आगरा में गैलाना क्षेत्र का 11 करोड़ ईडीसी हजम कर रहे एडीए अफसर
आठ साल के भीतर जमा हुई रकम न बनी नाली और न ही नाले का निर्माण। एक साल के भीतर क्षेत्रीय लोग एडीए अफसरों से कर चुके हैं 45 शिकायतें। अफसरों की मनमानी गैलाना क्षेत्र के हजारों लोगों पर भारी पड़ रही है।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) के अफसरों की मनमानी गैलाना क्षेत्र के हजारों लोगों पर भारी पड़ रही है। आठ साल के भीतर 11 करोड़ रुपये बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) में जमा हुए हैं, लेकिन एडीए अफसरों ने नाली, नाला और स्ट्रीट लाइट तक नहीं लगाई हैं। एक साल के भीतर क्षेत्रीय लोगों ने अफसरों से 45 शिकायतें की हैं। शिकायतों का फर्जी तरीके से निस्तारण कर दिया गया।
गैलाना और निर्भय नगर के एक किमी के दायरे में दर्जनभर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग हैं। अधिकांश बिल्डिंग पांच से छह खंड की हैं। हर बिल्डिंग में 30 से 50 फ्लैट हैं जबकि इस क्षेत्र में भूखंड 50 से 700 वर्ग मीटर तक के हैं। एडीए से नक्शा पास कराने के दौरान भू स्वामियों और बिल्डरों ने ईडीसी जमा कराया। उम्मीद थी कि ईडीसी की धनराशि को क्षेत्र के विकास में खर्च किया जाएगा क्योंकि ईडीसी से नाली, नाला का निर्माण किया जाना चाहिए। साथ ही स्ट्रीट लाइट लगानी चाहिए। इस क्षेत्र से 80 फीसद से अधिक धनराशि जमा हुई है, लेकिन इसके बाद भी एडीए अफसरों ने क्षेत्र के विकास को लेकर कोई प्लानिंग नहीं की। एडीए उपाध्यक्ष डाॅ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि क्षेत्र में विकास न होने को लेकर संबंधित अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई है।
क्षेत्रीय निवासियों ने लगाए आरोप
ईडीसी में करोड़ों रुपये गैलाना क्षेत्र से जमा हुए हैं। एडीए ने कोई भी विकास कार्य नहीं कराया है।
-विकलेश यादव, पार्षद गैलाना
ईडीसी की धनराशि को क्षेत्र के विकास में खर्च किया जाता तो जनता को सहूलियत रहती। एडीए अफसरों ने गैलाना और उसके आसपास के लोगों के साथ छल किया है।
-हरेंद्र, क्षेत्रीय निवासी
ईडीसी की धनराशि को खर्च करने की अलग से प्लानिंग होनी चाहिए। इससे गैलाना सहित अन्य क्षेत्रों का तेजी से विकास होता। इस कार्य में एडीए अफसर फेल रहे हैं।
-नितिन सचदेवा, क्षेत्रीय निवासी