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Blog: जब मन में छाया हो अंधेरा, तो तुरंत इस चीज का करें अनुसरण

व्यक्ति का जो स्वभाव होता है वह पूर्णिमा पर बढ़ता है और अमावस्या तिथि में घटता है। क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति का क्रोध आलसी स्वभाव के व्यक्ति का आलस्य तथा तमाम इसी तरह के अन्य गुण-अवगुण पूर्णिमा तिथि में बढ़ जाते हैं तथा अमावस्या में घट जाते हैं।

By Shivani SinghEdited By: Published: Mon, 30 May 2022 12:33 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2022 12:33 PM (IST)
Blog: जब मन में छाया हो अंधेरा, तो तुरंत इस चीज का करें अनुसरण
Blog: जब मन में छाया हो अंधेरा, तो तुरंत इस चीज का करें अनुसरण

नई दिल्ली,सलिल पांडेय: प्रकृति के तमाम क्रियाकलापों का अध्ययन किया जाए तो उससे प्रेरणा ही मिलती है। ज्येष्ठ मास की भीषण गर्मी में जब मनुष्य व्याकुल हो जाता है, उसी अवधि में तमाम वृक्षों में फल उगते हैं। इन पेड़ों में कितनी शक्ति थी कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद वे हरे-भरे रहे तथा उन पर फल भी उगे। इसीलिए चिकित्सक तक सलाह देते हैं कि मौसमी फल खाना चाहिए। इससे ऊर्जा मिलती है। यही स्थिति शीत ऋतु में भी देखी जाती है जब ठंड की परवाह न कर वनस्पतियां जीवन देती हैं।

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ऋषियों ने मन रखने वालों को मनुष्य कहा है। मनुष्य का मालिक मन है। मन मजबूत है तो शरीर रूपी घर भी मजबूत होता है। धर्मग्रंथों में मन का भी मालिक चंद्रमा को बताया गया है। अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों में मन के आवेगों में बदलाव आता है। पूर्णिमा के चंद्रमा की रोशनी से सिर्फ समुद्र में ही लहरें नहीं उठतीं, बल्कि मन के समुद्र में भी लहरें उठती हैं। व्यक्ति का जो स्वभाव होता है वह पूर्णिमा पर बढ़ता है और अमावस्या तिथि में घटता है। क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति का क्रोध, आलसी स्वभाव के व्यक्ति का आलस्य तथा तमाम इसी तरह के अन्य गुण-अवगुण पूर्णिमा तिथि में बढ़ जाते हैं तथा अमावस्या में घट जाते हैं।

अमावस्या का आशय यदि दुख के अंधेरों से लिया जाए तो हमें उन विशिष्ट पुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए जिन्होंने अपने विवेक के बल पर अंधकार को मात दी। ऋषियों ने अंधेरों के पर्याय वर्ष भर की अमावस्या तिथियों में सोमवती अमावस्या को महत्वपूर्ण कहा है। सोमवार का दिन चंद्रमा का होता है। चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। जब जीवन में अंधेरा ही अंधेरा दिखे तो मन को चंद्रमा जैसा शीतल बना लेना चाहिए। खासकर भौतिकवादी युग में जब धन-संपत्ति और स्वार्थ हावी हैं, उसे देखते हुए अमावस्या की काली रात में मन के चंद्रमा को साधकर रखना अति आवश्यक है।


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