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एक ऐसी यूनिवर्सिटी, जहां छात्रोंं का अनुशासन बढ़ाता है रकम की तरह खाते में नंबर

दयालबाग एजूकेशनल इंस्‍टीट्यूट आगरा में हर गलती पर कटते हैं अंक। प्रोक्टर रखते हैं छात्रों के बहीखाते पर नजर। छात्रों को पूरा साल यह अंक बचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। अनुशासन की महत्ता सिखाने के लिए संस्थान में यह कदम उठाया गया है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 12:45 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 12:45 PM (IST)
एक ऐसी यूनिवर्सिटी, जहां छात्रोंं का अनुशासन बढ़ाता है रकम की तरह खाते में नंबर
डीइआई में छात्रों को अनुशासित बनाने पर खासा ध्‍यान दिया जाता है।

आगरा, प्रभजोत कौर। हर शिक्षण संस्थान में जितना जरूरी शिक्षण है, उतना ही जरूरी अनुशासन भी होता है। लेकिन दयालबाग शिक्षण संस्थान (डीईआइ) में अनुशासन के 200 अंक है। यह अंक स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले हर छात्र के खाते में जमा हो जाते हैं। हर गलती पर इस खाते से अंक कट जाते हैं। छात्रों को पूरा साल यह अंक बचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है।

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संस्थान में एक साल में दो सेमेस्टर हैं, हर सेमेस्टर के 100 अंक होते हैं। छात्रों को अपनी यूनीफार्म से लेकर उपस्थिति तक के नंबर बचाने होते हैं वर्ना साल के अंत में अंक कट जाएंगे। यूनीफार्म पूरी न पहनी हो तो पांच नंबर, अनुपस्थित होने पर तीन नंबर कटते हैं। हर प्रोक्टर पर 20 से 25 छात्रों की जिम्मेदारी होती है, जो उनकी हर हरकत पर नजर रखते हैं और अंकों का बहीखाता संभालते हैं। यही प्रोक्टर छात्रों की हर गलती पर नंबर काटते हैं। साल के अंत में बचे नंबर छात्र के कुल अंकों में जुड़ते हैं। जिससे उसका फीसद भी बढ़ता है।

इन गलतियों के कटते हैं नंबर

कक्षा के अंदर व बाहर छात्र का व्यवहार, अपने सहपाठियों के साथ उनका बर्ताव, हड़ताल, संस्थान परिसर में उनके संसाधनों को हानि पहुंचाना, नकल करना, होमवर्क समय से करना, कापियों की चैकिंग, संस्थान के कार्यक्रमों में छात्र की सहभागिता।

हर रोज होती है परीक्षा

संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों को हर रोज परीक्षा देनी होती है। शिक्षक हर रोज जो भी पढ़ाते हैं, उससे संबंधित सवाल छात्रों से पूछे जाते हैं, जिनका जवाब उन्हें उसी दिन देना होता है। इसके अंक भी जुड़ते हैं। अगर कोई छात्र उस दिन सवाल का जवाब नहीं देता है, तो अंक नहीं जुड़ते हैं।

600 अंक हैं को-करिकुलर एक्टिविटी के

छात्रों के खाते में 600 अंक जुड़ते हैं, जिसमें अनुशासन के 200 अंक के अलावा खेलकूद के 200 व सांस्कृतिक-साहित्यिक गतिविधियों के 200 अंक भी शामिल हैं। खेलकूद व सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियों के 200 अंकों को भी 100-100 अंकों में बांट दिया गया है। 100 अंक सहभागिता के और 100 अंक उनकी उपलब्धियों के हैं।

इस तरह बंटे हैं अंक

हर सेमेस्टर के एकेडमिक सेशन के 50 अंक हैं, जिसमें से 20 अंक उपस्थिति के हैं, बाकी के 30 नंबर रूचि, छात्र की सहभागिता, परफार्मेंस और अनुशासन के हैं।व्यक्तिगत तौर पर किसी प्रतियोगिता में भाग लेने पर छात्र को आठ अंक मिलते हैं, जबकि समूह में पांच अंक दिए जाते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने पर 20, राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के 15 व जनपदीय स्तरीय के लिए 10 अंक हैं। क्लास कैप्टन बनने पर 20, क्लास वाइस कैप्टन को 15, बैच परफेक्ट को 15, बैच असिस्टेंट परफेक्ट को 10 व कार्डीनेटर आफ एक्टिविटी के 15 अंक हैं।

अनुशासन की महत्ता सिखाने के लिए संस्थान में यह कदम उठाया गया है। अनुशासन तोड़ने पर सजा नहीं दी जाती बल्कि अंक काटे जाते हैं, इससे छात्र अपने अंक बचाने के लिए पूरी मेहनत करते हैं।

- प्रो. जेके वर्मा, प्रोक्टर


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