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Reliance Jio ने COAI को बताया Airtel, Vodafone-Idea के हाथों की ‘कठपुतली’

Telecom Crisis Jio ने कम्युनिकेशन मिनिस्टर को आगाह किया कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ही इन टेलिकॉम कंपनियों से अपना बकाया वसूल करे।

By Harshit HarshEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 06:35 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 06:59 PM (IST)
Reliance Jio ने COAI को बताया Airtel, Vodafone-Idea के हाथों की ‘कठपुतली’
Reliance Jio ने COAI को बताया Airtel, Vodafone-Idea के हाथों की ‘कठपुतली’

नई दिल्ली, टेक डेस्क। Reliance Jio ने टेलिकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर कहा कि वो Airtel और Vodafone-Idea के घड़ियाली आसूं के आगे न झुके। दरअसल, Jio ने कम्युनिकेशन मिनिस्टर को आगाह किया कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ही इन टेलिकॉम कंपनियों से अपना बकाया वसूल करे। Jio ने COAI (सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के पत्र का हवाला देते हुए संचार मंत्री से कहा कि COAI इन दोनों टेलिकॉम कंपनियों के हाथों की कठपुतली बन चुका है। COAI इन दोनों कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए झूठी तस्वीर पेश कर रहा है।

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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद COAI ने सरकार से Airtel और Vodafone-Idea को राहत देने के लिए खत लिखा था। Jio ने अपने पत्र में दूरसंचार मंत्री से कहा कि वो COAI के इस तर्क से सहमत नहीं है कि अगर सरकार इन कंपनियों की मदद नहीं करेगी तो टेलिकॉम सेक्टर तबाह हो जाएगा। Jio ने यह भी आरोप लगाया कि COAI अपनी बात साबित करने सरकार को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। सरकार को COAI के इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

Jio ने अपने पत्र में कहा कि ये दोनों कंपनियां काफी सक्षम हैं और इनका बिजनेस भारत ही नहीं, अन्य देशों में भी फैला हुआ है। इन्होंने भारत में काफी गाढ़ी कमाई की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन दोनों कंपनियों को बकाया वापस करने से नहीं मुकरना चाहिए। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को तीन महीने के भीतर सरकार का बकाया भुगतान करना है। साथ ही साथ टेलिकॉम कंपनियों को कुल बकाए की आधी राशि को पेनॉल्टी के तौर पर भी भरना होगा। इसके बाद से Airtel और Vodafone-Idea ने सरकार से इसके लिए राहत देने के लिए अनुरोध किया था।

Jio ने अपने पत्र में सूचना और प्रसारण मंत्री से कहा कि इन दोनों कंपनियों ने अपने निवेशकों का भरोसा भी तोड़ा है। जब इन दोनों कंपनियों को AGR के बकाए पर सरकार, रेग्युलेटर और सुप्रीम कोर्ट का रूख पहले से ही मालूम था तो इन कंपनियों ने बकाए के भुगतान के लिए पहले से ही तैयारी क्यों नहीं की थी। AGR पर आने वाले फैसले के बारे में जानते हुए भी ये कंपनियां अपने रूख पर अड़ीं रहीं और अपने हिसाब से सरकार का बकाया भुगतान करती रही। ये दोनों ही कंपनियां अपने खराब ऑपरेशनल फैसलों की वजह से ग्रसित है और ये अपनी खराब वित्तीय हालत का हवाला सरकार को दे रही हैं। 


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