एएआइ व सरकार परिवर्तित नहीं कर सकते प्लान
जागरण संवाददाता, आगरा: ताजनगरी में सिविल एन्क्लेव के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अकलंक कुमार जैन एन्क्लेव की जमीन कम किए जाने से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे एन्क्लेव का प्लान प्रभावित होगा और मानक प्रभावित होंगे। हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) व सरकार को अपने स्तर पर प्लान को चेंज करने का अधिकार नहीं है।
जागरण संवाददाता, आगरा: ताजनगरी में सिविल एन्क्लेव के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अकलंक कुमार जैन एन्क्लेव की जमीन कम किए जाने से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इससे एन्क्लेव का प्लान प्रभावित होगा और मानक प्रभावित होंगे। हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) व सरकार को अपने स्तर पर प्लान को चेंज करने का अधिकार नहीं है।
जैन रविवार दोपहर होटल केएस रॉयल में प्रेसवार्ता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि यह आगरा के इंटनेशनल एयरपोर्ट को सब-स्टैंडर्ड करने की साजिश है। कुछ लोग इसे डोमेस्टिक ही रखना चाहते हैं। यहां जमीन कम करने के बजाय विस्तार को अधिक जमीन लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट में लंबित जनहित याचिका में वह इंटरलेटिव लोकेटरी एप्लीकेशन लगाएंगे। कोर्ट के समक्ष तथ्य रखेंगे। उन्हें उम्मीद है कि आगरा एयरपोर्ट के पक्ष में आदेश होगा। वहीं, सिविल सोसायटी आगरा के महासचिव अनिल शर्मा ने बताया कि आगरा में पहले से इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहां इंटरनेशनल फ्लाइट लैंड कर सकती हैं। अगर एन्क्लेव के लिए अभी जमीन कम ली जाएगी तो बाद में उसके विस्तार को जमीन लेना मुश्किल हो जाएगा। यहां कार्गो नहीं आ सकेंगे। केंद्र व राज्य सरकार विकास व रोजगार की बात करते हैं। एयरपोर्ट इसका बड़ा जरिया हो सकता है। सरकार गोरखपुर, वाराणसी, इलाहाबाद में एयरपोर्ट के लिए जमीन खरीद को 700 करोड़ रुपये दे रही है, लेकिन आगरा में जमीन कम की जा रही है। जनप्रतिनिधि शांत हैं।
यह है मामला
वर्ष 2016 में एएआइ व उप्र सरकार के बीच हुए करार के तहत खेरिया एयरपोर्ट पर धनौली, बल्हेरा व अभयपुरा की 23.32 हेक्टेअर जमीन पर सिविल एन्क्लेव बनाने का मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) हुआ था। सात मार्च को लखनऊ में हुई एएएआइ के नोर्दर्न रीजन के डायरेक्टर व प्रमुख सचिव नागरिक उड्डयन के मध्य हुई बैठक में 3.4888 हेक्टेअर जमीन नहीं लेने पर सहमति बनी थी। केवल 19.8299 हेक्टेअर जमीन पर ही एन्क्लेव बनाया जाएगा।