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सब्जी पैदाकर दे दी गरीबी को मात

विनोद अग्रवाल,आगरा: मथुरा के गांव करहारी के किसान टीटू सिंह मिसाल हैं उन किसानों के लिए, जो खेत

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 May 2018 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 05:00 PM (IST)
सब्जी पैदाकर दे दी गरीबी को मात
सब्जी पैदाकर दे दी गरीबी को मात

विनोद अग्रवाल,आगरा: मथुरा के

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गांव करहारी के किसान टीटू सिंह मिसाल हैं उन किसानों के लिए, जो खेती को घाटे का सौदा समझते हैं। खेती छोड़कर दूसरा काम करते हैं। महेंद्र को भी खेती घाटे का सौदा हुई, ऐसा झटका लगा कि उनकी पूरी 30 बीघा जमीन बिक गई। घर में दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए, पर महेंद्र के हौसले ने इस घाटे से ही तरक्की का रास्ता बना लिया। आज वह खुद प्रगतिशील किसान होने के साथ ही तमाम गरीबों को भी रोजगार दे रहे हैं।

गांव के महेंद्र सिंह व उनके भाई डंबर सिंह के पास 30 बीघा जमीन थी। परंपरागत खेती करने से दोनों भाइयों को कोई फायदा नहीं हुआ और कर्ज में पूरी जमीन बिक गई। तब महेंद्र ¨सह के पुत्र टीटू ¨सह ने भाड़े पर खेत लेकर खेती का तरीका बदला। परंपरागत खेती छोड़कर सब्जियों की पैदावार शुरू की। खुद सब्जियां उगाई और बाजार में सप्लाई की। देखते ही देखते इन्होंने गरीबी को मात दे दी।

टीटू ¨सह आज एक सौ साठ बीघा जमीन लेकर सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। परिवार के साथ वह खुद खेती-क्यारी में काम कर रहे हैं, साथ ही एक सैकड़ा खेतिहर मजदूरों को भी रोजगार दे रहे हैं। कस्बा कराहरी के कुशवाह मोहल्ला निवासी टीटू ¨सह भी दूसरे किसानों की तरह दैवीय आपदा के शिकार होते हैं, लेकिन इसके बाद भी हिम्मत नहीं हार रहे हैं। उनका कहना है कि जमीदारों से खेत किराए पर लेकर आज वह 100 बीघा में टमाटर, 20 बीघा में तरबूज, 20 बीघा में मिर्च और इतने में ही प्याज की खेती कर रहे हैं। इसी खेती से उन्होंने अपना एक ट्रैक्टर, एक कैंटर और मैक्स पिकअप खरीद ली। अपने ही वाहनों से वह सब्जियों को दूर-दराज बेचने के लिए लेकर जा रहे हैं। खुद ही मंडियों में सब्जियां बेचने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ खेत मे करीब 40 से पचास हजार रूपये की लागत टमाटर की फसल खर्च किए, लेकिन इस बार बाजार में टमाटर का भाव कम होने से मुनाफा कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि अपने वाहन से दूसरे शहर में सब्जी ले जाकर बेचने से उन्हें लाभ हो रहा है। इसके अलावा फसल चक्र को भी वह अपना रहे हैं। ऐसे नियम लागू करे सरकार

दैवीय आपदा का मुआवजा खेत मालिक को मिलता है, जबकि उनके खेतों को भाड़े पर लेकर खेती करने वालों को सरकार की तरफ से मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार को भाड़े पर खेती करने वाले के लिए भी मुआवजे की व्यवस्था करनी चाहिए।


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