फेसबुक, व्हाट्सएप और स्काइप पर सुप्रीम कोर्ट कसेगा शिकंजा, जल्द बनाई जाएगी रेग्युलेटरी बॉडी
हाईकोर्ट ने साफ कहा था, "जब यूजर्स किसी सोशल साइट्स से हट जाता है या वो अपना अकाउंट बंद कर लेता है तो यूर्जस की सभी सूचना भी खाते से हटा दी जानी चाहिए
नई दिल्ली| टेलिकॉम ऑपरेटर की तर्ज पर ऑनलाइन कॉलिंग और मैसेजिंग सेवा प्रदान करने वाली सुविधाएं जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप और स्काइप पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार जल्द ही एक रेग्युलेटरी बनाने जा रही है| ये बातें सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखीं| टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि व्हाट्सएप और ऐसी सुविधाएं टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के नेटवर्क का इस्तेमाल कर के लोगों तक अपनी पहुंच बनाती हैं| उनके द्वारा दी जा रही सभी सेवाओं का स्त्रोत यही सर्विस प्रोवाइडर ही होते हैं| लेकिन जिस प्रकार ट्राई सर्विस प्रोवाइडर्स पर निगरानी रखती है, उससे व्हाट्सएप और फेसबुक आदि पर नियंत्रण नहीं होता|
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ को सौंपा है मामला:
सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले को संविधान पीठ को सौंप दिया है, जिसकी सुनवाई 18 अप्रैल को होगी| दरअसल इससे पहले व्हाट्सएप और फेसबुक ने कहा था कि वो यूजर्स की निजी जानकारी का इस्तेमाल व्यवसायिक हित में कर सकते हैं| जबकि इसके खिलाफ मामला कोर्ट पहुंचा तो दिल्ली हाईकोर्ट ने इस नीति पर रोक लगा दी| हाईकोर्ट ने साफ कहा था, "जब यूजर्स किसी सोशल साइट्स से हट जाता है या वो अपना अकाउंट बंद कर लेता है तो यूर्जस की सभी सूचना भी खाते से हटा दी जानी चाहिए|"
पॉलिसी से 15 करोड़ लोगों की प्राइवेसी पर खतरा:
हाईकोर्ट के बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जनवरी में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई से इस मसले पर उनकी राय मांगी थी| व्हाट्सएप और फेसबुक की प्राइवेसी पॉलिसी से देश के 15 करोड़ 70 लाख लोगों की प्राइवेसी पर खतरा है|
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