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Sleeplessness: लॉकडाउन खुलने के बाद भी अगर आपको नहीं आ रही नींद पूरी तो न करें अब देरी

Sleeplessness लॉकडाउन ने बढ़ाया तनाव बढ़े पैनिक अटैक के मामले भी। छह महीने पहले दस प्रतिशत थे नींद न आने के मामले। पैनिक अटैक के मरीजों में हुई एक से 20 प्रतिशत की वृद्धि।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 12:46 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 12:55 PM (IST)
Sleeplessness: लॉकडाउन खुलने के बाद भी अगर आपको नहीं आ रही नींद पूरी तो न करें अब देरी
Sleeplessness: लॉकडाउन खुलने के बाद भी अगर आपको नहीं आ रही नींद पूरी तो न करें अब देरी

आगरा, अजय दुबे। केस एक- रमेश (बदला हुआ नाम) की बल्केश्वर में कपड़ों की दुकान है। पांच महीने तक दुकान बंद रही। व्यापार प्रभावित होने की चिंता में नींद गायब हो गई। अब दुकान तो खुल गई है लेकिन नींद अभी भी गायब ही है।

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केस दो- संजय (बदला हुआ नाम) की प्राइवेट नौकरी है। लॉकडाउन में अॉफिस बंद रहा लेकिन वर्क फ्रॉम होम होता रहा। अॉफिस का दबाव, भविष्य की चिंता में नींद गायब हो गई। अब भी दवा लेकर ही नींद आ रही है।

मार्च में लॉकडाउन शुरू हुआ था। पांच महीने तक लोग अपने घरों में बंद रहें। इस दौरान कोरोना से तो बचाव रहा लेकिन दिमागी रूप से लोग बीमार हो गए। नींद गायब हो गई, एंजाइटी बढ़ गई, पैनिक अटैक होने लगे। चिकित्सकों के पास इन छह महीनों में एेसी शिकायतों का प्रतिशत काफी बढ़ा है। मार्च से पहले नींद न आने की केस जहां दस प्रतिशत थे, वो अब बढ़कर 80 प्रतिशत हो गए हैं। इसी तरह एंजाइटी और पैनिक अटैक के केसों में एक से सीधा 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। न्यूरोफिजीशियंंस के पास हर रोज अब तक इस तरह की शिकायतें आ रही हैं।

नींद न आने के बढ़ गए केस

व्यापार, भविष्य और बंदी को लेकर लोगों का तनाव बढ़ गया। साथ ही घर में रहने की वजह से जीवनशैली में भी बदलाव हुआ। इस कारण लोगों की नींद का ढर्रा बिल्कुल ही बदल गया। लोग रात के तीन-चार बजे तक जगने लगे। शुरुआत में यह सामान्य बात लगी, लेकिन धीरे-धीरे यह आदत में शुमार में हो गया। नींद न आने की सि्थति में सोच-विचार ज्यादा होने लगा और तनाव बढ़ने लगा। छह महीने पहले तक नींद न आने का प्रतिशत केवल दस था, जो अब बढ़कर 80 हो गया है।

पैनिक अटैक के बढ़े केस

तनाव के कारण ही पैनिक अटैक के केस भी बढ़े हैं। हाथ-पैर कांपना, कमजोरी महसूस करना, दिल घबराना आदि लक्षणों के साथ लोग चिकित्सकों के पास पहुंचने लगे। पैनिक अटैक के केसों में भी एक से सीधा 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

क्या कहते हैं चिकित्सक

न्यूरो फिजीशियन डा. सर्वेश अग्रवाल ने बताया कि छह महीने पहले तक उनके पास महीने में दो या तीन केस ही पैनिक अटैक के आते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 15 से 20 हो गई है। लोग इस बीमारी को समझ नहीं पा रहे हैं, इसलिए तनाव में ज्यादा हैं। न्यूरोफिजीशियन डा. नरेश शर्मा बताते हैं कि इन छह महीनों में सबसे ज्यादा केस नींद न आने के बढ़े हैं। बदली जीवनशैली और मानसिक से नींद न आने की समस्या में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।


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