रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक की खबर को सरकार ने किया खारिज: जानें बड़ी बातें
रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक होने की खबर को सरकार ने नकार दिया है।
नई दिल्ली(टेक डेस्क)। रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक होने की खबर को सरकार ने सिरे से नकार दिया है। इससे पहले जारी अफवाहों के बीच अटकलें लगाई जा रही थी कि रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर साइबर हमला हुआ है और वेबसाइट हैक हो गई है। माना जा रहा था कि चीनी हैकर्स ने वेबसाइट पर हमला किया है। इस बीच ये खबर भी मिल रही है कि गृह मंत्रालय की वेबसाइट स्लो काम कर रही है।
गृह मंत्रालय की वेबसाइट स्लो होने को लेकर ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि कहीं वेबसाइट पर हैकर्स का हमला तो नहीं हुआ है। हालांकि चीनी हैकर्स के शामिल होने की बात को सरकार की तरफ से नकार दिया गया है। कुछ समय पहले रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक होने की खबर मिल रही थी। इसके बाद गृह मंत्रालय समेत कई बड़ी सरकारी वेबसाइट्स भी स्लो हो गई हैं। रक्षा मंत्रालय की साइट हैक होने की खबर के बाद गृह मंत्रालय की वेबसाइट का स्लो होना हैक होने की अटकलों को बल दे रहा है।
दरअसल कुछ देर पहले रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर यूजर्स को होम पेज पर चीनी भाषा में कुछ लिखा दिखाई दिया। इसके बाद अंदाजा लगाया जाने लगा कि वेबसाइट हैक हो चुकी है। फिलहाल पूरे मामले को लेकर जांच शुरू कर दी गई है। वहीं अब तक इस बात का पता नहीं चल रहा है कि गृह मंत्रालय की वेबसाइट हैक हुई है या किसी तकनीकी खामी के कारण साइट स्लो हो गई है।
साइबर हमले की आशंका के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है भारत
वहीं इससे पहले आई एक रिपोर्ट के मुताबिक साइबल हमले की आशंका को लेकर दुनिया में तीसरे स्थान पर भारत है। जबकि, 2017 में साइबर हमले को लेकर भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
रिपोर्ट के मुताबिक साइबर हमले की संभावना को लेकर भारत से ऊपर दो देश हैं। इन दो देशों में अमेरिका और चीन आते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि स्पैम और फीशिंग के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। हालांकि साइबर अटैक, जैसे रेनसमवेयर और नेटवर्क अटैक के मामले भारत में पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ें हैं।
रेनसमवेयर हमले को लेकर भारत दुनिया में चौथे स्थान पर आता है। इन हमलों में हैकर्स, यूजर्स के कम्प्यूटर को हैक कर के लॉक कर देते हैं और वापस अनलॉक करने के लिए पैसे की मांग करते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तरह के हमले को ज्यादा तर ऐसे ग्रुप्स करते हैं जो स्टेट स्पॉन्सर्ड होते हैं। हालांकि प्राइवेस ग्रुप की संख्या में तेजी से इजाफा दर्ज किया गया है। हैकिंग के पीछे आर्थिक और इंटेलिजेंस जानकारी चुराना मुख्य कारण हैं।
साइबर हमले का एक बड़ा कारण क्रिप्टो करेंसी में आई बढ़ौतरी है। हैकर्स डिजिटल करेंसी के लिए यूजर्स की जानकारी चुराते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकिंग के बाद सिस्टम का स्लो होना, बैटरी का गर्म होना और सिस्टम का बिना कमांड दिए काम करना शामिल हैं। ये हमले संस्थाओं पर ज्यादा होते हैं बजाए कि सिंगल यूजर्स को टारगेट करने के।
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