आपके भीतर है आनंद, जिसे कहीं बाहर खोजने की जरूरत नहीं...
जो आपके भीतर है वह है शांति। किसी चीज का न होना शांति नहीं है। किसी चीज का होना शांति है। जब मनुष्य खुद को जानेगा खुद को समझेगा तब उसके जीवन में शांति होगी। शांति मिल जाती है।
नई दिल्ली, प्रेम रावत। कल्पना क्या है और सच्चाई क्या है! इसे समझने के लिए आपकी जड़ का मजबूत होना जरूरी है। सारी कल्पनाएं आपके अंदर हैं। यह कल्पना नहीं है, यह सच है। कल्पना में डूबना बड़ा आसान है, सच्चाई को जानना बहुत मुश्किल है। जिसको आप खोज रहे हैं, वह आपके अंदर है। उसे जानिए, पहचानिए, उसके साथ थोड़ा समय बिताइए, क्योंकि उसमें सबकुछ है।
जो आपके भीतर है, वह है शांति। किसी चीज का न होना शांति नहीं है। किसी चीज का होना शांति है। जब मनुष्य खुद को जानेगा, खुद को समझेगा, तब उसके जीवन में शांति होगी। जैसे भोजन खा लेने पर भूख खत्म होती है, उसी प्रकार खुद को जान लेने पर तृष्णा मिट जाती है। शांति मिल जाती है।
सोचें कि यह शरीर आपको क्यों मिला है? जिन तत्त्वों से शरीर बना है, वे सारे तत्त्व वहीं वापस चले जाएंगे जहां से ये आये थे। जिस तरह पानी, पानी में मिल जाता है। सारी चीजें प्रकृति में घुल जाएंगी। क्या समझते हैं आप कि जब बच्चा पैदा होता है तो इस धरती का वजन बढ़ता है! या जब कोई मर जाता है तो इस धरती का वजन कम होता है! वजन न तो बढ़ता है न कम होता है। क्योंकि जिन चीजों से आप बने हुए हैं वे तो अभी यही हैं। परंतु क्या आपने उस चीज को जाना, समझा जो आपके शरीर के अंदर है? इसे जान गए, पहचान गए, फिर आनंद ही आनंद है।
आपका नाम आपके शरीर का नाम है। नाम कमाने से क्या होगा। नाम नहीं, ज्ञान कमाइये। आनंद कमाइए। ये आप अपने साथ ले जा सकते हैं। जहां जाएंगे, वहां ले जा सकते हैं। क्योंकि यह आनंद आपके हृदय से उत्पन्न होता है और आपके हृदय में जाकर बसता है।
कभी अच्छा होता है, कभी बुरा होता है। जब अच्छा होता है तो इतना अच्छा होता है कि फिर ये तो किसी को लगता ही नहीं है कि कभी बुरा होगा। जब बुरा होता है तो ऐसा लगता है कि कभी अच्छा होगा ही नहीं उनके साथ। ऐसे में थोड़ा इंतजार कीजिए, अच्छा होगा। परंतु यह याद रखें कि जब अच्छा हो रहा हो तब थोड़ा और इंतजार करें, फिर बुरा भी होगा। यह तो एक चक्र है। इसीलिए सब्र का महत्व है। आपने सब्र करना सीखा है या नहीं?
आपकी जिंदगी आपको जानती है। शरीर के कारण होने वाले क्लेश से दूर रहिए, ताकि आपका जीवन आनंदमय हो। सचेत होकर अपने जीवन को बिताइए। सबसे प्रेम कीजिए, ऐसा संभव न हो तो अपने श्वास से प्रेम जरूर कीजिए, ताकि आपका जीवन आनंदमय हो। जो स्वांस से प्रेम नहीं कर सकता, वह किसी और से प्रेम क्या करेगा! अगर सचमुच में ही प्रेमी बनना है तो ऐसी चीज से प्रेम करो, जो अंत समय तक आपका साथ दें। श्वास के न होने से आप नहीं हैं, उसके होने से ही आप हैं। आनंद लें अपने जीवन को सफल बनाएं। यह मत भूलें कि वह सत्य, जिसकी आपको तलाश है, वह आनंद जिसकी आपको तलाश है, वह आपके अंदर है।
(आध्यात्मिक वक्ता)