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सरहद के साथ आतंरिक मोर्चें पर भी हैं ये चुनौतियां, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

आगरा मंडल में पुलिस सुरक्षा बढ़ाए जाने की जरूरत। कहीं स्लीपिंग मॉड्यूल का न करना पड़ जाए सामना।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 04:48 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 06:18 PM (IST)
सरहद के साथ आतंरिक मोर्चें पर भी हैं ये चुनौतियां, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर
सरहद के साथ आतंरिक मोर्चें पर भी हैं ये चुनौतियां, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

आगरा, प्रतीक गुप्‍ता। पुलवामा में आत्मघाती हमला सरहद पर नहीं बल्कि घर के अंदर हुआ। सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही अलर्ट जारी किया था, उसकी सीधे तौर पर अनदेखी हुई और यही भारी पड़ी। दुश्मन तो सबक बाद में सिखाया जाएगा पर घटना का सबब यह है कि आंतरिक मोर्चे पर हम चुनौतियों से निपटने में कितने सक्षम हैं, यह भी परखा जाए। बेशक श्रीनगर और उत्तर प्रदेश के हालात जुदा हैं। इसका मतलब यह नहीं कि खतरा यहां कम है। यूपी में स्लीपिंग मॉड्यूल सामने आते रहे हैं। दहशतगर्द जब 2500 सैनिकों के काफिले पर हमला कर सकते हैं तो अमन पसंद इलाकों में हिंसा की आग भड़काने को साजिश भी रच सकते हैं। अयोध्या और काशी के साथ ताजनगरी और कान्हा की नगरी भी संवेदनशील है। 

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सैलानियों के शहर की चौकसी जरूरी

ताजनगरी में हर साल बढ़े पैमाने पर विदेशी सैलानी आते हैं। यूं तो पूरी जांच-पड़ताल के साथ पर्यटक यहां आते हैं लेकिन सैलानियों की आमद को देखते हुए ताज का शहर आतंकियों के निशाने पर रह सकता है। शहर में चौकसी बढ़ाए जाने की आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही है। वहीं होटलों में भी पर्यटकों का रिकार्ड नियमित रूप में परखा जाए। वर्तमान में शहर में कांस्टेबल की संख्या है, इसे बढ़ाए जाने की भी जरूरत है। आगरा जिले में इस समय 43 थाने, 102 चौकियां और सात रिपोर्टिंग पुलिस चौकियां हैं। कमला नगर और रुनकता थाना बनाए जाने को लंबे समय से प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं, लेकिन अभी तक थाने नहीं बन सके हैं।

पुलिस वाहनों की व्यवस्था

- हर जिले में यूपी 100 की पीआरवी के रूप में इनोवा और बोलेरो गाडिय़ां उपलब्ध हैं। इनको स्थान निर्धारित कर खड़ा कराया जाता है। कंट्रोल रूम में सूचना मिलने पर संबंधित क्षेत्र की गाड़ी को सूचना दी जाती है।

- थानों में पुरानी जीप को हटाकर दो वर्ष पूर्व महेंद्रा थार जीप और जिप्सी दे दी गई थीं। अब कई थानों में टाटा सूमो भी उपलब्ध करा दी हैं।

किस गाड़ी को कितना डीजल-पेट्रोल

- थानाध्यक्ष की जीप को 210 लीटर डीजल व अन्य सभी गाडिय़ों को 200 लीटर पेट्रोल या डीजल प्रतिमाह सरकार की ओर से आवंटित है।

- चीता मोबाइल के संचालन के लिए प्रतिमाह 60 लीटर पेट्रोल मिलता है।

- थानाध्यक्ष की गाड़ी औसतन प्रतिमाह 2100 किमी चलती है।

रेलवे की सुरक्षा भगवान भरोसे

रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था जीआरपी और आरपीएफ के कंधे पर है। लेकिन यहां भी जरूरत के मुताबिक, स्टाफ नहीं है। ऐसे में सुरक्षा व्यस्था भगवान भरोसे है। आगरा में जीआरपी के दो थाने और तीन चौकियां हैं। कैंट में जीआरपी थाने के अंतर्गत राजा की मंडी की चौकी आती है, तो आगरा फोर्ट थाने के अंतर्गत ईदगाह और अछनेरा जीआरपी की चौकी।

निरीक्षक ज्यादा, सिपाही कम

जीआरपी इंस्पेक्टर के पद तो 12 ही स्वीकृत हैं लेकिन उनके सापेक्ष आगरा में 17 इंस्पेक्टर हैं। जबकि प्रतिसार निरीक्षक हैं ही नहीं। उप निरीक्षक नागरिक पुलिस के आठ पद खाली हैं। उप निरीक्षक सशस्त्र पुलिस का पद भी खाली है। सहायक उप निरीक्षक के 6 और कांस्टेबल के 197 पद खाली हैं।

