श्रावण में शिव पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है
पुराणों में वर्णित है कि श्रावण महीने में शिव पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता। इस माह में शिव-पार्वती की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है।
सावन का महीना 20 जुलाई से शुरु हो कर और 18 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा। श्रावण माह हिंदी पंचांग के अनुसार पांचवा माह है। वर्षा के आगमन का सूचक के रूप में यह माह आता है। जहां प्रकृति हर तरफ हरियाली के जरिए इस माह का स्वागत करती है। इसीलिए इस महीने में भगवान शिव की पूजा अन्य दिनों की अपेक्षा जल्दी फलदायी होती है। शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है कि श्रावण महीने में शिव पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है। इसलिए इस माह में शिव-पार्वती की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है। इस माह में मांस, मंदिरा के सेवन से पूरी तरह परहेज रखना चाहिए। इससे मन शांत रहेगा और काम क्रोध की भावना पर नियंत्रण रखने में आसानी होगी।
भारत में इसी महीने की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। दक्षिण भारत में नारियली पूर्णिमा व अवनी अवित्तम, मध्य भारत में कजरी पूनम, उत्तर भारत में रक्षा बंधन और गुजरात में इसे पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। हमारे त्योहारों की यही विविधता ही तो भारत की विशिष्टता की पहचान है।कई महिलायें पूरे श्रावण माह में सूर्योदय के पूर्व स्नान कर उपवास रखती हैं। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए इस माह में उपवास और शिव की पूजा करती हैं। विवाहित स्त्री पति के लिए मंगल कामना करती हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि सावन का महीना भगवान शिव का महीना होता है क्योंकि इस महीने में भगवान विष्णु पाताल लोक में रहते हैं इसलिए भगवान शिव ही पालनकर्ता भगवान शिव के कामों को भी देखते हैं। यानी सावन के महीने में त्रिदेवों की सारी शक्ति भगवान शिव के पास रहती है। इसलिए इस महीने में भगवान शिव की पूजा अन्य दिनों की अपेक्षा जल्दी फलदायी होती है। लेकिन इस महीने में कई सावधानी बरतने की भी जरुरत होती है क्योंकि कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें सावन में करने से शिव अप्रसन्न हो जाते हैं।
1.यूं तो परिवार में कलह को कभी भी अच्छा नहीं माना जाता है लेकिन सावन के महीने में जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद और अपश्ब्दों का प्रयोग हानिकारक होता है। इन दिनों शिव पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन में प्रेम और तालमेल बढ़ता है इसलिए प्रेम एवं सामंजस्य के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
2.शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में दूध का सेवन अच्छा नही होता है। यही कारण है कि सावन में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने की बात कही गई है। इससे वात संबंधी दोष से बचाव होता है।
3.सावन का दूसरा मतलब सात्विकता का पालन है क्योंकि शिव इन दिनों विष्णु के कार्य का भी संचलन करते हैं इसलिए सावन में मांस, मंदिरा के सेवन से परहेज करना चाहिए। इससे मन शांत रहेगा और काम क्रोध की भावना पर नियंत्रण रखने में आसानी होगी।
4.सावन के महीने में प्रति दिन भगवान शिव का जलाभिषेक कई जन्मों के पाप के प्रभाव को कम कर देता है। इसलिए शास्त्रों में बताया गया है सावन में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान ध्यान करके भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। देर तक सोने से यह अवसर हाथ से चला जाता है और शिव की कृपा से वंचित रह जाते हैं।
5.सावन के महीने में बैंगन नहीं खाना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है इसलिए द्वादशी, चतुर्दशी के दिन और कार्तिक मास में भी इसे खाने की मनाही है।
6.सावन का महीना शिव का महीना है इसलिए इस महीने में शिव भक्तों का अपमान न करें। भगवान शिव के भक्तों का सम्मान शिव की सेवा के समान फलदायी होता है। यही कारण है कि कई लोग कांवड़ियों की सहायता करते हैं।
7.इस महीने में सांढ़ अगर घर के दरवाजे पर आए तो उसे मार कर भगाने की बजाय कुछ खाने को दें। सांढ को मारना शिव की सावारी नंदी का अपमान माना जाता है।
8.क्रोध में किसी को अपशब्द नहीं कहें और बड़े बुजुर्गों सम्मान करें।
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