण से तालाबों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। इनकी भी जांच होनी चाहिए। इन विशेषज्ञों की सेवाएं लेगा एसपीए

-वनीकरण, मृदा और जल संरक्षण के लिए सेंटर फॉर मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड ईकोसिस्टम्स दिल्ली विवि और यमुना बायोडायवसिर्टी पार्क नई दिल्ली के वैज्ञानिक।

-वायु प्रदूषण व मौसम में परिवर्तन से संबंधित जानकारी को एयर क्वालिटी एंड वाटर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रोपिकल मीटरोलॉजी मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के वैज्ञानिक।

-डूब क्षेत्र के चिह्नांकन और संरक्षण को हाइड्रोलॉजिस्ट। डीके जोशी ने दायर की थी याचिका

यमुना के डूब क्षेत्र में हुए निर्माण को लेकर पर्यावरणविद स्व. डीके जोशी ने करीब छह वर्ष पूर्व याचिका दायर की थी। इसमें 19 प्रोजेक्ट थे। डूब क्षेत्र का चार बार सर्वे हो चुका है और दो बार एनजीटी के रजिस्ट्रार अपनी रिपोर्ट दे चुके हैं। इनमें से 13 प्रोजेक्ट को डूब क्षेत्र से बाहर कर दिए। मामला एनजीटी में विचाराधीन है।

हाइलाइटर

-10400 वर्ग किमी में विस्तृत है टीटीजेड।

-आठ जिलों का क्षेत्र है शामिल।

-वर्ष 1997 में बनाया गया था टीटीजेड।

-नए उद्योगों की स्थापना व पुरानों के विस्तार पर लगी है रोक।

-पहले ग्रीन कैटेगरी में था, अब व्हाइट कैटेगरी में शामिल है टीटीजेड।


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