फ्री कॉलिंग और डाटा पर लग सकता है विराम, TRAI ने दिए संकेत
टेलिकॉम कंपनियों की कॉल और डाटा की दरें बढ़ाने के बाद से यूजर्स को अब पहले के मुकाबले 43 फीसद तक ज्यादा का भुगतान करना पर रहा है।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। दूरसंचार नियामक विकास प्राधिकरण (TRAI) अब फ्री कॉलिंग और डाटा पर विराम लगाने की तैयारी में है। नियामक जल्द ही टेलिकॉम कंपनियों और COAI के सुझाव पर न्यूनतम कॉल और डाटा की दरें तय करने वाला है। आपको बता दें कि पिछले दिनों ही टेलिकॉम कंपनियों ने अपने प्रीपेड प्लान की दरें बढ़ा दी हैं। टेलिकॉम कंपनियों की कॉल और डाटा की दरें बढ़ाने के बाद से यूजर्स को अब पहले के मुकाबले 43 फीसद तक ज्यादा का भुगतान करना पर रहा है। फ्री कॉलिंग और डाटा की सुविधाएं खत्म होने के बाद से यूजर्स को और भी ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है।
टेलिकॉम कंपनियां Airtel और Vodafone-Idea ने 3 दिंसबर से जबकि Reliance Jio ने 6 दिसंबर से अपने नए प्रीपेड प्लान्स लागू कर दिए हैं। हालांकि, इन टेलिकॉम कंपनियों के पोस्टपेड यूजर्स को अभी भी पुरानी दरों से ही चार्ज किया जा रहा है। टेलिकॉम कंपनियों की ये दलील थी कि उनका ARPU (एवरेज रिवेन्यू पर यूजर) साल दर साल कम होता जा रहा है। इसके अलावा अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट के AGR (एवरेज ग्रास रिवेन्यू) विवाद पर फैसला आने के बाद से टेलिकॉम कंपनियों पर कुल Rs 92,000 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है। जिसे कोर्ट ने तीन महीने के अंदर भुगतान करने के लिए कहा है। इसके बाद टेलिकॉम कंपनियों ने इसके भुगताने के लिए 2 साल का वक्त मांगने के लिए अपील भी की है।
12 दिसंबर को Airtel के प्रमुख सुनील भारती मित्तल ने दूरसंचार सचिव से मुलाकात करने के बाद एक बार फिर से न्यूनतम दर तय करने की मांग की है। इसके बाद नियामक इस पर विचार करने वाली है। ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पिछले 16 साल से टेलिकॉम कंपनियों ने न्यूनतम कॉल दरें नहीं बढ़ाई है। 2016 में टेलिकॉम सेक्टर में कदम रखने वाली कंपनी Reliance Jio के बाजार में कदम रखने और फ्री कॉल और डाटा सर्विस मुहैया करने के बाद से टेलिकॉम सेक्टर में अफरा-तफरी का माहौल है। इसके बाद से कई टेलिकॉम कंपनियां या तो बंद हो गई है या फिर अन्य बड़ी टेलिकॉम कंपनियों के साथ मर्ज हो गई है।
ट्राई के चेयरमैन ने कार्यक्रम में बताया कि सभी दूरसंचार कंपनियों ने हमें एक साथ कॉल और डाटा की दरों को नियमित करने की मांग की है। ट्राई ने इससे पहले 2012 में कॉल और डाटा की दरें नियमित करने का विचार किया था, जिसका टेलिकॉम कंपनियों ने पुरजोर विरोध किया था।