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आगरा के इन क्षेत्रों को एक रोड बनाने के बाद भूल गया एडीए, ईडीसी का नहीं रखा ध्यान

भावना एस्टेट रजरई दयालबाग शमसाबाद रोड सहित शहर के कई अन्य क्षेत्र की कालोनियां हैं शामिल। ईडीसी जमा होने के बाद भी एडीए ने ठीक तरीके से नहीं तैयार किया प्लान शिकायतों पर नहीं लिया एक्शन।एडीए ने ईडीसी जमा कराने के बावजूद मल्टीस्टोरी के आसपास नहीं कराया काम।

By Nirlosh KumarEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 04:20 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 04:20 PM (IST)
आगरा के इन क्षेत्रों को एक रोड बनाने के बाद भूल गया एडीए, ईडीसी का नहीं रखा ध्यान
एडीए ने ईडीसी जमा कराने के बावजूद मल्टीस्टोरी के आसपास नहीं कराया काम।

आगरा, जागरण संवाददाता।

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-नेशनल हाईवे-19 स्थित भावना एस्टेट में वर्ष 2003-04 से काम शुरू हुआ था। एडीए में निर्धारित बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) जमा कराया गया। धीरे-धीरे इस क्षेत्र में कावेरी कास्तुम, नील फ्लोरेंस, नालंदा टावर, गणपति रेजीडेंसी, आनंदा सहित दर्जनभर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बन चुकी हैं। मल्टीस्टोरी बिल्डिंग से एडीए को 27 करोड़ रुपये ईडीसी मिला। एडीए ने वर्ष 2009 में एक करोड़ रुपये से भावना एस्टेट रोड का निर्माण कर दिया। रोड के दोनों ओर न तो नाला बनाया गया और न ही समुचित जल निकासी का इंतजाम किया गया। यहां तक कि मानकों के अनुरूप ईडीसी का पैसा खर्च नहीं किया गया। क्षेत्रीय लोगों ने इसकी शिकायतें कीं, लेकिन जांच का आश्वासन देकर अफसरों ने पल्ला झाड़ लिया।

-ताजनगरी फेज-दो स्थित रजरई रोड और उसके आसपास डेढ़ दर्जन मल्टीस्टोरी स्टोरी बिल्डिंग बनी हैं। इनमें एडीए हाइट्स, पार्श्वनाथ पंचवटी सहित अन्य शामिल हैं। दस साल के भीतर इस क्षेत्र का तेजी से विकास हुआ। बिल्डरों ने 19 करोड़ रुपये का बाह्य विकास शुल्क जमा कराया। नक्शे के अनुरूप मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनीं, लेकिन जिस तरीके से एडीए को क्षेत्र में विकास कराना चाहिए, वह नहीं किया गया। दो साल में एक रोड का निर्माण किया गया। यहां तक 300 मीटर हिस्से में कनेक्टिवटी रोड का निर्माण नहीं किया गया है। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी कई शिकायतें भी हो चुकी हैं।

-दयालबाग क्षेत्र में आठ साल के भीतर 15 करोड़ रुपये का विकास शुल्क जमा हुआ है। यह हाउसिंग ग्रुप से जमा हुआ है। एडीए के खाते में इतनी रकम आने के बाद भी जिस तरीके से विकास कार्य होने चाहिए, उन्हें नहीं किया जा रहा है। यहां तक कार्यों की सूची तैयार नहीं की गई है। तीन साल पूर्व दयालबाग में दो करोड़ रुपये से रोड बनी थी। इसके बाद एडीए अफसरों ने पल्ला झाड़ लिया। क्षेत्रीय लोगों ने शिकायतें कीं तो अफसरों ने जांच का आश्वासन दिया लेकिन 100 मीटर से लेकर 500 मीटर तक रोड का निर्माण नहीं किया गया। रोड और गलियां बदहाल पड़ी हैं। एडीए और नगर निगम में सुनवाई नहीं हो रही है।

शहर में तीन प्रमुख क्षेत्रों का हाल है जहां ग्रुप हाउसिंग का नक्शा पास कराने के बाद आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) द्वारा तय बाह्य विकास शुल्क जमा कराया गया, लेकिन भावना एस्टेट हो या फिर रजरई, शमसाबाद रोड और दयालबाग क्षेत्र। इन क्षेत्रों में जिस तरीके से विकास कार्य होने चाहिए, एडीए अफसरों ने न तो उनका प्लान तैयार किया और न ही शिकायतों का संज्ञान लेकर ठोस कदम उठाया। यही वजह है कि जिस तरीके से संबंधित क्षेत्रों में विकास होने चाहिए, वह नहीं हो सके। यहां तक कि अवैध निर्माण को भी बढ़ावा मिल गया। जिस तरीके से सुनियोजित विकास होना चाहिए, उसे झटका लगा है। पैसा खर्च करने के बाद भी लोग खराब रोड, स्ट्रीट लाइट न होने और जलभराव की समस्या से परेशान होते हैं।

कंफेडरेशन आफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (क्रेडाई) आगरा शाखा के पदाधिकारियों और एडीए अफसरों के बीच तीन साल के भीतर दो दर्जन बैठकें हो चुकी हैं। हर बैठक में पदाधिकारियों ने ईडीसी को संबंधित क्षेत्र में खर्च करने का मुद्दा उठाया। एडीए अफसरों ने जल्द इस पर कार्य करने का आश्वासन दिया लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

ईडीसी सही तरह से खर्च हो तो हो क्षेत्र का विकास

क्रेडाई आगरा के जिलाध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बताया कि बिल्डरों द्वारा संबंधित क्षेत्रों का जो भी ईडीसी जमा कराया जाता है, अगर उसे सही तरीके से खर्च कर दिया जाए तो उस क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। इससे एडीए के राजस्व में बढ़ोत्तरी से इन्कार नहीं किया जा सकता है। लोगों को रोड, नाला निर्माण और स्ट्रीट लाइट की सुविधा मिल सकेगी।

जिस क्षेत्र का ईडीसी हो, वहीं खर्च हो

क्रेडाई की उप्र शाखा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शोभिक गोयल ने बताया कि जिस क्षेत्र से ईडीसी जमा हो रहा है, उसे उस क्षेत्र में खर्च किया जाना चाहिए। इससे संबंधित क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। इससे एडीए के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।

2009 के बाद नहीं हुआ कोई काम

भावना ग्रुप के निदेशक भगत सिंह बघेल ने बताया कि भावना एस्टेट में वर्ष 2009 में एक करोड़ रुपये से रोड का निर्माण हुआ था। इसके बाद अन्य कोई कार्य नहीं कराया गया है। विभिन्न कार्य होने से क्षेत्र का तेजी से विकास होगा।


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