Move to Jagran APP

स्टडी रूम में वास्तु के इन नियमों का जरूर करें पालन, बढ़ेगी बुद्धि और एकाग्रता

भारत में दैविक काल से वास्तु नियम का ख्याल रखा जाता है। हालांकि कई लोग बच्चों की स्टडी रूम की वास्तु को लेकर लापरवाह हो जाते हैं। वहीं बच्चे के पढ़ाई में मंद होने पर दोष बच्चों पर मढ़ देते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 07:58 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:58 PM (IST)
स्टडी रूम में वास्तु के इन नियमों का जरूर करें पालन, बढ़ेगी बुद्धि और एकाग्रता
स्टडी रूम में वास्तु के इन नियमों का जरूर करें पालन, बढ़ेगी बुद्धि और एकाग्रता

सनातन धर्म में वास्तु का विशेष महत्व है। ज्योतिष हमेशा गृह निर्माण से लेकर घर की सजावट तक वास्तु नियमों का पालन करने की सलाह देते हैं। लापरवाही बरतने पर जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पश्चिम देशों में भी वास्तु नियमों का पालन किया जाता है। भारत में दैविक काल से वास्तु नियम का ख्याल रखा जाता है। हालांकि, कई लोग बच्चों की स्टडी रूम की वास्तु को लेकर लापरवाह हो जाते हैं। वहीं, बच्चे के पढ़ाई में मंद होने पर दोष बच्चों पर मढ़ देते हैं। अगर आपके बच्चे का भी पढ़ाई में मन नहीं लगता है, तो स्टडी रूम में वास्तु के इन नियमों का जरूर पालन करें। आइए जानते हैं-

loksabha election banner

-वास्तु जानकारों की मानें तो स्टडी रूम हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में रहना चाहिए। अन्य दिशा में स्टडी रूम होने से बच्चे की रूचि स्टडी में कम रहती है। इसके लिए स्टडी रूम उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।

-स्टडी रूम में बैठने की व्यवस्था ऐसी करनी चाहिए कि बच्चे का मुख दक्षिण दिशा में न रहें। दक्षिण दिशा में अग्नि की प्रधानता रहती है। अग्नि की प्रधानता के चलते बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है। साथ ही बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है।

-स्टडी रूम में टेबल पर पठन-पाठन की सामग्री रखना शुभ माना जाता है। इसके लिए ग्लोब या पिरामिड रख सकते हैं।

-स्टडी रूम में मां शारदे और बल, बुद्धि एवं विद्या के दाता हनुमानजी समेत गणेश जी की चित्र जरूर लगाएं। इससे बच्चे की एकाग्रता बढ़ती है।

-बच्चे को नियमित रूप से स्टडी रूम में प्रातः काल स्नान-ध्यान के बाद हनुमान चालीसा और सरस्वती चालीसा का पाठ करने की सलाह दें। साथ ही गायत्री मंत्र का भी जाप जरूर करें। इससे बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है।

-स्टडी रूम में अलमारी हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। साथ ही अध्ययन के समय बच्चे का मुख पूर्व की दिशा में रहें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.