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28 वर्ष पुराने मामले में चाहर, योगेंद्र उपाध्याय समेत आठ बरी

ट्रेन रोककर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया का किया था घेराव जानलेवा हमले का था आरोप वर्ष 1993 में जीआरपी कैंट थाने में दर्ज हुआ था बलवा समेत अन्य धाराओं में मुकदमा

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 08:30 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 08:30 PM (IST)
28 वर्ष पुराने मामले में चाहर, योगेंद्र उपाध्याय समेत आठ बरी
28 वर्ष पुराने मामले में चाहर, योगेंद्र उपाध्याय समेत आठ बरी

आगरा, जागरण संवाददाता। शताब्दी एक्सप्रेस रोककर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया का घेराव करने के मामले में 28 वर्ष बाद फैसला आ गया। शनिवार को सांसद राजकुमार चाहर, विधायक योगेंद्र उपाध्याय समेत पेश हुए आठ आरोपितों को अदालत ने बरी कर दिया।

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मामला दो जनवरी, 1993 का है। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधव राव सिधिया ग्वालियर से दिल्ली जा रहे थे। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर भाजपाइयों ने ट्रेन रोक उनका घेराव किया था। जीआरपी कैंट थाने में जानलेवा हमला, बलवा व रेलवे एक्ट आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसमें वर्तमान भाजपा सांसद राजकुमार चाहर, वर्तमान विधायक योगेंद्र उपाध्याय, पूर्व विधायक डाक्टर रामबाबू हरित, अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया, सुनील शर्मा, योगेंद्र परिहार, शैलेंद्र गुलाटी, मुकेश गुप्ता को नामजद किया गया था। विवेचक ने सभी आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी थी। इस मामले में विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। शनिवार दोपहर 2.30 बजे आठों नामजद आरोपित अदालत में पेश हुए। विशेष न्यायाधीश उमाकांत जिदल ने साक्ष्य के अभाव और संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया।

जीआरपी कैंट थाने में दर्ज हुए थे दो मुकदमे

इस मामले में जीआरपी कैंट थाने में अलग-अलग दो मुकदमे दर्ज हुए थे। एक मुकदमा उप स्टेशन अधीक्षक किरन सिंह प्रताप और दूसरा एसओ जीआरपी कैंट बिजेंद्र सिंह ने लिखाया था। विवेचना के दौरान माधव राव सिधिया के पीआरओ अमर सिंह ने भी तहरीर दी थी। इसे विवेचक ने इसी मामले में शामिल कर सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित किए थे।

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वादी आए नहीं,राज्यमंत्री समेत दो चश्मदीद मुकरे

अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता हेमेंद्र शर्मा और अनिल शर्मा ने पैरवी की। अभियोजन पक्ष मुकदमे के वादी किरन सिंह प्रताप और बिजेंद्र सिंह को अदालत में पेश नहीं कर सका। तर्क दिया गया कि उनका वर्तमान पता नहीं मिल सका है। तीसरे वादी अमर सिंह की मृत्यु हो जाने के कारण गवाही नहीं हो सकी। पुलिस की विवेचना में वर्तमान राज्यमंत्री डा. जीएस धर्मेश और सुनहरी लाल गोला को चश्मदीद गवाह बनाया गया था। घटना के समय दोनों कांग्रेस में थे। मुकदमे के विचारण के दौरान धर्मेश ने अदालत में कहा कि घटना के समय वह मौके पर नहीं थे। विवेचक ने खुद ही बयान दर्ज कर लिए हैं। इसी तरह का बयान सुनहरी लाला गोला ने भी दिया।

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83 आरोपितों पर अभी चलेगा केस

विवेचक ने इस मामले में कुल 92 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। इनमें से 83 आरोपित अदालत में पेश नहीं हुए, इनके खिलाफ गैर जमानती वांरट जारी हो चुके थे। अदालत ने भाजपा के तत्कालीन संगठन मंत्री हृदयनाथ सिंह समेत 83 आरोपितों की फाइल पृथक कर दी। इन पर अभी अदालत में विचारण होगा। कब क्या हुआ

2 जनवरी 1993- थाना जीआरपी कैंट में बलवा, मारपीट, तोड़फोड़, जानलेवा हमला, चोरी और रेलवे अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज।

28 सितंबर 2018- केस विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट प्रयागराज के लिए स्थानांतरित।

वर्ष 2019- केस विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट आगरा में स्थानांतरित।

पांच अक्टूबर 2020- आरोपित त्रिलोकीनाथ अग्रवाल की मृत्यु हो जाने के कारण इनकी फाइल पृथक कर दी गई।

14 दिसंबर 2020- अदालत में आठ आरोपितों के खिलाफ आरोप तय हुए।

20 फरवरी 2021- अदालत ने भाजपा सांसद, विधायक समेत आठों आरोपितों को बरी कर दिया।


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