सावधान! LED बल्ब का इस्तेमाल करना आपके लिए हो सकता है खतरनाक
हाल ही में यूरोपीयन यूनियन ने पारंपरिक हैलोजन लैम्प को बैन कर दिया है और लैम्प पोस्ट पर LED लैम्प लगाने का आदेश दिया है।
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। कुछ सालों से LED बल्ब का इस्तेमाल भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में तेजी से बढ़ा है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह पर्यावरण के लिए बेहतर माना जाता है, साथ ही इससे बिजली की बचत भी होती है। हाल ही में यूरोपीयन यूनियन ने पारंपरिक हैलोजन लैम्प को बैन कर दिया है और लैम्प पोस्ट पर LED लैम्प लगाने का आदेश दिया है। भारत में भी केन्द्र सरकार ने LED बल्ब पर जोर देते हुए लोगों को इसके इस्तेमाल करने के लिए कहा है। यही कारण है कि तमाम बल्ब बनाने वाली कंपनियां भी इन दिनों LED बल्ब बनाने पर जोर दे रही हैं। बाजार में भी LED बल्ब की मांग बढ़ी है। क्या आप जानते हैं कि LED बल्ब के इस्तेमाल से पर्यावरण की रक्षा होती है, साथ ही बिजली की बचत भी होती है लेकिन, इससे हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है।
LED बल्ब किस तरह से करता है काम
सबसे पहले हम जान लें कि LED बल्ब किस तरह से काम करता है, और क्यों यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। LED एक कम वोल्टेज लेने वाला लाइट एमिटिंड डायोड (एलईडी) डिवाइस है, जो लैम्प के अंदर एक छिपे हुए सर्किट पर काम करता है। इस बल्ब में आम बल्ब की तरह फिलामेंट का इस्तेमाल नहीं होता है (जैसा कि हैलोजन लैम्प में होता है) तो यह गैस की मदद से प्रकाश का उत्सर्जन करता है। कई बार आपने देखा होगा कि LED बल्ब फ्लिक करता रहता है, ऐसा इसलिए कि इसके सर्किट से बल्ब को पर्याप्त वोल्टेज नहीं मिलता है। कुछ LED बल्ब तो बुरी तरह से फ्लिक करता है। सर्किट के इस्तेमाल की वजह से ही यह बल्ब हैलोजन लैम्प की तुलना में कम कार्बन का उत्सर्जन करता है। इसी वजह से इसे पर्यावरण के लिए उपयुक्त माना गया है। इसके अलावा इससे बिजली की खपत भी कम होती है। ज्यादातर, सस्ते LED बल्ब में इस तरह की फ्लिकरिंग की समस्या आती है।
LED बल्ब के फ्लिक होने से स्वास्थ्य समस्याएं
LED बल्ब जब फ्लिक करता है तो इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अगर, आपके घर में फ्लिक करने वाला LED बल्ब है तो उसे तुरंत बदलवा लें। फ्लिक करने की वजह से दिमागी बीमारी समेत आंखों की बीमारी होने का खतरा हो सकता है। आपकी आंखों में जलन भी हो सकती है, साथ ही आंखों की रोशनी पर भी यह असर कर सकता है। ट्यूबलाईट (फ्लूरोसेन्ट लाईट) एलईडी बल्ब के मुकाबले एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन ट्यूबलाईट ज्यादा बिजली की खपत करता है। अगर, आप अच्छी गुणवत्ता का एलईडी बल्ब इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको इससे घबराने की जरूरत नहीं है। बशर्ते, जब वो फ्लिक करने लगे तो तुरंत बदलवा दें, नहीं तो आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
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