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पसीजा बेटों का दिल, मां को मिला आशियाना, जानिए कैसे

नौ माह से आश्रम में रह रही मां को लेने पहुंचे चार बेटे सीने से लगा बोले अब घर चल मां मां के छलके खुशी के आंसू

By Edited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 10:00 AM (IST)
पसीजा बेटों का दिल, मां को मिला आशियाना, जानिए कैसे
पसीजा बेटों का दिल, मां को मिला आशियाना, जानिए कैसे
आगरा, मनोज कुमार। मां हर रोज दरवाजे पर अपनों की राह तकती रही। अपनों से मिलने के सपने पलकों पर ठिठके रहे। जिदंगी की नई सुबह की उम्मीद में हर रात गुजरती। लेकिन उम्मीदों की किरण कभी बेबस मां के दामन में नहीं बिखरीं। नौ माह तक मां दिन काटती रही, लेकिन होली पर जो सौगात मिली, वह जिंदगी की सारी खुशियों से बढ़कर थी। जो अपने उस मां को वृद्धाश्रम छोड़ गए। होली पर मां के आंचल में खुशियों के रंग भर दिए। चार बेटे खुद मां को लेने वृद्धाश्रम की देहरी पर पहुंचे। मां को आवाज लगाई, तो आंखों से आंसू की नदिया बह चली। मां और बेटे का मिलन का माध्यम बना दैनिक जागरण। लोहामंडी में रहने वाली शांति शर्मा को गृह क्लेश के कारण बीते वर्ष जून में बेटी आशा व दामाद संजय वृद्धाश्रम में छोड़ गए थे। शांति के चार बेटे हैं, लेकिन अपने पास नहीं रखते। मां को यहां दूसरों के सहारे छोड़ गई बेटी की अंतरात्मा ने फिर पुकारा, तो दो माह बाद ही शांति को अपने घर ले गई। लेकिन ससुरालीजनों के तानों से बेबस होकर दस दिन बाद ही फिर आश्रम पहुंचा दिया। शहर में ही रह रहे शांति के चार बेटे मां की अनदेखी करते रहे। शुक्रवार को शांति के बेटे मुकेश, पप्पू, जगदीश और योगेश अचानक आश्रम पहुंच गए। बोले, हम शर्मिदा हैं, मां को साथ ले जाना चाहते हैं। विश्वास दिलाया कि मां को दुनिया की हर खुशी देंगे। ये एक मां का कलेजा था,जिन बेटों ने साथ रखने से इन्कार किया, उनके लिए फिर भी शांति के मुंह से हजार दुआएं निकलीं। बेटों को सीने से लगाया और बोल उठीं, तुम तो मेरी जिंदगी हो। आंखों से बहते आंसू पोछने को बेटों ने हाथ बढ़ाए, तो शांति बोलीं, खुशी के हैं। हंसी-खुशी चारों बेटे शांति को घर ले जाने लगे, तो आश्रम को भी दुआएं देती गईं। जागरण के प्रयास से मिले मां-बेटे आश्रम के अध्यक्ष शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि आश्रम की गतिविधियों को दैनिक जागरण प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है। होली मिलन कर जागरण ने जब बुजुर्गो का दर्द छापा, तो शांति के बेटों का दिल भी पसीज गया। जागरण की प्रेरणा पर ही वह अपनी मां को लेने आश्रम पहुंचे।

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