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कबीर के 10 दोहों में छिपा जीवन का राज

संत कबीर सिर्फ एक संत ही नहीं विचारक और समाज सुधारक भी थे। ये बात उनके दोहों में साफ झलकती है, तो आइए कबीर के दस दोहों के जरिए जाने उनकी दस महान शिक्षाओं को।

By molly.sethEdited By: Published: Mon, 15 May 2017 02:11 PM (IST)Updated: Mon, 15 May 2017 02:11 PM (IST)
कबीर के 10 दोहों में छिपा जीवन का राज
कबीर के 10 दोहों में छिपा जीवन का राज

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1_ अपने को परखो दूसरों को नहीं

ये दोहा कहता है कि जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। पर जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है। यानि हमें जजमेंटल नहीं बनना सेल्‍फ एनेलेटिकल बनना है। 

2_ प्रेम ही सच्‍चा ज्ञान 

कबीर कहते हैं कि बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर वे सभी विद्वान न हो सके। यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षरअच्छी तरह पढ़ ले,  तो वही सच्चा ज्ञानी होगा। अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान लें यही सबसे बड़ा ज्ञान है।

3_बात के अर्थ को ग्रहण करें

इस दोहे में कहा गया है कि सज्जन को ऐसा होना चाहिए जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है। जो सार्थक तत्‍व को बचा लेता है और निरर्थक को भूसे के रूप में उड़ा देता है। यानि ज्ञीनी वही है जो बात के महत्‍व को समझे उसके आगे पीछे के विशेषणों से प्रभावित ना हो। 

4_कोई भी इंसान छोटा नहीं होता

इस दोहे के अनुसार एक छोटे से तिनके को भी कभी बेकार ना कहो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब होता है, क्‍योंकि यदि कभी वह उड़कर आँख में आ गिरे तो गहरी पीड़ा देता है। यानि कबीर ने स्‍पष्‍ट बताया है कि छोटे बड़े के फेर में ना पड़ें और सभी इंसानों को उनके जाति और कर्म से ऊपर उठ कर सम्‍मान की दृष्‍टि से देखें। 

5_संतोषी परम सुखी

कबीर जी कहते हैं इस जीवन में जिस किसी भी व्यक्ति के मन में लोभ नहीं, मोह माया नहीं, जिसको कुछ भी खोने का डर नहीं, जिसका मन जीवन के भोग विलास से बेपरवाह हो वही सही मायने में इस राजा है। मतलब लालच करने वाला कभी ना सुखी होता है ना संतुष्‍ट और नाही कामयाब।

6_जीवन का मर्म समझें

मिटटी मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार से कहती है, तू क्या मुझे मसलेगा, एक ऐसा दिन आयेगा जब मैं तुम्हें मसल दूंगी। यह बात बहुत ही ध्‍यान से समझने की है। जीवन में चाहे इंसान कितना बड़ा आदमी बन जाये अंत में उसे खाक हो कर या दफ्न हो कर मिटटी में ही मिल जाना है।, इसलिए घमंड कभी ना करें। 

7_सही समय की प्रतीक्षा करें

कबीर दास जी कहते हैं कि संसार में हर चीज धीरे धीरे से पूरी होती है। माली बार बार पौधे को सींचता है पर फल तभी आते हैं जब उसकी ऋतु आती है। यानि जीवन में हर चीज अपने समय पर होती है व्‍यर्थ की कोशिश और जिद्द से कोई लाभ नहीं होता।

8_मन पर काबू रखें

कबीर दास जी कहते हैं कि जिस तरह से कई युगों तक हाथ में मोतियों की माला लेकर भगवान का नाम जपने से किसी भी व्यक्ति के मन में ईश्‍वर की भक्‍ति उत्पन्न नहीं होती, और नाही उसका मन शांत होता है। इसलिए माला जपने की बजाय अपने मन में अच्छे विचारों को जपो ताकि मन काबू में रहे और लालच के पीछे ना दौड़े। 

9_तोल मोल कर बोल

कबीर जी कहते हैं कि भाषा बेहद अचूक हथियार और संपत्‍ति है। इसलिए बोलने से पहले सौ बार मन में विचार कर लेना चाहिए। बिना सोचे बोलने वाला अक्‍सर बाद में पछताता तो है ही लोग उसे मूर्ख भी समझते हैं। 

10_दिखावे का कोई मोल नहीं होता

कबीर दास जी ने समझाया है कि दिखावे पर ना जायें बल्‍कि अपनी बुद्धि का प्रयोग करें, और ये समझें कि कोई भी इंसान जाति से सज्जन या श्रेष्‍ठ नहीं होता। इसलिए किसी का उसके जाहिरी तथ्‍यों के आधार पर मूल्‍यांकन ना करें। ठीक वैसे ही जैसे तलवार का मूल्य होता है न कि उसके खोल के तौर पर इस्‍तेमाल होने वाली म्‍यान का जो सोने चांदी और मखमल से बनी होती है। 


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