आरपीएफ में एएसआइ व हेड कांस्टेबल कम

आरपीएफ के आठ थाने और सात चौकी हैं। इनमें एएसआइ 53 के सापेक्ष 44 ही कार्यरत हैं। हेड कांस्टेबल के पद पर 176 के मुकाबले 156 की तैनाती है। जबकि कांस्टेबल 248 के मुकाबले 224 ही हैं।

कान्हा की नगरी में विशेष चौकसी

कान्हा की नगरी में जन्मभूमि परिसर को देखते हुए विशेष चौकसी बरती जा रही है। यहां एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज के साथ पांच एसपी तैनात हैं। इनमें एसपी सुरक्षा, एसपी ट्रैफिक, एसपी क्राइम, एसपी सिटी और एसपी देहात हैं। जिले में चार कोतवाली मथुरा, छाता, सुरीर और वृंदावन सहित 21 थाने, 65 चौकियां हैं, इसमें पांच रिपोर्टिंग चौकी हैं। जिले में वर्तमान में करीब 2400 जवान तैनात हैं। हाल ही में जिले को 101 महिला और 386 पुरुष आरक्षी मिले हैं। इन्हें सभी थानों में जरूरत के हिसाब से तैनाती दी गई है। हालांकि करीब 500 जवानों की जिले में और आवश्यकता है। प्रत्येक थाने पर गाड़ी मौजूद है वहीं यूपी-100 की 90 गाड़ी और बाइक हैं। जिले में जीआरपी में करीब 128 जवान हैं और 12 जवान की अभी और आवश्यकता है, जबकि आरपीएफ में यहां 60 जवान तैनात हैं।

सुहागनगरी में चौकियों पर ताले की सुरक्षा

सुहागनगरी में कुछ पुलिस चौकियां ऐसी हैं, जिनकी सुरक्षा ताला लटकाकर की जा रही है। इंडस्ट्रीयल एरिया पुलिस चौकी इसका एक उदाहरण है। पर्याप्त पुलिसकर्मियों के अभाव में गश्त के दौरान यहां तैनात स्टाफ चौकी पर ताला डालकर जाता है। जिले में विभिन्न पदों पर 3358 पुलिस बल का नियतन है। इसके सापेक्ष करीब 300 पुलिसकर्मी कम हैं।

- पुलिस कर्मियों के पास 90 वाहन हैं। इनमें से करीब एक दर्जन वाहनों को कुंभ मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रयागराज भेजा गया है।

- जिले में जीआरपी के थाने फीरोजाबाद और टूंडला में हैं। शिकोहाबाद में पुलिस चौकी है, लेकिन न भवन हैं और न फोर्स। टिन शेड और तिरपाल में पुलिस चौकी चल रही है। सुविधाओं के नाम पर थानेदार के लिए भी आवास नहीं है।

- जिले में आरपीएफ के टूंडला, फीरोजाबाद, शिकोहाबाद में थाने हैं। आरपीएफ में भी जवानों की कमी है।

मैनपुरी में 1200 पुलिसकर्मी करते हैं आंतरिक निगरानी

जिले की आंतरिक सुरक्षा को 1200 पुलिसकर्मियों के साथ 800 होमगार्ड व पीआरडी के जवान संभाल रहे हैं। इसके लिए 14 थाने, 42 चौकियां को कार्यक्षेत्र दिया गया है। मैनपुरी, भोगांव, करहल व कुरावली में कोतवाली स्थापित की गई है। इसके अलावा महिला थाना सहित 10 थानों के जरिए कानून व्यवस्था पर नजर रखी जाती है।

- थानों और चौकियों पर वाहनों की संख्या पर्याप्त है। इनके साथ यूपी 100 और बाइक मोबाइल टीमें आदि भी वाहनों पर सक्रिय रहती हैं।

चार नए थानों की है जरूरत

जिले में नए थानों की स्थापना की मांग उठती रही है। रिपोर्टिंग चौकी कुसमरा पर रिपोर्टिंग बंद होने के बाद क्षेत्र के लोग यहां थाना स्थापित कराने की मांग कर रहे हैं। पुलिस अधीक्षक अजय शंकर राय ने कुसमरा, अलीपुर खेड़ा, कीरतपुर व कोतवाली देहात के नाम से चार नए थाने स्थापित कराने का प्रस्ताव फिर से शासन को भेजा है।

एटा में फोर्स और संसाधनों की कमी

जिला काफी समय से फोर्स की कमी से जूझ रहा है। संसाधन भी पर्याप्त नहीं हैं। थानों, चौकियों में जितना पुलिस बल होना चाहिए उतना नहीं है। संसाधनों के नाम पर पुरानी राइफलों से ही काम चलाया जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में तमाम नए वाहन पुलिस को मिले हैं, लेकिन खटारा वाहन हटे नहीं हैं। आपात स्थिति से निपटने के लिए जब अतिरिक्त फोर्स की जरूरत होती है तो पीएसी की 43वीं बटालियन यहां मौजूद है, लेकिन जीआरपी की स्थिति यहां न के बराबर है।

