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बदल गया स्वदेशी Koo App का लोगो, अब दिखेगा कुछ ऐसा

माइक्रो ब्लॉगिंग ऐप Koo ने श्री श्री रवि शंकर के 65वें जन्मदिन के अवसर पर अपना नया लोगो लॉन्च किया है। कू ऐप का नया लोगो पहले की तरह पीली चिड़िया है मगर अब इसे मास्क पहनाया गया है।

By Ajay VermaEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 07:09 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 08:03 AM (IST)
बदल गया स्वदेशी Koo App का लोगो, अब दिखेगा कुछ ऐसा
माइक्रो ब्लॉगिंग Koo ऐप की फोटो दैनिक जागरण की है

नई दिल्ली, टेक डेस्क। भारतीय माइक्र ब्लॉगिंग ऐप Koo ने श्री श्री रवि शंकर के 65वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर अपना नया लोगो लॉन्च किया है। कू ऐप का नया लोगो पहले की तरह पीली चिड़िया है, मगर अब इसे इसे नया रूप मिला है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कू ऐप को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था और इसे अब तक 5 मिलियन से ज्यादा यूजर्स डाउनलोड कर चुके हैं।     

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आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक, श्री श्री रवि शंकर ने कहा है कि सामाजिक संपर्क और सूचना सभ्य समाज का सकेंत है। यह ऐप देश और दुनिया भर में लाखों लोगों को जोड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा है कि कू ऐप के नए लोगो के लॉन्च होने से मैं बहुत खुश हूं। इतने कम समय में इस तरह की शानदार सोशल मीडिया ऐप को बनाने के लिए उनकी टीम को मेरी ओर से बधाई।       

कू के सह-संस्थापक, अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा है कि हम अपनी नई पहचान को सबके सामने लाने के लिए बहुत उत्साहित हैं। हमारी नन्ही पीली चिड़िया के बालपन से किशोरावस्था में बढ़ गई है। उन्होंने आगे कहा है कि हमारी चिड़िया सकारात्मकता से भरी हुई है और लोगों को जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में सबसे सकारात्मक तरह से वार्ता और चर्चा करने के लिए प्रेरित करेगी।  

कू के सह-संस्थापक, मयंक बिदावतका ने कहा है कि यूजर्स हमारी नई पहचान को पसंद कर रहे हैं। हमारी पीली चिड़िया सकारात्मकता का प्रतीक है। मने कू को बनाया ताकि लोग विभिन्न विषयों पर चर्चा कर सके। उन्होंने आगे कहा है कि लाखों यूजर्स एक दूसरे से जुड़ने और उस संगति में आराम की अनुभूति पाने के लिए कू का उपयोग करते हैं। यह छोटी पीली चिड़िया अब एक अरब भारतीयों की दूत बनने के लिए तैयार है।

Koo ऐप से जुड़ी जानकारी

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Koo ऐप को पिछले साल मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। यह माइक्रो-ब्लॉगिंग ऐप है। इस ऐप में अलग-अलग क्षेत्र के लोग अपनी मातृभाषा में खुद को व्यक्त कर सकते हैं। जिस देश का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा अंग्रेजी बोलता है, वहाँ एक ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की गहरी आवश्यकता है जो भारतीय यूजर्स को भाषा के मनमोहक अनुभव प्रदान कर सके और उन्हें एक-दूसरे से जुड़ने में मदद कर सके।


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