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Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना, इस वजह से है मुश्किल

Chandrayaan 2 के लैंडर से 7 सितंबर को तड़के 1 बजकर 52 मिनट पर संपर्क टूट गया था। जिसके बाद से ISRO के वैज्ञानिकों के साथ साथ देश के 130 करोड़ लोग निराश हो गए थे..

By Harshit HarshEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 08:09 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 09:54 AM (IST)
Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना, इस वजह से है मुश्किल
Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना, इस वजह से है मुश्किल

नई दिल्ली, टेक डेस्क। Chandrayaan 2 के विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के बाद कल दोपहर को ऑर्बिटर ने इसे चांद की सतह पर स्पॉट किया। इस बात की जानकारी ISRO के चीफ ने मीडिया को बताई। ISRO के वैज्ञानिक लगातार विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं। हालांकि, लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित होने की उम्मीद काफी कम है। Chandrayaan 2 के लैंडर से 7 सितंबर को तड़के 1 बजकर 52 मिनट पर संपर्क टूट गया था। जिसके बाद से ISRO के वैज्ञानिकों के साथ साथ देश के 130 करोड़ लोगों के आंखों में आंसू आ गए थे। हालांकि, चांद के इतने करीब तक पहुंच पाना भी ISRO के लिए किसी इतिहास रचने से कम नहीं था।

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ISRO ने चांद की सतह पर विक्रम लैंडर मिलने की पुष्टि की। ISRO ने बताया कि चांद की सतह पर हमने एक नए ऑब्जैक्ट का पता लगाया है। जिस लॉन्गिट्यूड और लैटिट्यूड पर वह पदार्थ पाया गया वहां पहले कोई पदार्थ नहीं था। जिसकी वजह से हमें ये लगा कि यह विक्रम लैंडर हो सकता है। विक्रम लैंडर की तस्वीर और ऑर्बिटर से भेजे गए डाटा के आधार पर ISRO लैंडर की वास्तविक कंडीशन के बारे में अध्ययन कर रहा है। हालांकि, विक्रम लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना लगभग असंभव है।

ISRO के वैज्ञानिक, 7 सितंबर की रात से ही लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश में है। दूसरी तरफ, ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई तस्वीर के आधार पर लैंडर की कंडीशन जानने की कोशिश की जा रही है। ISRO के वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि विक्रम लैंडर से अंतिम समय में संपर्क क्यों टूट गया? इसके अलावा यह भी पता लगाया जा रहा है कि अगर विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर क्रैश लैंडिंग हुई है तो लैंडर को कितना नुकसान पहुंचा है।

विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर ISRO से IDSN नेटवर्क के जरिए संपर्क करते हैं। ऐसे में अगर विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हुई होगी, तो नेटवर्क कनेक्टिविटी के लिए इस्तेमाल किए गए यंत्र में खराबी आ सकती है। इसी वजह से ISRO का विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया होगा। अगर, विक्रम लैंडर के कम्युनिकेशन तंत्र में खराबी आई होगी तो उससे संपर्क करना असंभव हो सकता है। जब तक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित नहीं होगा, प्रज्ञान रोवर के बारे में पता नहीं चल पाएगा।

प्रज्ञान रोवर केवल विक्रम लैंडर के साथ ही कम्युनिकेट कर सकता है। हालांकि, ISRO के वैज्ञानिकों का हौसला बरकरार है और वो लगातार कोशिश में लगे है कि विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित किया जा सके। इससे पहले चंद्रयान 2 की लैंडिग से पहले ही ISRO चीफ ने कहा था कि चांद की सतह पर लैंडिंग करने का आखिरी 15 मिनट काफी चुनौतीपूर्ण होगा। वास्तव में भी आखिरी के 15 मिनट में ही ISRO का संपर्क विक्रम लैंडर से टूट गया। विक्रम लैंडर चांद कि सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर ISRO के संपर्क से बाहर हो गया। ISRO का चंद्रयान 2 मिशन इसके बावजूद भी 95 फीसद तक सफल रहा है।


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