- जिले में 19 थाने हैं, जबकि आवश्यकता फिलहाल 21 की है। इनमें एक महिला थाना भी शामिल है, दो नए थाने प्रस्तावित हैं।

- एटा में 112 पुलिस चौकियां हैं जो 20 से लेकर 25 हजार की आबादी के ऊपर हैं। 11 नई पुलिस चौकियों की आवश्यकता है।

- जीआरपी का एक थाना जिला मुख्यालय पर है, जिसमें थाना प्रभारी समेत 10 सदस्यीय स्टाफ तैनात है। आरपीएफ की यहां कोई गतिविधि नहीं है।

- एटा पुलिस के पास 43 यूपी 100 गाडिय़ां, 19 थाना प्रभारियों के वाहन समेत 100 से ज्यादा बड़े वाहनों का नेटवर्क है, जबकि पांच और गाडिय़ां मांगी गईं हैं।

कासगंज में 25 फीसद फोर्स है कम

कासगंज में पुलिस भी अभावों से जूझ रही है। 11 थानों और 22 पुलिस चौकियों में पर्याप्त पुलिस बल नहीं है। कासगंज में 225 कांस्टेबल की जरूरत है, लेकिन यहां पर 150 से ही काम चलाना पड़ रहा है। थाने के लिहाज से देखें तो जिले में तीन थानों की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके लिए तीन चौकी को थाने के रूप में परिवर्तित किया जाना प्रस्तावित है। दरियावगंज, मोहनपुरा एवं पचलाना चौकी पर अभी मात्र एक दारोगा के साथ कुछ कांस्टेबल की तैनाती है, जबकि इनका क्षेत्र बड़ा होने के कारण यहां पर थाने की जरूरत है।

जीआरपी में कांस्टेबल से ले रहे हैं हैड कांस्टेबल का काम

जीआरपी के जिले में दो थाने हैं। कासगंज थाने की सीमा सिकंदराराऊ आउटर से कासगंज सिटी तक है। वहीं गंजडुंडवारा जीआरपी कासगंज सिटी से गंजडुंडवारा, सहावर एवं पटियाली तक के क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था देखती है। जीआरपी में वैसे तो मानव शक्ति कम नहीं है, लेकिन हाल यह है कांस्टेबल से हैड कांस्टेबल का काम चलाना पड़ रहा है।

यूपी 100 का भी इंतजार

थाने एवं चौकी पर वाहन एवं अन्य संसाधन पूर्ण हैं, लेकिन जिले में यूपी 100 के मात्र 19 वाहन हैं, जबकि जरूरत 24 की है। ऐसे में पांच अन्य गाडिय़ों का इंतजार है।

पुलिसकर्मियों का नियतन और उपलब्धता के आंकड़े

आगरा

पद, नियतन, उपलब्धता

इंस्पेक्टर-101, 78

सब इंस्पेक्टर-450, 559

हेड कांस्टेबल-615, 1036

कांस्टेबल-4100, 3058

मथुरा

इंस्पेक्टर- 54, 54

सब इंस्पेक्टर-300,376

हेड कांस्टेबल- 336, 714

कांस्टेबल-2185, 1445

फीरोजाबाद

इंस्पेक्टर-54, 32

सब इंस्पेक्टर-210,281

हेड कांस्टेबल-269, 581

कांस्टेबल-1551, 970

मैनपुरी

इंस्पेक्टर-39, 26

सब इंस्पेक्टर-140, 197

हेड कांस्टेबल-205, 296

कांस्टेबल- 1181, 885

एटा

इंस्पेक्टर-43, 34

सब इंस्पेक्टर-170, 195

हेड कांस्टेबल-240,304

कांस्टेबल-1266, 924

कासगंज

इंस्पेक्टर-27,28

सब इंस्पेक्टर-105, 192

हेड कांस्टेबल-146, 317

कांस्टेबल-789, 748

नए थाने और चौकी के लिए ये हैं नियम

पुलिस आयोग 1960-61 की संस्तुतियों के अनुरूप नवीन थाने, ग्रामीण थाने और रिर्पोटिंग चौकियों के लिए मानक तय किए गए हैं। शहरी क्षेत्र में नवीन थाना खोले जाने के लिए मानक जनसंख्या का 50,000 या इससे अधिक होना आवश्यक है। वहीं नवीन ग्रामीण थाने के लिए क्षेत्रफल 113 वर्गमील और आबादी 75 से 90 हजार के मध्य होना आवश्यक है। रिपोर्टिंग चौकी के लिए थाने से 10 किमी. की दूरी और 15,000 की जनसंख्या का मानक है। आतंक या दस्यु प्रभावित क्षेत्र तथा अन्य विशेष परिस्थितियों में इस मानक के पूर्ण न होने पर भी रिपोर्टिंग चौकी की स्थापना की जा सकती है।  


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