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इमरजेंसी में हर रोज तीन से चार मौत

आगरा: एसएन में सुविधाओं के अभाव में हर रोज तीन से चार मरीजों की मौत हो जाती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jun 2018 06:06 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jun 2018 06:06 AM (IST)
इमरजेंसी में हर रोज तीन से चार मौत
इमरजेंसी में हर रोज तीन से चार मौत

जागरण संवाददाता, आगरा: उखड़ती सांस और खून से लथपथ मरीजों की जान बच जाए। इसके लिए तीमारदार स्ट्रेचर पर मरीज को लिटा इमरजेंसी के अंदर भागते हैं। डॉक्टर से इलाज की गुहार लगाते हैं। मगर सुविधाओं के अभाव में यहां हर रोज तीन से चार मरीजों की मौत हो जाती है। विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं रहते हैं। एसएन प्रशासन का तर्क है कि गंभीर मरीजों के इलाज के लिए इमरजेंसी में इंतजाम नाकाफी हैं।

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एसएन इमरजेंसी में हर रोज 50 से 60 मरीज भर्ती होते हैं। इनमें से तीन से चार मरीजों की इलाज के कुछ देर बाद ही मौत हो जाती है। गंभीर मरीजों को तुरंत आइसीयू में भर्ती करने की जरूरत होती है, इसमें से कुछ मरीजों को जान बचाने के लिए वेंटीलेटर पर शिफ्ट किया जाना चाहिए। मगर, इमरजेंसी में आइसीयू नहीं है। यहां तक कि मेडिसिन वार्ड में मॉनीटर की संख्या भी कम है। ऐसे में गंभीर हालत में भर्ती हुए मरीजों के इलाज में समस्या आती है। इससे मौतें हो रही हैं।

उधर, दुर्घटना में घायल मरीजों को ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट कर दिया जाता है। इसमें भी अत्याधुनिक उपकरण नहीं हैं। इससे भी मरीजों की जान बचाने में समस्या आ रही है। ट्रॉमा सेंटर में सामान्य मरीजों का इलाज

दुर्घटना में घायल मरीजों के इलाज के लिए इमरजेंसी के प्रथम तल पर ट्रॉमा सेंटर है। इसमें चार वेंटीलेटर और मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर हैं। मगर, ट्रॉमा सेंटर में हादसे के घायलों को शिफ्ट नहीं किया जाता है। यहां सामान्य बीमारी और सिफारिश पर मरीज भर्ती होते हैं। इमरजेंसी में नहीं पहुंचते चिकित्सा शिक्षक

इमरजेंसी में हर रोज अलग अलग चिकित्सा शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है। इनमें से तमाम चिकित्सा शिक्षक इमरजेंसी नहीं आते हैं। वे जूनियर डॉक्टर से फोन पर मरीजों की संख्या पूछ लेते हैं। ऐसे में मरीजों की डायग्नोसिस और इलाज सही तरह से नहीं हो पा रहा है। गंभीर मरीजों को निजी अस्पताल रेफर कर कमाई

एसएन में भर्ती होने वाले गंभीर मरीजों से एंबुलेंस चालक और कर्मचारी कमाई कर रहे हैं। मरीज के तीमारदारों को इमरजेंसी की बदहाल व्यवस्थाओं का हवाला देकर निजी अस्पताल में ले जाने के लिए गुमराह करते हैं। इन्हें इमरजेंसी के बाहर खड़ी निजी एंबुलेंस से निजी अस्पतालों में भर्ती करा देते हैं। एक मरीज को भर्ती कराने के लिए हॉस्पिटल संचालकों से 10 से 15 हजार रुपये तक की सौदेबाजी की जा रही है। ऐसे कई मामले पकड़े जा चुके हैं। इसके बाद इमरजेंसी के गेट से एंबुलेंस को हटा दिया गया था लेकिन दोबारा निजी एंबुलेंस खड़ी होने लग गई हैं।

इमरजेंसी के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भेजा गया है, इसके साथ ही मॉनीटर सहित अन्य सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।

डॉ. जीके अनेजा, प्राचार्य एसएन मेडिकल कॉलेज


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