#NayaBharat: भारत में करीब 50 लाख फोन हैं जिन्हें रिपेयर की जरूरत है- जयंत झा
,NayaBharat एक ऐसी सीरीज है जिसमें हम लीडर्स CEOs और CXOs के साथ बात करते हैं। जिसमें हम ये बात करते हैं कि कोरोना इफैक्ट के बाद भारत को कैसे बनाया जाए।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। जागरण न्यू मीडिया की #NayaBharat एक ऐसी सीरीज है जिसमें हम लीडर्स, CEO's और CXO's के साथ बात करते हैं। इस सीरीज को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन के विजन को ध्यान में रखकर बनाया गया है। देश की आर्थिक गति को फिर से पटरी पर लाने के लिए इंडस्ट्री के लीडर्स की क्या प्लानिंग है, ये जानने के लिए Jagran HiTech के एडिटर सिद्धार्था शर्मा ने इंडस्ट्री के लीडर्स और एक्सपर्ट्स से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की है। इसी कड़ी में आज हमारे साथ जुड़ें हैं जयंत झा, जो कि Yaantra के को-फाउंडर और CEO हैं।
सिद्धार्था शर्मा- मेरा पहला सवाल आपसे ये है कि सर्विस सेक्टर में हमें क्या चेंजेज देखने को मिले हैं ड्यूरिंग लॉकडाउन, ऐसा क्या इफेक्ट हुआ है बिजनेस में खास तौर पर सर्विस सेक्टर में स्मार्टफोन रिपेयर सेग्मेंट में?
जयंत झा- जब लॉकडाउन हुआ था तो आप बोल सकते हैं कि जो आपका सबसे क्लोजेस्ट फ्रेंड था वो मोबाइल फोन ही था। इस दौरान, अभी भी देश के बहुत से हिस्सों में पूरी तरह से लॉकडाउन चल रहा है और जो रिलीफ मिले हैं वो एक सीमित रिलीफ हैं और इस दो महीनों के अंदर काफी सारे ऐसे यूजर्स हैं जिनका फोन खराब हुआ है वो अपना फोन ठीक नहीं करवा पाए.. तो सबसे बडा जो प्रॉब्लम था कि जो उनकी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा था जिस पर वो बहुत ज्यादा डिपेंडेंट थे वो स्मार्टफोन्स उनमें जो खराबी आई थी जो ठीक नहीं करा पाए। एक अनुमान है कि भारत में करीब 50 लाख फोन हैं जिन्हें रिपेयर की जरूरत है.. जो कंज्यूमर्स हैं उन्हें आने वाले दिनों में रिपेयर कराने की कोशिश करेंगे.. ये सबसे बड़ा इफेक्ट था स्मार्टफोन इंडस्ट्री पर इस लॉकडाउन का, स्पेशली सर्विसे पर।
सिद्धार्था शर्मा- 50 लाख फोन्स आपने बताए, इतने सारे फोन थे इस दौरान जो सर्विस सेक्टर था उस पर कितना प्रभाव पड़ा है, आपने कैसे इसे मैनेज किया है?
