Move to Jagran APP

Coloured Fountain: यादों को समेटे, यादों में ही रह गया फुव्वारा, हिंदी संस्‍थान का बदल जाएगा चेहरा

केंद्रीय हिंदी संस्थान में जमींदोज हो गया 59 साल पुराना फुव्वारा। बनाया जा रहा है लैंडस्केप 94 लाख के बजट से हो रहा है तैयार। 500 मीटर के घेरे में बने इस फुव्वारे के आसपास संस्थान के अधिकतर कार्यक्रम होते थे।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 08:04 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 08:04 PM (IST)
Coloured Fountain: यादों को समेटे, यादों में ही रह गया फुव्वारा, हिंदी संस्‍थान का बदल जाएगा चेहरा
केंद्रीय हिंदी संस्‍थान में बना ये फुव्‍वारा अब अतीत हो चुका है।

आगरा, जागरण संवाददाता। कई प्रेम कहानियों का गवाह, दोस्तों की रात भर चलने वाली गप्पों का अड्डा, होली में रंगों से सराबोर करने का मुख्य जरिया, कई उत्सवों का साक्षी, दीपावली की जगमगाहट का हिस्सा अब जमींदोज हो गया है। केंद्रीय हिंदी संस्थान में 59 साल पुराने फुव्वारे को खत्म कर लैंड स्केप रूप में विकसित किया जा रहा है।

loksabha election banner

1961 में केंद्रीय हिंदी संस्थान के मुख्यालय की स्थापना आगरा में हुई थी। उसके बाद ही इस फुव्वारे का निर्माण संस्थान परिसर में किया गया था।इस संस्थान की खूबसूरती के सभी कायल थे। विदेशी छात्रों को तो यह काफी पसंद था। 500 मीटर के घेरे में बने इस फुव्वारे के आसपास संस्थान के अधिकतर कार्यक्रम होते थे। रात के समय इस फुव्वारे में लाल, पीली, हरी और नीली लाइटें जलती थीं। अब यहां गोलाकार सड़क बनाई जाएगी। दो साल पहले ही इस फुव्वारे को खत्म कर लैंड स्केप बनाने का प्रस्ताव पास हुआ था। इसके लिए 94 लाख का बजट भी पास हुआ है।

जुड़ी हैं कई यादें

इस फुव्वारे से यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों के साथ ही पूर्व छात्रों की भी यादें जुड़ी हैं। फुव्वारे के इतिहास में दर्ज होने की बात जैसे ही फेसबुक पर साझा की गई, तो पूर्व छात्र अपनी यादों मे खो गए। सवाल पूछने लगे कि इसे क्यों हटाया गया? इसी फुव्वारे के पास हास्टल में रहने वाले छात्र देर रात तक बैठकर गप्पें मारते थे। होली पर इसी फुव्वारे में रंग डालकर छात्र मस्ती करते थे। दीपावली पर लाइटिंग होती थी। कई जन्मदिन इसी फुव्वारे के पास मनाए गए हैं। फोटो खिंचवाने के लिए यह संस्थान में सभी का पसंदीदा स्थल था।

मेरे कार्यकाल से पहले इसे हटाने की अनुमति दी गई थी। फुव्वारे के हटने से पूर्व छात्रों को काफी पीड़ा हुई है। इससे कई यादें जुड़ी हुई हैं।

डा. चंद्रकांत त्रिपाठी, कुलसचिव केंद्रीय हिंदी संस्‍थान 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.