Vastu Tips For Home: क्या आपका घर भी है पश्चिममुखी तो वास्तु के हिसाब से इन बातों पर दें खास ध्यान, बनी रहेगी खुशहाली
Vastu Tips For Home शास्त्रों में पश्चिम दिशा लक्ष्मी जी की दिशा को माना जाता है। लक्ष्मी जी के अलावा यह दिशा शनि जी की दिशा भी होती है।
Vastu Tips For Home: शास्त्रों में पश्चिम दिशा लक्ष्मी जी की दिशा को माना जाता है। लक्ष्मी जी के अलावा यह दिशा शनि जी की दिशा भी होती है। लक्ष्मी जी का आवागमन संध्या काल में या फिर सुबह के समय 4 बजे के आस-पास का माना गया है। लेकिन यह तभी संभव है जब इस दिशा के भवन या घर को वास्तु विज्ञान के अनुरूप बनाया गया हो। इस दिशा को लेकर ज्योतिषाचार्य दयानंद शास्त्री ने बताया कि इस दिशा के देव वरुण देव हैं। ये जल के स्वामी हैं। साथ ही इनका तत्व वायु तत्व है। इस दिशा में निवास करने वाले ग्रह स्वामी के व्यापार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कई बार बीमारियां व्यक्ति को घेर लेती हैं। इस दिशा में जिनका घर होता है उनके घरों में धन कम रुकता है। अगर इसके मुख्य कारण की बात करें तो यह घर की ढलान कही जा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर ढलान पश्चिम दिशा में होती है तो सूर्य देव की सुबह सवेरे की फलदाई ऊर्जा घर में रुक नहीं पाती है। इससे व्यवस्था और स्वास्थ्य खराब रहने लगता है।
एक दूसरा कारण भी है कि पश्चिम दिशा के घर में पानी को बाहर निकालने की व्यवस्था सही नहीं होती है। ऐसे में अगर घर को बनवाते समय वास्तु विज्ञान और सिद्धांतों का पालन करना चाहिए जिससे पश्चिम दिशा के घर को लक्ष्मी दायक और उत्तम बनाया जा सके। जिस घर का मुख पश्चिम में होता है उस घर का मुख्य द्वारा भी पश्चिम में ही होना चाहिए। अगर गलती से मुख्य द्वार को नेऋत्य या वायव्य में बना दिया जाए तो घर में जो लोग रहते हैं वो रोगों से पीड़ित रह सकते हैं। इससे कई बार अकाल मृत्यु भी देखने को मिलती है।
ऐसा माना जाता है कि पश्चिम दिशा में घर का भार ज्यादा होना चाहिए। लेकिन इस दिशा में द्वार और खिड़कियां होने से भार में कमी आ जाती है। ऐसे में संतुलन बनाए रखने के लिए घर की उत्तर दिशा में कम चीजों को बनवाना चाहिए। साथ ही वायवय यानी नॉर्थवेस्ट दिशा की तरफ शौचालय व स्नानघर बनाना सही होता है। इसके अलावा किसी भी तरह का भूमिगत टैंक जैसे वाटर अथवा बोरिंग आदि को अगर उत्तर दिशा में बनाया जाए तो वह फलदाई होता है। वास्तु के अनुसार, अगर घर के पश्चिम की तरफ जल को निकाला जाता है तो परिवार के पुरुषों को गंभीर बीमारी हो सकती है। अतः पानी की निकासी को नॉर्थवेस्ट कोण में लेकर जाना सही होता है। ठीक इसी तरह छत के पानी की निकासी भी इसी तरह करें।
अगर घर पहले से ही पश्चिम मुखी है तो उसकी कमियों को दूर करने के लिए इस तरह किए जा सकते हैं बदलाव:
1. नेऋत्य यानी साउथवेस्ट पर ज्यादा ऊंची बाउंड्री कर देना चाहिए। इससे इस तरफ वजन बढ़ जाता है। घर के अंदर साउथवेस्ट दिशा में हर शाम को दीपक जलाना चाहिए।
2. पश्चिम से साउथवेस्ट की ओर एक अशोक का पेड़ लगाना चाहिए।
3. काले घोड़े की नाल U टाइप में घर के बाहर लगानी चाहिए।
4. घर में एक काला कुत्ता जरुर पालें। अगर आप कुत्ता नहीं पाल पा रहे हैं तो हर दिन सड़क के किसी भी काले कुत्ते की सेवा करें। यह नियम घर के हर सदस्य पर लागू है।
5. सप्ताल में कुत्ते को दो बार दुध पिलाएंगे तो बेहतर होगा।
6. रात को जब सोने जाए तब मुख्य द्वार के पास अंदर की ओर एक पात्र में जल भरकर रखें। फिर सुबह उठने के बाद सबसे पहले जल को बाहर की नाली में फेंक दें। ऐसा प्रतिदिन करें। फिर साफ पानी लेकर घर के दरवाजे के दोनों तरफ धो दें।
7. घर की कोई भी नाली या पाइप बंद न होने पाए।
8. अगर आपके घर का कोई भी सदस्य उपरोक्त दी गई बीमारियों से ग्रस्त है तो एक काला ऊनी कंबल लें। पीड़ित व्यक्ति के हाथ से घर की चारों दिशाओं के कोने में फर्श को छुएं। फिर इसे शनि मंदिर में रख दें।
यह प्रयोग हर तीन महीने में जरूर करें।