जयंत झा- देखिए जो आप अगेंस्ट दी टाइड की बात कर रहे हैं, तो अभी जो सबसे जरूरी बात ये है कि हम कैसे अपने आप को कोरोनामुक्त रखें और देखें की जल्दी से जल्दी, देश और हम कैसे इस संकट से बाहर निकल सकते हैं और जहां तक बिजनेस का सवाल है कि इस लॉकडाउन के अंदर बहुत सारे चैलेंजेज भी आने वाले हैं स्मार्टफोन रिपेयरिंग की बात करें तो चीन से कंपोनेंट आते हैं, इस इंडस्ट्री का एक अहम हिस्सा है। आप देख सकते हैं कि दिसंबर के बाद से ही स्मार्टफोन के कंपोनेंट के सप्लाई चेन में एक तरह का डिप दिखने लग गया था तो सप्लाई चेन धीरे-धीरे रिड्यूस हो रहा था और पिछले 90 दिनों से वो न के बराबर है। मुझे लगता है काफी समय लगेगा इसे दोबारा पहले की तरह व्यवस्थित होने में। ये काफी अहम चैलेंज है जिसे जल्दी से जल्दी सॉल्व करना होगा। देखिए स्मार्टफोन इंडस्ट्री काफी सारे लोगों को जॉब्स देती है अक्रॉस दी कंट्री और उसमें आप देखेंगे जो स्किल्ड टेक्नीशियन्स हैं, जिन्हें स्मार्टफोन रिपेयर करना आता है, वहां से लेकर जो हाई टेक मैन्युफैक्चरिंग होता है देश के अंदर, चाहे वो Foxconn की प्लांट हो जो Xiaomi और Apple के लिए मैन्युफैक्चरिंग करता है या फिर जो Lava, Vivo, Oppo जो कुछ इंडियन ब्रांड्स हैं जो कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा में मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। तो ये सेक्टर एक बहुत बड़ा एम्प्लॉयमेंट क्रिएट करता है ये सेक्टर हमारे देश में। अगर आप Yaantra की बात करें तो हम खुद इंडिपेंडेंटली सर्विसेज देते हैं मोबाइल फोन पर और हमारे पास कुछ 1,000 कर्मचारी है देशभर में जो इस बिजनेस में इंन्वॉल्व्ड हैं। बहुत जरूरी होगा कि इस सेक्टर पर फोकस किया जाए और चीजों को जल्दी से जल्दी नॉर्मल किया जाए ताकि लोगों की जिंदगी नॉर्मल हो पाए।
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सिद्धार्था शर्मा- आगे हम किस तरीके का बिजनेस शिफ्ट देखेंगे सर्विस सेक्टर के अंदर मतलब क्या नए बिजनेस मॉडल देखने को मिलेंगे मोबाइल फोन सर्विसिंग सेक्टर में?
जयंत झा- देखिए ये बहुत अहम हो जाएगा कि जब आप किसी सर्विस सेंटर पर अपना फोन रिपेयर के लिए देते हैं और वो कुछ समय के लिए वहां रहता है तो बहुत सारे सवाल ग्राहकों के मन में रहेगा कि इसके कैसे आप सॉल्व कर सकते हैं। आने वाले समय में जो बिजनेस मॉडल होगा, जैसे कि yaantra ने भी अभी कॉन्टैक्टलेस रिपेयर सर्विस की शुरुआत की है, जिसमें हम जो हमारा वर्कफोर्स है उसमें हम इंजीनियर्स को ट्रेन कर रहे हैं कि वो ग्राहकों के घर पर जाएं और वहीं पर उनका फोन रिपेयर करें और ऐसे ठीक करें कि उनका फोन पूरी तरह से सुरक्षित हो, सेनिटाइज्ड हो और लोगों को हैंडओवर कर सकें। देखिए जो सबसे अहम बिजनेस मॉडल होगा वो यही की हम लोगों को रिस्क फ्री सर्विसेज प्रोवाइड करा सकें। जैसे अभी आप स्टोर्स की भी बात करें या जो सर्विस सेंटर होते हैं, आप कभी स्मार्टफोन सर्विस रिपेयर सेंटर में गए होंगे तो वहां आपको बहुत लंबी क्यू मिलेगी। कम से कम एक टाइम पर आपको वहां एक टाइम पर 25-30 लोग मिलेंगें। मुझे लगता है कि वो एक बहुत बड़ा चैलेंज होने वाला है, क्योंकि लोग ऐसी जगहों पर जाना प्रेफर्ड नहीं करेंगे, जहां काफी सारे लोग एक साथ इकट्ठा हो रहे हों। तो बहुत सारे तरीके हो सकते हैं जैसे कि ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट सिस्टम को लाया जा सकता है। जिसमें कि आप किसी स्टोर को विजिट करना चाहते हैं तो पहले आपको ऑनलाइन अप्वॉयंटमेंट लेना होगा। पर सबसे जो अहम है वो मुझे ये लगता है कि कंपनी सिर्फ फोकस करे कि ग्राहकों को सबसे सुविधाजनक तरीके से सर्विसेज प्रोवाइड कराई जाए तो मुझे लगता है कि जो डोर स्टेप सर्विस रिपेयर मॉडल है वो आने वाले टाइम पर कस्टमर्स की एक्सेपिबिलिटी उसमें बढ़नी चाहिए और वो सबसे लिए फायदेमंद होगा, कस्टमर के लिए भी और ब्रांड्स के लिए भी।
सिद्धार्था शर्मा- सर्विसेज इंडस्ट्रीज है आपकि जाहिर सी बात है सरकार ने एक रिलीफ पैकेज निकाला है SME's और MSME's के लिए जो एक तरीके से सर्विस सेक्टर को भी कैप्चर करता है तो उस बारे में आपकी क्या राय है?
