किन दो दिशाओं में परफेक्ट होती है रसोई, जानें किचन वास्तु टिप्स
कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि घर का निर्माण करते वक्त अन्य कमरों की तुलना में रसोई को ज्यादा महत्व प्रदान नहीं किया जाता है।
कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि घर का निर्माण करते वक्त अन्य कमरों की तुलना में रसोई को ज्यादा महत्व प्रदान नहीं किया जाता है। सामान्यतया सभी कमरों और गतिविधियों के लिए स्थान निर्धारित होने के बाद जो स्थान शेष रहता है वहीं पर किचन का निर्माण कर दिया जाता है। लेकिन रसोई घर के निर्माण के वक्त की गई किसी भी प्रकार की लापरवाही गंभीर वास्तु दोष का कारण बन सकती है। यहां स्थित वास्तु दोष न सिर्फ आपके स्वास्थ्य पर, बल्कि आपके आर्थिक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। तो आइये वास्तुकार संजय कुड़ी से जानते हैं, अच्छी सेहत और धन के निरंतर प्रवाह के लिए रसोई का वास्तु।
रसोई की दिशा:
वास्तु के अंतर्गत हर कमरे के लिए दिशा विशेष निर्धारित की गई है। कमरों के लिए उचित स्थान का यह निर्धारण सम्बंधित दिशा में मौजूद तत्व के अनुसार किया जाता है। रसोई का सम्बन्ध अग्नि से होता है और इसीलिए अग्नि तत्व प्रधान दक्षिण-पूर्व यानी किआग्नेय कोण इसके निर्माण के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। दक्षिण-पूर्व में रसोई बनाना संभव न हो तो इसके लिए दूसरा बेहतर विकल्प उत्तर-पश्चिम दिशा है। ध्यान रहे कि उत्तर-पूर्व में रसोई न बनाई जाए क्योंकि यहां पर बनी रसोई शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाती है।
रसोई में रखी जाने वाली वस्तुएं:
पीने का पानी और वाटर प्यूरीफायर रसोई की उत्तर-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए। इसके अलावा चूल्हे और गैस सिलेंडर को आग्नेय कोण में ही रखे। फ्रिज को किचन की पश्चिम दिशा में रखा जा सकता है|
रसोई की दीवारों का रंग:
दक्षिण-पूर्व में बनी रसोई की दीवारों और फर्नीचर के लिए हल्का गुलाबी रंग श्रेष्ठ है। गुलाबी के साथ आप अगर दूसरा कलर भी करवाना चाहते हैं तो इसके लिए सफ़ेद या क्रीम कलर का चुनाव कर सकते हैं। नीले रंग का प्रयोग किचन में बिलकुल भी ना करें।
अन्य महत्वपूर्ण टिप्स:
किचन का प्लेटफार्म या किचन काउण्टर का निर्माण इस प्रकार करें कि खाना बनाते वाले व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा की ओर रहे। अगर यह संभव न हो तो उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भी खाना बना सकते हैं। इसके अलावा शौचालय के सामने या सीढ़ियों के नीचे रसोई का निर्माण न करें। यह एक वास्तुदोष का कारण बनता है।