घर बनाते समय रखें इन बातों का ध्यान, कहीं आपका नल भी टपकता तो नहीं
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अपना महत्व है। वास्तु आपके भवन को ही नहीं अपितु आपकी जिंदगी के हर पहलू को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। वास्तु के अनुसार हर एक दिशा अपने आप में कुछ विशेषता लिये होती हैं।
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अपना महत्व है। वास्तु आपके भवन को ही नहीं अपितु आपकी जिंदगी के हर पहलू को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। वास्तु के अनुसार हर एक दिशा अपने आप में कुछ विशेषता लिये होती हैं। दिशाओं के आधार पर ही घर का इंटीरियर डेकोरेशन किया जाता है। चूंकि जल हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए घर में जल स्थान कहां हो यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। ज्योतिषाचार्या और वास्तु शास्त्री साक्षी शर्मा के अनुसार घर का निर्माण करवाते वक्त यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि घर में जल का स्थान वास्तु द्वारा बताई गई दिशा में हो, इससे परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
पानी रखने की सही दिशा:
वास्तुशास्त्र के मुताबिक जल का शुभ स्थान ईशान कोण को माना गया है। पानी का भण्डारण अथवा भूमिगत टैंक या बोरिंग पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में होनी चाहिए।
ओवरहेड टैंक की सही जगह:
दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोण में कुआं अथवा ट्यूबवेल नहीं होने चाहिए। इसके लिए उत्तर-पूर्व कोण का स्थान सही होता है। ओवर हेड टैंक उत्तर और वायव्य कोण के बीच होना चाहिए। नहाने का कमरा पूर्व दिशा में शुभ होता है।
अन्य ध्यान में रखने योग्य बातें:
यह याद रहे कि घर में बाथरूम, रसोई या फिर किसी अन्य स्थान पर नल से पानी का टपकना बहुत अशुभ माना जाता है। टंकी से भी पानी नहीं टपकना चाहिए। माना जाता है ऐसा होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है, खर्च बढ़ता है और पैसों की तंगी बनी रहती है।
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