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Central Jail Agra: आगरा के केंद्रीय कारागार से विष्णु की रिहाई ने बढ़ाई कई और बंदियों की उम्मीद

Central Jail Agra विष्णु की तरह कई और बंदियों की पैरवी को जेल ने की है अपील। रिहाई के दौरान फूलों की माला पहनाकर किया था विदा। केंद्रीय कारागार में 1800 से ज्यादा बंदी निरुद्ध हैं। विधिक सेवा समिति की ओर से मुहैया अधिवक्ता उनके मुकदमे की पैरवी करते हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 08:15 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 01:23 PM (IST)
Central Jail Agra: आगरा के केंद्रीय कारागार से विष्णु की रिहाई ने बढ़ाई कई और बंदियों की उम्मीद
आगरा केंद्रीय कारागार में 1800 से ज्यादा बंदी निरुद्ध हैं।

आगरा, अली अब्बास। केंद्रीय कारागार से बुधवार को 19 साल बाद विष्णु तिवारी रिहा होकर बाहर जा रहा था। मगर, वह अकेला बाहर नहीं निकल रहा था। तमाम बंदियों को एक उम्मीद देकर जा रहा था। ये वह बंदी हैं जिनकी जेल की चहारदीवारी में कोई पैरवी करने वाला नहीं है। ऐसे में जेल प्रशासन उनकी मदद को आगे आया। उनकी पैरवी के लिए जेल की ओर से अपील की गई है।

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केंद्रीय्र कारागार में वर्तमान में 1800 से ज्यादा सजायाफ्ता बंदी निरुद्ध हैं। इनमें कई बंदी ऐसे भी हैं जिनके परिवार के पास उनकी पैरवी के लिए रुपये नहीं हैं। ऐसे बंदियों की ओर से जेल प्रशासन की ओर से मुकदमे की पैरवी को अपील की जाती है। विधिक सेवा समिति की ओर से मुहैया अधिवक्ता उनके मुकदमे की पैरवी करते हैं। विष्णु तिवारी के मुकदमे की पैरवी भी इसी प्रक्रिया के तहत की गई थी।

विष्णु तिवारी को निर्दोष करार देकर उसकी रिहाई के आदेश का पता बैरक में रहने वाले साथी बंदियों को भी लग गया था। विष्णु सर्किल नंबर चार की बैरक में रहा था। उन्नीस साल बाद जेल से रिहा होकर उसके अपनों के बीच घर लौटने से साथी बंदी खुश थे। वह उसे गले मिलकर विदा कर रहे थे। उन्होंने सर्किल में लगे गेंदे के पौधे से चार फूल तोड़कर उसकी माला बनाई। विदाई के दौरान विष्णु को पहनाकर भेजा। उसे बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

जेल में 17 साल तक कभी गुस्सा नहीं हुआ विष्णु

केंद्रीय कारागार में विष्णु तिवारी के व्यवहार का वहां का स्टाफ और साथी बंदी भी हमेशा खुश थे। विष्णु ने बताया कि उसने जेल के अंदर कभी गुस्सा नहीं किया। वह अपने व्यवहार से लोगों का दिल जीतना चाहता था। इसमें काफी हद तक सफल भी रहा। यही कारण था कि जब वह जेल से बाहर निकला तो स्टाफ के कई लोगों ने उसे गले लगाकर विदाई दी।

अब खुद को अच्छा साबित करने की चुनौती

विष्णु ने जेल के अंदर भले ही अपने व्यवहार से लोगाें का दिल जीत लिया। उसका कहना था कि असली चुनौती समाज में खुद को अच्छा व्यक्ति साबित करने की है। वह घर लौटकर गांव और समाज में खुद को बेहतर इंसान साबित करेगा। 


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