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स्मार्टफोन में दिया गया फेस अनलॉक फीचर कितना सुरक्षित, जानें

वर्तमान में लॉन्च हो रहे फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स में फेस आईडी फीचर दिया जा रहा है। जानें यह कितना सुरक्षित है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 02:53 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jun 2018 11:32 AM (IST)
स्मार्टफोन में दिया गया फेस अनलॉक फीचर कितना सुरक्षित, जानें
स्मार्टफोन में दिया गया फेस अनलॉक फीचर कितना सुरक्षित, जानें

नई दिल्ली (टेक डेस्क)। स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों ने हैंडसेट्स में कई नए फीचर या तकनीक जारी की हैं। इन्हीं में से एक तकनीक फेस अनलॉक है। इस फीचर ने फोन को अनलॉक करने का काम पहले से ज्यादा आसान कर दिया है। यूजर को सिर्फ फोन को अपने चेहरे के सामने लाना होता है और फोन अनलॉक हो जाता है। लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है कि क्या यह फीचर आपके फोन के लिए सुरक्षित है? अगर नहीं, तो हम आपको इस पोस्ट में इस फीचर से जुड़ी अहम जानकारियां देने जा रहे हैं।

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जानें कब लॉन्च हुआ था फेस अनलॉकिंग फीचर?

गूगल ने यह फीचर सबसे पहले वर्ष 2011 में एंड्रॉयड 4.0 में लॉन्च किया था। लेकिन उस समय इसका प्रोसेस काफी स्लो था जिसके चलते यह फीचर ज्यादा लाइमलाइट में नहीं आ पाया। जिसके बाद इस फीचर को सैमसंग Galaxy S8 और Galaxy S8+ के साथ मार्च 2017 में एक बार फिर से पेश किया गया।

इस बेहतर बनाने के लिए इसमें कई तरह के सुधार भी किए गए। हालांकि, उस समय भी यह ज्यादा चर्चित नहीं हुआ। लेकिन सितंबर 2017 में जब iPhone X के साथ फेस आईडी को पेश किया गया तब से यह फीचर यूजर्स के बीच काफी प्रचलित हो गया।

फेस अनलॉकिंग फीचर कैसे करता है काम?

एप्पल फेस आईडी को ट्रू डेप्थ कैमरा सिस्टम द्वारा बनाया गया है। इसमें 30000 इनविजिबल डॉट्स होते हैं जो यूजर के चेहरे का यूनिक 3डी मॉडल बनाते हैं जो फोन को अनलॉक करने के लिए सेव हो जाता है। जब भी यूजर अपने iPhone X को फेस आईडी के जरिए अनलॉक करना चाहता है तो फोन का कैमरा इंफ्रारेड (IR) कैमरे के जरिए, डॉट पैटर्न को पढ़कर इंफ्रारेड इमेजन को कैप्चर कर लेता है। इसके बाद इस इमेज को वेरिफिकेशन के लिए भेजा जाता है। इस प्रोसेस के बाद ही फोन अनलॉक होता है। गौर करने वाली बात यह है कि यह पूरा प्रोसेस 1 या 2 सेकेंड से कम समय में पूरा हो जाता है।

कैसपरस्काई लैब्स के मुताबिक, “बजट फोन में दिया गया फेस आईडी फीचर केवल फ्रंट फेसिंग कैमरा और आम एलगोरिदम्स पर ही निर्भर करता है। लेकिन बिना IR सेंसर और डॉट प्रोजेक्टर से लैस रेग्यूलर 2डी कैमरा फोटो दिखाने से भी फोन को अनलॉक कर सकता है।” वहीं, एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स बनाने वाली कंपनियों ने यह दावा किया है कि फेस अनलॉकिंग फीचर, फिंगरप्रिंट और पासवर्ड टाइप करने के मुकाबले असुरक्षित है।

आपको बता दें कि सैमसंग S9 स्मार्टफोन के साथ एक डिस्क्लेमर भी दिया जाता है कि फेस रिक्गनिशन फीचर स्क्रीन लॉक जैसे आईरिस स्कैनर, पैटर्न, पिन और पासवर्ड के मुकाबले कम सुरक्षित है। ऐसा ही डिस्क्लेमर शाओमी Redmi Note 5 Pro के साथ भी दिया जाता है। वहीं, वनप्लस की बात करें तो यह कंपनी भी फेस आईडी को फिंगरप्रिंट से कम सुरक्षित मानती है। साथ ही यह पेमेंट करने के लिए फेस फीचर को अनुमति नहीं देती है।

कैसे पा सकते हैं इस समस्या से निजात?

वीवो ने हाल ही में पहले से ज्यादा सुरक्षित फेस अनलॉक टूल अपडेट किया है। वहीं, सैमसंग ने आइरिस स्कैनर के लिए वीवो से कम सुरक्षित फेशियल रिक्गनिशन टूल जारी किया है जो यूजर्स को टू-लेयर प्रोटेक्शन उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा हुआवे एप्पल फेस आईडी की तरह 3डी फेस मैपिंग टूल पर काम कर रही है। सेंटर फॉर इंटरनेट सिक्योरिटी के एग्जेक्यूटिव डायरेक्ट सुनील अब्राहम ने बताया कि यूजर्स ने भी यह माना है कि फेस आईडी एक असुरक्षित फीचर है। इसके लिए कंपनियों को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि कंपनियां ने फेस आईडी के अलावा कई सिक्योर विकल्प पैटर्न और पासवर्ड दिए हैं।

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