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Whatsapp और Skype में आने वाले हैं ये बड़े बदलाव

कंस्लटेशन पेपर में दिए गए सुझाव अगर लागू किए जाते हैं तो भविष्य में दो बड़े बदलाव होने की संभावना है

By Shilpa Srivastava Edited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 01:29 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 04:36 PM (IST)
Whatsapp और Skype में आने वाले हैं ये बड़े बदलाव
Whatsapp और Skype में आने वाले हैं ये बड़े बदलाव

नई दिल्ली (टेक डेस्क)। दूरसंचार नियामक TRAI ने कंस्लटेशन पेपर का ड्राफ्ट पेश कर दिया है। इसका लक्ष्य भारत में OTT प्लेयर्स को विनियमित करने के मामले पर चर्चा करना है। कंस्लटेशन पेपर का टाइटल रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क फॉर ओवर दे टॉप कम्युनिकेशन सर्विसेस है। आपको बता दें कि OTT प्लेयर्स ऐसी ऐप्स और मैसेंजर हैं जो सर्विस उपलब्ध कराने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करती हैं। Whatsapp, Skype, Hike जैसी ऐप्स भारत में OTT प्लेयर्स हैं।

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कंस्लटेशन पेपर का क्या है उद्देश्य:

कंस्लटेशन पेपर जारी करने का TRAI का उद्देश्य, “इन संस्थाओं को नियंत्रित करने के लिए मौजूदा नियामक ढांचे में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है और इस बदलाव को किसी तरह प्राभवित किया जाना चाहिए।” TRAI का मानना है कि वॉट्सऐप और हाइक जैसी कंपनियां यूजर्स को काफी आकर्षक सर्विसेज प्रदान कर रही हैं। ऐसे में इन ऐप्स को ISP और टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स की तरह रेग्युलेट, लाइसेंड और कंट्रोल्ड किया जाना चाहिए।

कंस्लटेशन पेपर में दिए गए सुझाव अगर लागू किए जाते हैं तो भविष्य में दो बड़े बदलाव होने की संभावना है।

OTT प्लेयर्स को टेलिकॉम कंपनियों की तरह आंका जाएगा:

OTT प्लेयर्स को टेलिकॉम सर्विसेज की तरह की आंका जाएगा। क्योंकि ये टेलिकॉम कंपनियों की तरह ही सर्विस उपलब्ध कराती हैं। ऐसा होने के बाद OTT प्लेयर्स को भारत में ऑपरेट करने के लिए लाइसेंस और परमीशन की जरुरत होगी। यह ऐप डेवलपर्स के लिए बुरी खबर है क्योंकि लाइसेंस की कीमत काफी ज्यादा होती है।

OTT प्लेयर्स से नेटवर्क अपग्रेड करने के लिए करना पड़ सकता है निवेश:

Whatsapp, Skype, Hike जैसी ऐप्स को टेलिकॉम कंपनियों के नेटवर्क अपग्रेड में निवेश करना पड़ सकता है। आपको बता दें कि टेलिकॉम कंपनियां स्पेक्ट्रम खरीदने और देश में नेटवर्क कवरेज इंस्टॉल करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च करती हैं। TRAI ने यह पूछा है कि टेलिकॉम कंपनियों और OTT प्लेयर्स के बीच जो रेग्युलेटरी या लाइसेंसिंग का असंतुलन है वो भारत में टेलिकॉम पर प्रभाव डाल रहा है। क्योंकि कंपनियां अपने नेटवर्क को बेहतर करने के लिए भारी निवेश कर रही है और OTT प्लेयर्स अपने सर्विसेज ऑफर करने के लिए टेलिकॉम कंपनियों का नेटवर्क इस्तेमाल कर रहे हैं।

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