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मोबाइल फोन बनाने में चीन को पीछे छोड़ देगा भारत! साल 2025 तक एक्सपोर्ट होगा 100 बिलियन डॉलर

भारत ने मोबाइल फोन निर्यात में रिकार्ड बनाया है। साल 2020 में भारत के इतिहास में पहला ऐसा मौका आया जब मोबाइल आयात के मुकाबले निर्यात ज्यादा रहा।

By Harshit HarshEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 05:28 AM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 05:29 AM (IST)
मोबाइल फोन बनाने में चीन को पीछे छोड़ देगा भारत! साल 2025 तक एक्सपोर्ट होगा 100 बिलियन डॉलर
मोबाइल फोन बनाने में चीन को पीछे छोड़ देगा भारत! साल 2025 तक एक्सपोर्ट होगा 100 बिलियन डॉलर

नई दिल्ली, टेक डेस्क। भारत मे एक वक्त मेड इन चाइना स्मार्टफोन का बोलबाला हुआ करता था। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं और दुनियभर में तेजी से मेड इन इंडिया स्मार्टफोन पहुंच रहे हैं। इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन (ICEA) की रिपोर्ट की मानें तो साल 2025 तक मेड इन इंडिया मोबाइल का एक्सपोर्ट 100 बिलियन डॉलर का हो सकता है, जबकि मोबाइल पार्ट्स का एक्सपोर्ट करीब 40 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है।

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रिपोर्ट के मुताबिक एक वक्त तक चीन और वियतनाम 198 देशों को मोबाइल आयात करते थे। लेकिन अब इस लीग में भारत भी शामिल हो गया है। भारत तीन बिलियन डॉलर मोबाइल एक्सपोर्ट के साथ तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। अब कंपनी वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग और मोबाइल एक्सपोर्ट में दूसरे स्थान की कोशिश करेगी। ICEA के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रो ने इसका खुलासा किया। ऐसे में उम्मीद की जा रही है भारत जल्द ही मोबाइल एक्सपोर्ट के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा।

इंडिया टूडे की रिपोर्ट में कहा गया कि अभी तक भारत का मोबाइल एक्सपोर्ट हमेशा इंपोर्ट से कम रहता था। लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 में भारत ने 41.5 मिलियन फोन का एक्सपोर्ट किया,जबकि आयात केवल 5.6 मिलिनय स्मार्टफोन का किया है। ऐसे में साल 2020 में पहली बार ऐसा मौका आया, जब  भारत का मोबाइल फोन एक्सपोर्ट उसके इंपोर्ट से ज्यादा रहा। भारतीय मोबाइल इंडस्ट्री के लिए यह एक रिकार्ड रहा है। ICEA के डाटा के मुताबिक साल 2014 तक भारत में केवल दो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थी, जिनकी संख्या साल 2018 में 268 हो गयी। ऐस में यह ट्रेंड दिखाते हैं कि भारत तेजी से मोबाइल मैन्युफैक्चिरंग की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

साल 2017 में सरकार ने भारत निर्माण को बढ़ावा देने के लिए फेज मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम लेकर आई, जिसके तहत लोकल सोर्सिंग पार्ट को इन्सेंटिव दिया गया, जबकि इलेक्ट्रॉनिक पार्ट जैसे चार्जर, माइक्रोफोन, कैमरा के आयात पर कस्टम ड्यूटी लगाई गई। ऐसे में पूरी तरह से बने मोबाइल फोन का आयात महंगा हो गया। हालांकि मोबाइल पार्ट का आयात जारी रहा और फिर भारत में मोबाइल फोन की असेंबलिंग में इजाफा देखा गया। काउंटर प्वाइंट की रिपोर्ट पर गौर करें, तो साल 2018 में मोबाइल फोन इंडस्ट्री में लोकल मैन्युफैक्चरिंग की वजह से भारत ने करीब 2.5 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा की  बचत की। लेकिन इस दौरान मोबाइल पार्ट्स का 13.5 बिलियन डॉलर का आयात  किया गया। इस लिहाज से भारत में अभी लोकल स्तर पर मोबाइल पार्ट्स की  मैन्युफैक्चरिंग बढ़ानी होगी।

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(Written By- Saurabh Verma)


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