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जानिए क्या है साउंड बीमर, जो हेडफोन की कर देगा छुट्टी, बिना किसी डिवाइस के सुन पाएंगे म्यूजिक

साउंड बीमर को इजरायली कंपनी नोवेटो सिस्टम ( Noveto Systems) ने विकसित करने का दावा किया है। यह एक डेस्कटॉप उपकरण होगा जो वॉयस को सीधे यूजर के कान तक पहुंचाएगा। जिससे यूजर हेडफोन पहने बिना भी म्यूजिक सुन पाएंगे।

By Saurabh VermaEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 05:28 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 06:37 AM (IST)
जानिए क्या है साउंड बीमर, जो हेडफोन की कर देगा छुट्टी, बिना किसी डिवाइस के सुन पाएंगे म्यूजिक
यह दैनिक जागरण की प्रतीकात्मक फोटो है।

नई दिल्ली, टेक डेस्क. टेक्नोलॉजी की दुनिया में कुछ भी स्थायी नही रहता है। एक वक्त था, जब भारत में वायर्ड हेडफोन का जलवा हुआ करता था। लेकिन जल्द ही वायर्ड हेडफोन की जगह ब्लूटूथ हेडफोन और फिर इयरबड्स ने ले ली। हालांकि अब इन सभी तरह के हेडफोन की भी छुट्टी होने वाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि टेक्नोलॉजी की दुनिया में जल्द साउंड बीमर की एंट्री होने जा रही है। साउंड बीमर तरंगों के जरिए सीधे कान तक म्यूजिक को पहुंचाने का काम करेगा। इसके लिए किसी तरह के वायर या इयरपीस की जरूरत नही होगी। साथ कान में किसी तरह की कोई डिवाइस नही लगानी होगी। 

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सीधे कान तक पहुंचेगी म्यूजिक 

इस साउंड बीमर को इजरायली कंपनी नोवेटो सिस्टम ( Noveto Systems) ने विकसित करने का दावा किया है। यह एक डेस्कटॉप उपकरण होगा, जो वॉयस को सीधे यूजर के कान तक पहुंचाएगा। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक साउंड बीमर की निर्माता कंपनी का कहना है कि ‘साउंड बीमर’ 3D सेंसिंग मॉड्यूल पर काम करेगी, जो यूजर के कान की लोकेशन को स्कैन करके अल्ट्रासोनिक साउंड को कान तक भेजने का काम करेगा। इस टेक्नोलॉजी में छोटे-छोटे नजर न आने वाली ध्वनि तरंगों को एक बबल के जरिए कान तक पहुंचाया जाएगा। जिससे यूजर हेडफोन पहने बिना भी म्यूजिक सुन पाएगा। साथ ही कानों के बाहर कोई आवाज नही सुनाई देगी। इससे आसपास के लोगों को आपके म्यूजिक से कोई खास दिक्कत नही होगी। 

सीधे मस्तिष्क तक पहुंचेगी म्यूजिक

हालांकि टेक्नोलॉजी साउंड बीमर से भी आगे निकल चुकी है। अंतरिक्ष एजेंसी स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने न्यूरालिंक से सीधे मस्तिष्क तक म्यूजिक पहुंचाने का ऐलान किया  है। एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक नाम की एक कंप्यूटर चिप बना रही है। यही चिप म्यूजिक को सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाएगी। हालांकि इस चिप को मस्तिष्क में सर्जरी के जरिए फिट करना होगा।


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