आइसीयू में बहता रहा खून, डॉक्टर सहित पांच पर मुकदमा
आगरा: डॉक्टरों के 'जानलेवा इलाज' से प्रसूता की मौत के मामले में डाक्टर समेत पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर लापरवाही से मौत का मुकदमा दर्ज हुआ है।
जागरण संवाददाता, आगरा: डॉक्टरों के 'जानलेवा इलाज' से प्रसूता की मौत के मामले में डाक्टर समेत पांच पर मुकदमा दर्ज हुआ है। ऑपरेशन से प्रसव (सिजेरियन) के बाद प्रसूता को सघन चिकित्सा कक्ष (आइसीयू) में भर्ती किया गया था। यहां उसे इंटरनल ब्लीडिंग होती रही। तकरीबन एक घंटे तक खून बहने के बाद उसकी मौत हो गई।
टूंडला के सरस्वती नगर निवासी प्रीति उर्फ गुडि़या 28 पत्नी यतेंद्र कुमार को प्रसव पीड़ा होने पर आशा के माध्यम से मंगलवार सुबह नौ बजे सहारा मेडिसिटी हॉस्पिटल, प्रोफेसर कॉलोनी कमला नगर में भर्ती कराया गया था। यतेंद्र के मुताबिक उनसे पांच हजार रुपये की जांच और पांच हजार की दवाएं मंगाई गई। फिर बताया कि बच्चेदानी का मुंह नहीं खुला है। इसके ऑपरेशन के लिए भी 50 हजार रुपये जमा करा लिए गए। सर्जन डॉ. प्रशांत गुप्ता और एनेस्थीसिया के डॉ. एके गुप्ता ने सिजेरियन किया। दोपहर 12 बजे स्टाफ ने बताया कि बेटा हुआ है। एसीएमओ डॉ. अजय कपूर के मुताबिक डॉ. प्रशांत गुप्ता ने फोन पर बताया कि 12 बजे सिजेरियन के बाद प्रसूता को आइसीयू में शिफ्ट कर दिया था।
सूत्रों के मुताबिक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अत्यधिक रक्तस्राव से शॉक में जाने से प्रसूता की मौत का कारण सामने आया है। पेट के अंदर ब्लड क्लॉट भी मिले हैं। आशंका है कि ऑपरेशन के बाद प्रसूता के टांके लगा दिए लेकिन इंटरनल ब्लीडिंग होती रही। करीब एक घंटे तक आइसीयू में प्रसूता के रक्तस्राव होता रहा। इस वजह से ब्लड प्रेशर और पल्स रेट गिरती गई। इस दौरान वहां कोई डॉक्टर नहीं था, इसलिए पता नहीं चला। हॉस्पिटल में भर्ती है नवजात
प्रीति का यह तीसरा बेटा था, यतेंद्र फैक्ट्री में काम करते हैं। नवजात को यमुनापार में बाल रोग विशेषज्ञ के हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। सीसीटीवी कैमरे मेंअप्रशिक्षित की तरह दिखा स्टाफ का व्यवहार
पुलिस ने हॉस्पिटल की सीसीटीवी फुटेज जब्त कर ली है। इसमें साफ दिख रहा है कि रक्तस्राव देख स्टाफ के तीन लड़के और दो लड़कियां किसी अप्रशिक्षित की तरह प्रसूता के पेट में कॉटन और पट्टी ठूंस रहे हैं। हालात नहीं सुधरे तो शाम 4:15 बजे एक फिजीशियन को बुलाया गया लेकिन तब तक प्रीति की नब्ज टूट चुकी थी।
इन पर दर्ज हुआ मुकदमा
डॉ. प्रशांत गुप्ता सर्जन, डॉ. एके गुप्ता एनेस्थीसिया, डॉ. सिन्हा, हॉस्पिटल संचालक लकी यादव और जेपी यादव। जेल जा चुका है हॉस्पिटल संचालक
हॉस्पिटल का पंजीकरण पूर्व सीएमओ डॉ. अशोक बाबू शर्मा के नाम से है। हालांकि मुकदमे में उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है। हॉस्पिटल संचालक लकी यादव अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में जेल जा चुका है।
निरस्त होगा लाइसेंस
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सहारा मेडिसिटी हॉस्पिटल को सील कर दिया है। इसका पंजीकरण निरस्त किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग फाइल खंगालने में जुटा है कि जहां यह हॉस्पिटल है, वहीं पूर्व में दो अन्य हॉस्पिटल के बोर्ड लगे हुए थे। इसकी भी जांच कराई जा रही है। बच सकती थी प्रीति की जान
विशेषज्ञों के अनुसार, सिजेरियन के दौरान ब्लीडिंग का कारण बच्चेदानी का ढीला होना, आमल वेल कट जाना या कोई नस कट जाना हो सकता है। ऐसे केस में बच्चेदानी में टांके लगाकर साइज छोटा कर दिया जाता है, कुछ दवाएं भी दी जाती हैं। इससे रक्तस्राव बंद हो जाता है। मैं आज बाहर हूं, हॉस्पिटल की फाइल चेक कराने के साथ बोर्ड पर जिन डाक्टरों के नाम अंकित हैं, उन्हें नोटिस भेजा जाएगा। आशा की भी पहचान कराई जा रही है।
- डॉ. मुकेश वत्स, सीएमओ