देखिए, आंकड़ों ने कैसे सेरेना विलियम्स को साबित किया झूठा!
1998 से 2018 के बीच ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंटों में पुरुष खिलाडि़यों पर 1517 बार जुर्माना लगाया गया है जबकि महिला खिलाडि़यों पर जुर्माना लगाने के 535 मामले सामने आए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। पिछले दिनों दिग्गज टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स ने कहा था कि सजा के मामले में दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं लेकिन आंकड़े इसके उलट हैं जिसमें पुरुष खिलाडि़यों को कोर्ट में आपा खोने और रैकेट तोड़ने के मामले में महिलाओं की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा सजा मिली है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक, 1998 से 2018 के बीच ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंटों में पुरुष खिलाडि़यों पर 1517 बार जुर्माना लगाया गया है जबकि महिला खिलाडि़यों पर जुर्माना लगाने के 535 मामले सामने आए हैं। इस अखबार के द्वारा पिछले 20 साल के दौरान खेले गए 10 हजार से ज्यादा मैचों से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक रैकेट तोड़ने के मामले में पुरुष खिलाडि़यों पर 649 बार जुर्माना लगया गया जबकि महिलाओं को सिर्फ 99 बार यह सजा दी गई।
इन आंकड़ों में 'असभ्य भाषा' के इस्तेमाल करने के मामले में पुरुषों पर 344 बार जुर्माना लगा जबकि महिलाओं पर 140 बार। इसके साथ ही खेल भावना के विपरीत आचरण करने पर पुरुषों पर 287 मामले दर्ज हुए तो वहीं महिलाओं के 67 मामले सामने आए हैं।
पिछले सप्ताह सेरेना ने यूएस ओपन के फाइनल में नाओमी ओसाका के खिलाफ मैच के दौरान चेयर अंपायर कार्लेस रामोस के फैसले का विरोध करते हुए उन्हें 'झूठा' और 'चोर' कह दिया था। उन्होंने मैच के बाद टूर्नामेंट रेफरी को कहा था कि मैं महिला हूं, इसलिए आप मेरे खिलाफ फैसला दे सकते हो।
मैच के बाद उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'यह सही नहीं है। मैंने पुरुषों को अंपायर से कई बार असभ्य भाषा बोलते हुए देखा है। मैं यहां महिलाओं के अधिकार और बराबरी के लिए लड़ रही हूं। मैंने उन्हें एक गेम छीनकर विरोधी खिलाड़ी को देने के लिए उन्हें चोर कहा था।
पुरुष खिलाडि़यों के चोर कहने पर उन्होंने कभी उनके खिलाफ गेम नहीं दिया। इस फैसले ने मेरे दिमाग को हिलाकर रख दिया था।'उन्होंने मैच के दौरान अपना रैकेट भी तोड़ दिया था और यह धमकी दी थी कि पुर्तगाल का यह अंपायर उनके मैच में फिर कभी अंपायरिंग नहीं करेगा। ओसाका से इस फाइनल मैच में सेरेना को 6-2, 6-4 से हराया था।