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आगरा में सदर तहसील से 4.67 लाख रुपये हुए थे चोरी, चोरों को पकड़ने में नाकाम रही पुलिस

सदर तहसील में उप निबंधक चतुर्थ कार्यालय में 11 अप्रैल को हुई थी घटना। मुख्य दरवाजे का शीशा तोड़कर अंदर आए थे चोर। चाबी से अलमारी खोलकर निकाल ले गए थे रुपये। शक के दायरे में है तहसील परिसर का ही कोई व्‍यक्ति।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 10:56 AM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 10:56 AM (IST)
आगरा में सदर तहसील से 4.67 लाख रुपये हुए थे चोरी, चोरों को पकड़ने में नाकाम रही पुलिस
सदर तहसील से हुई लाखों की चोरी का पुलिस अभी पर्दाफाश नहीं कर सकी है।

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा की तहसील सदर में उप निबंधक कार्यालय में चोर दो सप्ताह पहले दरवाजे का शीशा तोड़कर अंदर आए। अधिकारी के कार्यालय की अलमारी का ताला तोड़कर उसमें रखे चार 67 हजार रुपये निकालकर ले गए। पुलिस को घटना के सीसीटीवी फुटेज मिल गए। मगर, इसमें चोरों का चेहरा स्पष्ट नहीं था। इसके बाद शक की सुई तहसील परिसर के 32 लोगों पर गई। मगर, नतीजा ढाक के वही तीन पात निकला। सारी कोशिशों के बावजूद चोरों का सुराग लगाने में पुलिस नाकाम रही है। इससे सनसनीखेज घटना अब ठंडे बस्ते में जाने की आशंका होने लगी है।

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सदर तहसील में 10 और 11 अप्रैल को अवकाश था। तहसील कार्यालय 11 अप्रैल की सुबह खुला। उप निबंधक चतुर्थ के कार्यालय के मुख्य दरवाजे के ताले टूटे मिले। उनकी अलमारी जिसमें कैश और जरूरी कागजाते रखे थे। वह खुली हुई मिली थी। चोर अलमारी काे चाबी से खोलकर उसमें रखे चार लाख 67 हजार रुपये निकाल ले गए थे। पुलिस लाइन से चंद कदम की दूरी पर तहसील परिसर में चोरी की सनसनीखेज घटना से लोग हैरान थे। पुलिस ने इसे चुनौती के लिए रूप में लिया। क्योंकि मामला प्रशासन के अधिकारी के कार्यालय में हुई चोरी से जुड़ा था।

पुलिस ने तहसील परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक कीं। इसमें दो लोग मुख्य दरवाजे का शीशा तोड़ते दिखाई दिए। मगर, शीशा इतना कम टूटा हुआ था। इससे आशंका है कि यह सब पुलिस को गुमराह करने के लिए किया गया था। क्योंकि उस शीशे से निकलना इतना आसान नहीं था। इससे कांच लगने से घायल होने का डर था। इसलिए माना जा रहा है कि चोरों ने यह सब चकमा देने के लिए किया। उनके पास अधिकारी की अलमारी की चाबी पहले से थी। उसी से अलमारी को खोलकर वह आराम से रुपये निकालकर ले गए।

पुलिस के शक की सुई 32 लोगों पर थी। यह सभी तहसील से किसी न किसी प्रकार जुड़े हुए हैं। मगर, इनमें से किसी के खिलाफ उसे कोई सुराग या साक्ष्य नहीं मिले। इसके बाद पुलिस के शक की सुई तहसील के पूर्व कर्मचारियों की ओर गई, लेकिन यहां से भी उसे नाकामी हाथ आई। 


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