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Ancient Gate in Agra Fort: आगरा किला में रखा है गुजरात के सोमनाथ मंदिर का दरवाजा, 990 साल पुराना है इतिहास

Ancient Gate in Agra Fort आगरा किला में वर्ष 1842 में महमूद गजनवी के मकबरे से लाकर रखा गया था। अंग्रेजों ने बताया था सोमनाथ मंदिर का महमूद गजनवी द्वारा ले जाया गया दरवाजा। आगरा किला में दीवान-ए-खास के पास स्थित एक कक्ष में गजनी दरवाजा रखा हुआ है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 09:53 AM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 09:53 AM (IST)
Ancient Gate in Agra Fort: आगरा किला में रखा है गुजरात के सोमनाथ मंदिर का दरवाजा, 990 साल पुराना है इतिहास
आगरा किला में वर्ष 1842 में महमूद गजनवी के मकबरे से लाकर रखा गया था।

आगरा, जागरण संवाददाता। मुगल सल्तनत के वैभवशाली युग की दास्तान सुनाने वाले आगरा किला में रखा एक दरवाजा अपने आप में बहुत खास है। 178 वर्षों से आगरा किला में 990 वर्ष पुराना यह दरवाजा रखा हुआ है। वर्ष 1842 में अंग्रेज इसे अफगानिस्तान के गजनी स्थित महमूद गजनवी की मजार से उखाड़कर ले आए थे। अंग्रेजों ने इसे सोमनाथ मंदिर का चंदन का दरवाजा बताया था, जिसे महमूद गजनवी वर्ष 1025 में उखाड़कर ले गया था।

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आगरा किला में दीवान-ए-खास के पास स्थित एक कक्ष में गजनी दरवाजा रखा हुआ है। यहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा लगाए गए शिलापट्ट के अनुसार यह दरवाजा गजनी स्थित महमूद गजनवी के मकबरे में लगा था। वर्ष 1842 में गजनी से यह दरवाजा अंग्रेज उखाड़ लाए थे। गवर्नर जनरल लार्ड ऐलनबरो ने घोषणा कर कहा था कि यह चंदन का वही दरवाजा है, जिसे महमूद गजनवी वर्ष 1025 में सोमनाथ मंदिर से लूटकर ले गया था। अंग्रेजों ने 800 वर्ष पुराने अपमान का बदला ले लिया है। यह झूठ भारतीय जनसाधारण की सद्भावना प्राप्त करने के लिए गढ़ा गया था। वास्तव में यह दरवाजा गजनी की स्थानीय देवदार की लकड़ी का है। इसका अलंकरण प्राचीन गुजराती काष्ठ कला से सर्वथा भिन्न है। इसके ऊपरी भाग पर अरबी में खुदे अभिलेख में महमूद का विरुदों (पदवियों) समेत स्पष्ट उल्लेख है। दरवाजे के वर्णन सहित एक नोटिस बोर्ड पूर्व में यहां एएसआइ के महानिदेशक सर जान मार्शल द्वारा भी लगाया गया था। मार्शल वर्ष 1902 से 1928 तक एएसआइ के महानिदेशक रहे थे। उन्होंने इस दरवाजे के सोमनाथ मंदिर का होने से इन्कार करते हुए उसे गजनवी के मकबरे का दरवाजा बताया था। सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान इसे सोमनाथ ले जाने पर विचार हुआ था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वर्तमान में यह दरवाजा वर्ष 1842 के अंग्रेज अभियान के विजय चिह्न या ईस्ट इंडिया कंपनी के झूठ की स्मृति स्वरूप रह गया है।

दरवाजे में नहीं है एक भी कील

गजनी दरवाजा 16.5 फुट ऊंचा और 13.5 फुट चौड़ा है। इसका वजन करीब आधा टन है। ज्यामितिक तारारूपक, षटकोणीय और अष्टकोणीय फलकों को फ्रेम में एक-दूसरे के साथ जोड़कर इसे बनाया गया है। इसमें कीलों का प्रयोग नहीं किया गया है।

ब्रिटिश संसद में हुई थी बहस

गजनी दरवाजे को छह सितंबर, 1842 को प्रथम अफगान युद्ध के दौरान बंगाल नेटिव आर्मी की 1-जाट बटालियन गजनी स्थित महमूद गजनवी की मजार से विजय प्रतीक के रूप में उखाड़ लाई थी। सोमनाथ मंदिर का दरवाजा बताए जाने के चलते रास्ते में पड़े गांवों में इसका स्वागत किया गया था। बटालियन ने पड़ाव के दौरान इसे आगरा किला में रख दिया था। ब्रिटिश संसद में नार्थेम्पटन शायर के सांसद वेरिन स्मिथ द्वारा नौ मार्च, 1843 को लाए गए प्रस्ताव पर सदन में बहस हुई थी। प्रस्ताव के विपक्ष में 242 और पक्ष में 157 वोड पड़ने से उसे निरस्त कर दिया गया था। अफगानिस्तान के बादशाह हबीबुल्ला खान 15 जनवरी, 1907 को आगरा आए थे। उस समय अंग्रेजों और अफगानों के संबंध मित्रतापूर्ण थे। आगरा किला में भ्रमण के दौरान उन्हें गजनी दरवाजे की जानकारी दी गई थी। 


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