जयंत झा- देखिए, MSME का जो क्वालिफिकेशन क्राइटेरिया है वो मेरे ख्याल से बहुत सारी कंपनीज उसके अंदर आती हैं, उनको निश्चित ही काफी मदद मिलेगा उससे। लेकिन जो कंपनीज MSME को क्वालिफाई नहीं करती हैं जो थोड़ी बड़ी हैं जैसे कि आपने देखा होगा कि नियम ये है कि आपका जो रेवेन्यू होता है वो अगर 100 करोड़ रुपये के अंदर है तो आप क्वालिफाई करते हैं MSME के लिए जैसे की बड़ी कंपनी है जैसे कि Yaantra का साइज है उससे लगभग दोगुना है तो हम उसमें क्वालिफाई नहीं करते हैं लेकिन जो इसके लिए क्वालिफाई करती हैं उनको बहुत मदद मिलेगी। सर्विसेज में एक बहुत बड़ा एरिया है वो मोमेंट बॉक्स सोर्स के जरिए सर्विस प्रोवाइड करता है कहीं पर जैसे जो ब्रांड ऑथोराइज्ड सर्विस सेंटर है वो भी काफी फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम करते हैं। मुझे जो लगता है ये जो रिलीफ पैकेज आया है उनसे उन सारे लोगों को काफी मदद मिलने वाली है।
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सिद्धार्था शर्मा- फाइनली जयंत आपसे मैं ये पूछना चाहूंगा कि आपका एक मैसेज जो हमारे व्यूअर्स के लिए या इंडस्ट्री के लिए जो लगता है कि हमें ले जाएगा एक नए भारत की ओर।
जयंत झा- मुझे हमेशा से ये लगता रहा है कि भारत के जो लोग हैं वो काफी इनोवेटिव हैं, आपने देखा होगा कि हमलोग हमेशा कॉस्ट इफेक्टिव, सरल, सिंपल सॉल्यूशन निकाल लेते हैं और सबसे जो अहम लगता है वो ये कि हमारे देश के लोग बहुत ही मेहनती हैं। वो इनिशिएटिव्स लेते हैं और आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। देखिए, ये जो है प्रॉब्लम है, हम सबके सामने पहली बार आया है। ऐसा नहीं है कि हम में से किसी ने भी इस प्रॉब्लम को पहले सॉल्व किया हो तो सबसे महत्वपूर्ण चीज यही होगा कि आप जितनी जल्दी से रिकवर करने की कोशिश करें, चीजों को नॉर्मल लाने की कोशिश करें और उसके लिए सोचना होगा.. एक कदम आगे बढ़कर सोचना होगा कि इस प्रॉब्लम को कैसे सॉल्व कर सकते हैं। अगर, आप इनोवेशन पर फोकस करें। अपनी समस्याओं पर फोकस करें तो मुझे लगता है कि हम नए भारत के निर्माण के लिए आगे बढ़ रहे हैं और हर प्रॉब्लम में एक ऑपर्च्युनिटी छिपा होता है। हम सबने देखा है कि काफी सारा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भारत में आने वाला है। मुझे लगता है आने वाला ये जो 30 से 60 दिन है वो हमें सहजतापूर्वक इसको निकालना चाहिए। लेकिन हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि आने वाले समय में अगर हम मेहनत करते हैं तो चीजें जल्दी सामान्य हो जाएंगी।