DVVNL: चार साल से नसीब नहीं हुआ एक घूंट पानी, 264 किलोमीटर पैदल चलकर आगरा पहुंचा किसान
कानपुर देहात के जगदीशपुर निवासी श्याम सुंदर आगरा में पावर कारपोरेशन के एमडी को बताने आए थे अपनी पीड़ा। कर्मचारियों ने गेट से लौटाकर अधीक्षण अभियंता (भंडार) कार्यालय भेजा। किसान श्याम सुंदर ने वर्ष 2018 में नलकूप कनेक्शन के आवेदन किया था।
आगरा, सुबान खान। कानपुर के रहने वाले श्याम सुंदर ने नलकूप लगवाने के लिए चार वर्ष पहले डेढ़ बीघा जमीन बेची थी। 77 हजार रुपये से ज्यादा रकम विद्युत वितरण खंड पुखराया में जमा कर दी। बाकी रकम सड़क दुर्घटना में घायल बेटे के इलाज में लगा दी। उनका बेटा तो जिंदगी की जंग जीत गया, पर श्याम सुंदर नलकूप से पानी निकालने के लिए आज भी जंग लड़ रहे हैं। वह 264 किलोमीटर का सफर तय करके डीवीवीएनएल की एमडी से अपनी पीड़ा बताने के लिए आगरा पहुंचे जरूर, लेकिन वहां से महज आश्वासन ही मिला है।
कानपुर देहात के गांव जगदीशपुर निवासी किसान श्याम सुंदर ने वर्ष 2018 में नलकूप कनेक्शन के आवेदन किया था। विद्युत विभाग ने उनको एक लाख 40 हजार 792 रुपये का एस्टीमेट थमा दिया। उन्होंने नलकूप कनेक्शन की खातिर सात बीघा जमीन में से डेढ़ बीघा बेच दी। इसी बीच श्याम सुंदर के बेटा जूरू सड़क दुर्घटना में घायल हो गया। कई अस्पतालों में उसकी गंभीर हालत देख भर्ती करने से इन्कार कर दिया। श्याम सुंदर ने बहुत खुसामद-दरामद से एक निजी अस्पताल में भर्ती कर दिया। उन्होंने डेढ़ बीघा जमीन की आधी से अधिक धनराशि बेटे के इलाज में लगा दी। बेटा जरूर मौत से जंग जीत गया, लेकिन पैरों से आज भी दिव्यांग है। वह डंडे का सहारे से आंगन और कमरे तक का सफर तय करता है। श्याम सुंंदर ने जून 2019 में बाकी बची रकम 77 हजार 322 रुपये विद्युत वितरण खंड पुखराया में जमा कर दी। वे बताते हैं कि नलकूप के पानी से फसल की सिचाईं तो दूर की बात है। एस्टीमेट जमा हुए तीसरा वर्ष चल रहा है, अभी तक नलकूप का एक घूंट पानी पीने के लिए भी नसीब नहीं हुआ है। वे बताते हैं कि तड़के चार बजे घर से चले थे। दोपहर दो बजे दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) मुख्यालय पहुंच गए, लेकिन कर्मचारियों ने प्रबंध निदेशक सौम्या अग्रवाल को परेशानी नहीं बताने दी। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों ने अधीक्षण अभियंता (भंडार) के पास भेज दिया। अधीक्षण अभियंता के कार्यालय से विद्युत वितरण खंड पुखराया फोन किया और विद्युत सामग्री मिलने का आश्वसान देकर श्याम सुंदर को मुख्यालय से लौटा दिया।