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Army Day:यहां बसी है कण-कण में आस्था, माटी में पलते हैं वीर जवान Agra News

कान्हा की नगरी के जवानों ने हर युद्ध में छुड़ाए दुश्मन के छक्के। अब तक हुए युद्धों में 86 रणबांकुरों ने दी शहादत।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 12:57 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 12:57 PM (IST)
Army Day:यहां बसी है कण-कण में आस्था, माटी में पलते हैं वीर जवान Agra News
Army Day:यहां बसी है कण-कण में आस्था, माटी में पलते हैं वीर जवान Agra News

आगरा, विनीत मिश्र। ये कान्हा की नगरी है। महाभारत के इस नायक की माटी ने देश पर जान देने वाले कई वीरों को जन्म दिया। यहां पले 86 रणबांकुरों ने अब तक हुए युद्धों में अपने प्राणों की आहूति दी है।

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बात 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध की हो या फिर 1965 में पाकिस्तान को धूल चटाने की। सरहद की रखवाली में ब्रजवासियों ने जान की बाजी लगा दी। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मथुरा के 17 सैनिक दुश्मन से लड़ते हुए शहीद हो गए। ब्रजवासियों ने भी उसी शिद्दत से श्रद्धांजलि दी। युद्ध में इन बांकुरों ने देश की आन-बान और शान पर आंच नहीं आने दी।

अब तक हुए युद्ध में शहीद

वर्ष-युद्ध-शहीद संख्या

1962-भारत-चीन युद्ध-2

1965-भारत-पाक युद्ध- 4

1967-नागा होस्टाइल -1

1971-भारत-पाक युद्ध-17

1987-89 ऑपरेशन पवन श्रीलंका -8

1995-2019 ऑपरेशन रक्षक -43

1999-कारगिल युद्ध -2

1996- ऑपरेशन अर्चित -1

2007-2019 अन्य -7

पिता का गौरव बढ़ाएगा बेटा

सांचौली गांव के मान सिंह 1999 के ऑपरेशन रक्षक में शहीद हो गए। इकलौते बेटे गौरव को पत्नी कमलेश ने पिता की शहादत का पाठ पढ़ाकर बढ़ा किया। इसी साल बेटा सेना में भर्ती हो गया। कमलेश कहती हैं कि एक मां के लिए इससे ज्यादा खुशी क्या होगी।

बिटिया को सैनिक बनाएंगी विमलेश

कारगिल युद्ध में दुश्मन से लड़ते हुए नावली गांव के रविकरन सिंह 4 जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे। पत्नी विमलेश ने बड़ी बेटी मीतू चौधरी बीटेक कर चुकी है। अब वह सशस्त्र सीमा बल में भर्ती को प्रयास कर रही है। बेटा शैलेंद्र स्नातक कर रहा है। वह भी पापा की तरह सैनिक बनना चाहता है।  

इसलिए मनाया जाता है 15 जनवरी को सेना दिवस

आज भारत 72वां सेना दिवस मना रहा है। यह दिन सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों व अन्य कार्यक्रमों के साथ नई दिल्ली व सभी सेना मुख्यालयों में मनाया जाता है। सेना दिवस के अवसर पर पूरा देश थल सेना की वीरता, अदम्य साहस, शौर्य और उसकी कुर्बानी को याद करता है। यह दिन हर साल 15 जनवरी को फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में मनाया जाता है। साल 1949 में आज ही के दिन भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर की जगह तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा मे ली थी। करियप्पा ने 1947 में भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना की कमान संभाली थी। आजादी के बाद देश में कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा। भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे। 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे। उस समय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे। केएम करियप्पा के सेना प्रमुख बनाए जाने के बाद से ही हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाने लगा।


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