Acid Attack: आगरा में एसिड अटैक पीड़िता पाई- पाई को हुई मोहताज, मदद को बनी फाइल का हुआ ये हाल
Acid Attack बोदला के वैशाली नगर में चार अप्रैल 2019 को पति ने पत्नी को तेजाब से जला दिया था। वर्ष 2015 में किया था प्रेम विवाह चावल को जीरे का तड़का लगाने पर हुआ था विवाद। पति दो साल से जेल में।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में डेढ़ साल पहले एसिड अटैक की शिकार पीड़िता सरकारी मदद की आस में पाई-पाई की मोहताज हो गई। उसे सरकारी मदद के लिए भेजी गई फाइल पर विभाग में जमी धूल को हटाने की जिम्मेदाराें ने जहमत नहीं उठाई। इसके चलते पीड़िता को दो बच्चों का पालन-पोषण करना कठिन हो रहा है। पहले उनका दूध बंद करना पड़ा, अब एक टाइम का खाना बंद करने की नौबत आ गई है। पीड़िता ने मामले में अधिकारियों से गुहार लगाई है।
जगदीशपुरा के बोदला स्थित वैशाली नगर निवासी निशा वर्मा (23 साल) की शादी वर्ष 2015 में मुकेश वर्मा हुई थी। पति ने उन पर दबाव बनाकर प्रेम विवाह के लिए मजबूर किया था। उन्होंने इसे अपनी किस्मत मानकर शादी कर ली। यह सोचकर कि शादी के बाद मुकेश में बदलाव आ जाएगा। वह चांदी का कारीगरी का काम करता था। पति का रवैया शादी के बाद भी नहीं बदला। इस दौरान उनके दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी भी हो गए। बेटी चार और बेटा दो साल का है। पति आए दिन मारपीट करता। वह यदि किसी रिश्तेदार से भी बात कर लेतीं तो उन पर शक करता था।
निशा ने बताया वह चार अप्रैल 2019 की काली तारीख को कभी नहीं भूल सकतीं। पति दो सप्ताह से खुद को बीमार बताकर घर पर था। उन्होंने चावल में जीरे का तड़का लगा दिया। इसे लेकर वह झगड़ा करने लगा। किसी तरह विवाद को शांत किया। दोपहर में बच्चों को सुलाने के लिए पंखा चलाया तो पति ने बंद कर दिया। उनसे दोबारा झगड़ा करने लगा। विवाद बढ़ने के बाद पति तेजाब लेकर आया और उसके सिर पर उड़ेल दिया। इससे उसका चेहरा और पूरा शरीर झुलस गया। वह दर्द से बुरी तरह चीखने लगी। पति को उसका चीखना पसंद आ रहा था।
पड़ोस के लोगों की सूचना पर बोदला में रहने वाले उसके मायके वाले वहां पहुंचे। उन्होंने एसएन में भर्ती कराया। निशा के भाई ने उसके पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने आरोपित मुकेश को जेल भेज दिया। एसएन में उसका इलाज कराने के बाद यहां से सफदरजंग रेफर कर दिया। डेढ़ साल से उसका इलाज चल रहा है। मगर,उसका एक कान और दाईं आंख एसिड अटैक में खराब हो गई। उसका मायका मूलरूप से फर्रुखाबाद के थाना मऊ दरवाजा का है। स्वजन उसे अपने साथ लेकर चले गए। उसका इलाज कराने में उनकी जमा पूंजी खर्चा हो गई।
एसिड अटैक पीड़िता को महिला मिलने वाली सहायता के लिए उसकी फाइल महिला सहायता प्रकोष्ठ से प्रस्ताव तैयार करके संबंधित विभाग को भेज दी गई। मगर, फाइल अभी तक आगे नहीं बढ़ सकी है। तीन महीने पहले उसके पिता की कैंसर से मौत हो गई। इससे उसकी आर्थिक स्थिति बदतर हो गई। उसे अपने बच्चों का दूध तक बंद करना पड़ा। अब हालात ये हैं कि उसे अपने और बच्चों की एक वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल साबित हो रहा है। उसने जिला अस्पताल, डीएम और एसएसपी के यहां प्रार्थना पत्र दिए लेकिन उन पर सुनवाई नहीं हुई।
फाइल में यह हैं पेंच
आर्थिक मदद की फाइल जिला अस्पताल से जिला प्रोबेशन अधिकारी के यहां भेजी गई थी। इसमें गलती से यह लिखना रह गया कि वह कितने फीसद जली है। निशा वर्मा के अनुसार डीपीओ कार्यालय और जिला अस्पताल द्वारा यह गलती सही करने के बाद उसे मदद मिलने का रास्ता साफ हो सकता है। एसएन के डाक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में उसे तेजाब से 55 फीसद जलना बताया है। जबकि सफदरजंग में डाक्टरो ने 70 फीसद जलना बताया है।
लगा था कि हाथ में डंडा है, चुपचाप पिट लूंगी
निशा ने बताया चार अप्रैल की दोपहर में जब पति पीछे हाथ में तेजाब की बोतल छिपाकर लाया था। उसे लगा था कि पति डंडा लेकर आया है।उसे पीट लेगा तो शांत हाे जाएगा। उसे नहीं मालूम था कि पति तेजाब से भरी बोतल लेकर आया है। उस पर डालकर मारना चाहता है।