जमीं पर उतरने को बेताब सिविल एन्क्लेव का ख्वाब
आगरा: ताजनगरी में सिविल एन्क्लेव का ख्वाब जमीं पर उतरने को बेताब है। सोमवार को पहला जमीनी काम शुरू होगा। सिविल एंक्लेव की जमीन की चहारदीवारी का उद्घाटन सांसद राम शंकर कठेरिया करेंगे। एक तरफ जमीन कम किए जाने का विवाद है तो दूसरी तरफ अतिरिक्त भूमि को सैद्धांतिक सहमति भी मिल गई है।
जागरण संवाददाता, आगरा: ताजनगरी में सिविल एन्क्लेव का ख्वाब जमीं पर उतरने को बेताब है। सोमवार को खेरिया एयरपोर्ट पर नया एन्क्लेव बनाने के लिए चहारदीवारी के काम का शुभारंभ होगा। एन्क्लेव करीब 19.8299 हेक्टेअर जमीन पर बनेगा।
केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 में जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण को सैद्धांतिक सहमति दी गई थी। उप्र सरकार ने सैफई में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की संस्तुति की थी। आगरा में विरोध के स्वर उठने के बाद यहां खेरिया एयरपोर्ट पर सिविल एन्क्लेव बनाने की बात हुई। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली तत्कालीन उप्र सरकार ने जमीन खरीद को करीब 88 करोड़ रुपये जारी कर दिए। किसानों को चार गुना मुआवजा देकर जमीन खरीदी गई। अक्टूबर, 2016 में बची हुई जमीन खरीदने को सरकार से 64.94 करोड़ रुपये जारी करने को पत्र भेजा गया, मगर पैसा नहीं मिला। मार्च, 2017 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया। सात मई को सर्किट हाउस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एन्क्लेव के लिए पैसा जारी करने की बात कही। यह पैसा अगस्त में मिल सका। इसके बाद जमीन खरीद शुरू की गई। आबादी की जगह वाली मुश्किल दूर करने को 3.4888 हेक्टेअर जमीन छोड़ने का निर्णय हुआ।
एन्क्लेव की राह का रोड़ा दूर होने के बाद अब सोमवार सुबह जगनेर रोड स्थित मुल्ला की प्याऊ पर एससी आयोग के अध्यक्ष सांसद रामशंकर कठेरिया चहारदीवारी के काम का शुभारंभ करेंगे। चहारदीवारी का निर्माण 3.48 करोड़ रुपये से होगा। यह काम लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा। इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) ने उसे 1.39 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी दे दी है। हालांकि, अभी एएआइ को जिला प्रशासन द्वारा जमीन हैंडओवर नहीं की गई है।
एएआइ खेरिया एयरपोर्ट की निदेशक कुसुम दास ने बताया कि जमीन हैंडओवर का काम अगले सप्ताह हो जाएगा। जमीन का पजेशन मिलने के बाद एन्क्लेव के भवन निर्माण की शुरुआत होगी। उसकी डीपीआर तैयार है।
2.5 एकड़ अतिरिक्त जमीन देने को सरकार तैयार
कुसुम दास ने बताया कि पार्किंग की जगह कम होने से बड़े वीआइपी एयरक्राफ्ट यहां नहीं आ पाते। हमने सरकार से 2.5 एकड़ जमीन अतिरिक्त मांगी है, जिस पर सरकार ने सहमति दे दी है। इससे भविष्य में यहां बड़े एयरक्राफ्ट भी लैंड हो सकेंगे।