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गणतंत्र दिवस की परेड, दिखेगी राष्ट्रीय लोक अदालत की झांकी एक मुट्ठी आसमा, जानिए थीम के पीछे वजह

देश भर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में वर्ष 2021 में एक करोड़ से अधिक मुकदमों का हुआ निस्तारण। राष्ट्रीय लोक अदालत से संबंधित झांकी भी गणतंत्र दिवस की परेड में होगी शामिल। ये झांकी समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए भरोसा तथा आशा का प्रतीक है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 10:59 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 10:59 AM (IST)
गणतंत्र दिवस की परेड, दिखेगी राष्ट्रीय लोक अदालत की झांकी एक मुट्ठी आसमा, जानिए थीम के पीछे वजह
इस बार राष्‍ट्रीय लोक अदालत की तरफ से एक मुट्ठी आसमां झांसी परेड में शामिल होगी।

आगरा, अली अब्‍बास। इस बार 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड पर राष्ट्रीय लोक अदालत से संबंधित झांकी एक मुट्ठी आसमा भी शामिल होगी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नवीन कुमार ने एक मुट्ठी आसमान थीम की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक मुट्ठी आसमा समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए भरोसा, दृढ़ निश्चय तथा आशा का प्रतीक है।

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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नवीन कुमार ने बताया इसका गठन समाज के वर्गों को मुफ्त एवं सक्षम विधिक सेवाओं को प्रदान करने के लिए किया गया है। जिससे कि आर्थिक या किसी भी अन्य कारणों में से कोई भी नागरिक न्याय पाने से वंचित ना रहे। लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य अाम जनमानस को न्यायिक प्रणाली समान अवसर पर सबके लिए न्याय सुगम बन सके है। लोक अदालत सरल एवं अनौपचारिक प्रक्रिया को अपनाती है तथा विवादों का अविलंब निपटारा कराती है इसमें पक्षकारों को कोई भी शुल्क नहीं लगता है।

लोक अदालत से न्यायालय में लंबित मामले का निष्पादन होने पर पहले से भुगतान किए गए अदालती शुल्क को भी वापस कर दिया जाता है। लोक अदालत का आदेश, फैसला अंतिम होता है जिसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती।लोक अदालत के मामले के निपटारे के बाद दोनों पक्ष विजेता रहते हैं तथा उनमें निर्णय से पूर्ण संतुष्टि की भावना रहती है। इसमें कोई भी पक्ष जीतता या हारता नहीं है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने जन जन के दर तक न्याय की स्थिति तीव्रतर प्रणाली को पहुंचाया है। अदालतों का बोझ बड़े पैमाने पर घटाया है। न्याय सबके लिए बिंबित करता है, जो भयमुक्तता, भरोसा तथा सुरक्षा का घोतक है।

राष्ट्रीय लोक अदालत में देश में निस्तारित विभिन्न केसों का आंकड़ा

राष्ट्रीय लोक अदालतों में वर्ष 2021 में कुल 3 करोड़ 26 लाख 61 हजार 963 केसों में एक करोड़ 27 लाख 87 हजार 329 केसों का निस्तारण किया गया। पिछले साल निस्तारित किए गए विभिन्न केसों का आंकड़ा निम्न है  

-क्रिमिनल कंपाउंडडेबल आफेंसेस केस: 95 लाख 45 हजार 194 केसाें में 36 लाख 31 हजार 167 केसों को निस्तारण किया।

-चेक बाउंस एनआइ एक्ट के केस: 15 लाख 11 हजार 047 केसों में 2 लाख 99 हजार 484 केसों को निस्तारण किया गया।

-बैंक रिकवरी से संबंधित केस: 71 लाख 98 हजार 882 केसों में 6 लाख 46 हजार 751 केसों का निस्तारण किया गया।

-मोटर एक्ट से संबंधित केस: 4 लाख 93 हजार 284 केसों  में 1 लाख 31 हजार 440 केसों का निस्तारण किया गया।

-लेबर विवाद से संबंधित केस: 3 लाख 49 हजार 893 केसों में 2 लाख 99 हजार 917 केसों का निस्तारण

-विद्युत बिल बकाया से संबंधित केस: 15 लाख 80 हजार 765 केसों में 6 लाख 13 हजार 037 केसों का निस्तारण

-जल कर बकाया बिल से संबंधित केस: 13 लाख 35 हजार 809 केसों में 3 लाख 72 हजार 070 केसों का निस्तारण

-वैवाहिक दांपत्य विवाद के केस: 3 लाख 16 हजार 233 केसों में 78 हजार 481 केसों का निस्तारण

-जमीन संबंधित विवाद के केस: 54 हजार 012 केसों में 8 हजार 261 केस निस्तारित

-नौकरी व वेतन एवं एलाउंसेस से संबंधित केस: 55 हजार 814 केसों में 43 हजार 370 केसों का निस्तारण किया गया

-राजस्व से संबंधित केस: 19 लाख 19 हजार  026 केसों में 14 लाख 99 हजार 558 केसों का निस्तारण

-सिविल से संबंधित केस: 14 लाख 95 हजार 850 केसों में 3 लाख 39 हजार 155 केसों का निस्तारण

- अन्य वाद: 68 लाख 05 हजार 154 केसों में 48 लाख 24 हजार 629 केसों का निस्तारण किया गया।


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