बटेश्वर, चंबल सफारी के साथ जाएं रपड़ी
जागरण संवाददाता, आगरा: आगरा-लखनऊ के बीच दूरी घटाने और सफर को आसान बनाने वाला लखनऊ एक्सप्रेस वे पर्यट
जागरण संवाददाता, आगरा: आगरा-लखनऊ के बीच दूरी घटाने और सफर को आसान बनाने वाला लखनऊ एक्सप्रेस वे पर्यटकों के लिए भी सौगात लेकर आया है। बटेश्वर के साथ शिकोहाबाद का रपड़ी भी इससे जुड़ गया है। यहां 14वीं सदी का खूबसूरत ईदगाह और उसके नजदीक संत फिदू मियां व संत नसीरउद्दीन का मकबरा है। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण स्थल बन सकता है।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर 51 किमी दूर चलने के बाद शिकोहाबाद को रास्ता जाता है। बटेश्वर-शिकोहाबाद सड़क पर 18 किमी चलने पर नगला रामचंद्र है। यहां से मुख्य मार्ग से करीब 3.5 किमी अंदर रपड़ी है। यहां शेख फरीदउद्दीन उर्फ फिदू मियां का मकबरा है। वो एकात्मक ईश्वर को मानने वाले संत थे। वर्ष 1312 में उन्होंने रपड़ी को आश्रय स्थल बनाया था। इनकी समाधि दरगाह क्षेत्र में 14 वीं शताब्दी के विद्वान व संत शेख नसीरउद्दीन के मकबरे के उत्तर-पूर्व में है। फिदू मियां के परिजनों की कब्रें भी यहां हैं। मकबरे की उत्तर-पूर्वी दिशा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित समकालीन खूबसूरत स्मारक ईदगाह है। मान्यता है कि 1194 में मोहम्मद गौरी ने राव जोरावर सेन को हराकर रपड़ी को अपनी सल्तनत में शामिल किया था। 1312 में मलिक कफूर ने दिल्ली लौटते समय मार्ग में रपड़ी में तीन मस्जिदें बनवाई थीं। मुगल शहंशाह अकबर ने इसे राजस्व गांव के रूप में आगरा सरकार में शामिल किया था।
टूरिज्म गिल्ड के सचिव राजीव सक्सेना बताते हैं कि बटेश्वर व चंबल सफारी जाने वाले सैलानियों के लिए रपड़ी नया आकर्षण स्थल बन सकता है। मुगल काल से प्राचीन यहां की स्थापत्य कला उन्हें लुभाएगी। इसे पर्यटन मानचित्र में शामिल करना चाहिए।