मार्क जकरबर्ग को छोड़कर सभी Tech Founders क्यों हुए फेल, जानें
मार्क जकरबर्ग दिनों-दिन न सिर्फ अच्छे व्यावसायी साबित हुए बल्कि उनका नाम दुनिया के रईसों में भी शामिल हो गया है
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। दुनिया की जानी-मानी सोशल मीडिया कंपनी Facebook के फाउंडर मार्क जकरबर्ग के अलावा कोई भी Tech Founder अच्छा बिजनेसमैन नहीं बन पाया है। इन Tech Founder को स्टार्ट-अप खोलने के बाद या तो कंपनी को बेचना पड़ा या फिर पद से इस्तीफा देना पड़ा है। लेकिन मार्क जकरबर्ग दिनों-दिन न सिर्फ अच्छे व्यावसायी साबित हुए बल्कि उनका नाम दुनिया के रईसों में भी शामिल हो गया है।
आज से 14 साल पहले Facebook की नींव रखने वाले मार्क जकरबर्ग ने कभी नहीं सोचा होगा कि उनका यह स्टार्टअप इस तरह से लोकप्रिय होगा कि आज दुनिया के 2 बिलियन यानी की करीब 2 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल प्रतिदिन करते हैं। मार्क जकरबर्ग के अलावा कई और Tech Founders हुए हैं जिन्होंने अपना स्टार्ट-अप तो ओपन किया है लेकिन वो अच्छे व्यावसायी साबित नहीं हो पाए हैं। टेस्ला के फाउंडर Elon Musk, उबर के फाउंडर Travis Kalanick और यहां तक कि भारतीय कंपनी फ्लिपकार्ट के फाउंडर सचिन और बिन्नी बंसल को भी कंपनी को एक अच्छे मुकाम पर पहुंचाने के बाद इस्तीफा देना पड़ा। आखिर मार्क जकरबर्ग का विजन और व्यावसायिक दिमाग ही है जिसकी वजह से कंपनी दिनों-दिन सफलता के नए आयाम छू रही है।
मार्क जकरबर्ग का विजन
मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक और इंस्टाग्राम में यूजर्स के हिसाब से निरंतर बदलाव करके अपने प्रोडक्ट को बाजार में बनाए रखा। आज फेसबुक का मार्केट कैपिटल 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसका सबसे बड़ा कारण मार्क जकरबर्ग का अपने प्रोडक्ट के लिए विजन है। फेसबुक की शुरुआत एक साधारण से आइडिया से हुआ है। इसका मुख्य कारण इसका इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है और यूजर्स इसके जल्द आदि बन जाते हैं। यही कारण है कि प्रोडक्ट के यूजर्स की संख्या कम होने का सवाल ही नहीं पैदा होता है।
चुनौती पैदा करने वाली कंपनियों का अधिग्रहण
फेसबुक का वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम का अधिग्रहण करना मार्क जकरबर्ग का एक मास्टरस्ट्रोक था। आने वाले समय में मार्क जकरबर्ग ऐसे ही फेसबुक के लिए चुनौती पैदा करने वाली कंपनियों और ऐप्स का अधिग्रहण करती रहेगी जो कि इसे बाजार में बनाए रखेगी। मार्क जकरबर्ग का यही विजन उसके लिए अब तक काम करती आई है। वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम की लोकप्रियता को देखते हुए कंपनी ने उसे अधिगृहत कर लिया। इसका फायदा यह हुआ कि फेसबुक के विस्तार में कोई बाधा पैदा नहीं हुआ।
शेयर का बंटवारा
इसके अलावा कंपनी के शेयर का बंटवारा है। मार्क जकरबर्ग ने गूगल की तरह ही द्विस्तरीय शेयर पॉलिसी बनाई है। जिसमें पहला स्तर आम लोगों या यूजर्स के लिए है जबकि दूसरा स्तर फेसबुक में काम कर रहे कर्मचारियों का है। फेसबुक के कर्मचारी के अलावा अगर कोई दूसरा व्यक्ति शेयर खरीदता है तो उसके पास वोटिंग राइट्स नहीं रहता है। किसी भी कंपनी के फाउंडर या सीईओ को वोटिंग राइट्स की वजह से ही हटाया जा सकता है। इस समय मार्कजकरबर्ग के पास कंपनी का 60 फीसद वोटिंग राइट्स है जिसकी वजह से कंपनी और मार्क जकरबर्ग के लिए एक सुरक्षा घेरा बना हुआ है।
मार्क जगरबर्ग के पास कंपनी के सीईओ का पद शुरू से ही है और हमेशा रहेगा। जकरबर्ग ने कंपनी को चलाने के लिए गूगल के कर्मचारी Sheryl Sandberg को हायर किया और सीओओ (चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर) को 2007 में हायर किया। Sheryl Sandberg तब से ही कंपनी की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर के पद पर कायम हैं।
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